Aarti Ayachit

Drama

5.0  

Aarti Ayachit

Drama

होली के संग सगाई ऐसी भी

होली के संग सगाई ऐसी भी

5 mins
1.9K


"अरे भाभी ! थोड़ा जल्दी भी करो, हो गयी न तैयारी सब सगाई की ?" सुभाष अपनी निशा भाभी से बोल रहा था।

"अरे देवर जी ! हो गई समझो, तैयारी सब। भई जो भी हो आखिर इंदु दीदी का रिश्ता जम ही गया, अरे चचेरी ननद है तो क्या हुआ ? देवर जी हम सब उनकी सगाई धूमधाम से ही करेंगे, होली जो है उस दिन, तेरे भैया (विलास) भी आ ही जाएंगे दिल्ली से।"

इतने में इंदु आकर बोली, "छोटी भाभी ! आप लोगों ने लड़के वालों के कहने पर होली के दिन ही सगाई करने को हाँ कर दी, हमसे आपने पूछा भी नहीं....सुभाष भैय्या....हमें मायके में तनिक होली तो खेलन देते हमरी सखियों संग।"

"मेरी बहन इंदु तुम्हें पता है....ये फरमाइश ना तुम्हारे शरारती पंकज की ही थी, उसने क्या कहा पता ?"

सुभाष ने मजे लेकर चिढ़ाते हुए कहा।

"भैया तुम रहने भी दो।" खीझ खाते हुए इंदु बोली, "आप लोग चाहते ही नहीं हो कि शादी से पहले यह होली मैं अपनी मर्जी से खेलू।"

"मेरी प्यारी ननदिया, थोड़ी तो दिमाग की बत्ती जलाओ अपने" भाभी ने बताया; "वो न तुम जैसे इस घर की इकलौती बेटी हो न, वैसे ही पंकज भी इकलौता बेटा है। उसकी माँ की न तबियत नासाज ही रहती है तो पंकज चाहता है कि उसकी सगाई माँ की इच्छानुसार विशेष रूप से धूमधाम से हो ताकि वह अपने माता-पिता को बहुत खुशी दे सके। अच्छी कंपनी में नौकरी क्या मुंबई में मिल गयी पंकज को तब से ही उदास रहने लगे थे तो वो न सब रिश्तेदारों के साथ होली के दिन सगाई की रस्म के साथ ऐसा धूम-धड़ाका करना चाहता है कि उसके माता-पिता अकेलेपन की सारी उदासी भूलकर होली के रंगों में रंग जाए और सगाई की रस्म भी रंगों के जल्लोश के साथ सम्पन्न हो और तो और रिश्तेदार भी होली का त्यौहार मनाने आएंगे ही न। मजा भी आएगा बहुत ऐसा पंकज का कहना और न इंदु, मुंबई में उसका दोस्त, नचिकेत बहुत मस्तमोला तो दोस्त कुछ सलाह कुछ इस तरह से पेश है, ज़िंदगी खुश होकर जीने का नाम है, मुर्दादिल करता खाक जिया करते हैं इसलिए अपने खुश रहकर दूसरों को भी खुशी बाँटने का और हां ऐसा विशेष कारनामा करने का, जो आज तक किसी ने भी ना किया हो, तभी तो....?"

होली के दिन सगाई की धमाकेदार धमाल मचाना है, "सभी के साथ" हर पल कुछ खास बनाना है। नचिकेत को भी दो दिन की छुट्टी मिल गई है और वह भी आ रहा है। फिर वह पंकज के साथ वापस लौट जाएगा।

"विलास आवाज लगाते हुए... निशा.. कहाँ हो..... "होली है भाई होली है।" अरे तुम तो अभी से शुरु हो गए, निशा अपने ऊपर लगे गुलाल को पोंछते हुए बोली। इतने में इंदु को बुलाते हुए विलास ने उसके ऊपर भी गुलाल उड़ाते हुए...…. "मेरी प्यारी बहनिया, बनेगी दुल्हनिया।" इंदु खीज खाते हुए .... क्या है भैया सब मेरे ही पीछे पड़े हैं... अरे कल से तो कोई और जगह ले लेगा न, पीछे पड़ने की और "जो मजा आज है न बहना, वो कल कहाँ" विलास ने रुआंसी आवाज में कहा।

" सुभाष अपने विलास भैय्या से गले मिलते हुए" ..... इस बार होली विशेष रूप से मुबारक, सब तैयारी कर ली हमने भैया सगाई की भाभी के साथ ....... बस आप रंग-गुलाल लावे की नाही ? रंग उड़ावत विलास कहत रहींन, ओ छोटे बबुआ रंग लावे को हम कैसन भूल सकत है, अबहूं होली मां ऐसो पक्को रंग लायो है कि छुटाओ ना छुटत " हमरो बेशुमार प्यार को रंग।"

विलास भैया- अरी भागवान, तुम क्या गुझिया ही बनाती रहोगी, तनिक चलो हमरे संग स्टेशन से माँ-बाबूजी को लिवा लाते हैं, उनके भी देवी दर्शन हो ही गए होंगे। एक बार बस ! आकर देख लेवे पंकज को अपनी आंखन से तो बेफिक्र हो जाए।" और हां अपने आस-पड़ोस में भी बुलावा कर आते हैं.... मजा आएगा बहुत..... ।

आखिर....... आखिर आ ही गया होली का वह विशेष दिन, जिस दिन सब गिले शिकवे दूर हो कर, बस दिंगा मस्ती करने में मस्त...… और तो और खाने के जायके का अलग ही आनंद..... दही बड़े, गुलाब जामुन, गुझिया, नमकीन आहाहाहा...... सब बच्चे बड़े इस माहोल में रंगों के साथ खाने का मजा लेने में मशगूल हो गए हैं। काश कि ऐसा वातावरण रोज हर घर-घर में हो तो क्या बात है।"

शाम होने को आई, पाँच बज गए थे, "निशा भाभी, अजी सुनते हो जी, अभी तक पंकज के घर से आया नहीं कोई ?" होली के रंग में भूल तो नाही गए ?

"इतने में पंकज अपने दोस्त नचिकेत के साथ, जो दरवाजे के बाहर छिपे थे, पहले से ही, रंग- गुलाल निशा भाभी को लगाते हुए..... फिर धीरे-धीरे करके सभी को रंगते हुए..... ढोल और नगाड़ों के साथ पूरा परिवार, छा गयी हर तरफ रंगों की बहार ।

"लो जी पंडित जी भी हाजिर, शुरु हो गई सगाई की विधि, गोद भराई के पश्चात हो गई अंगूठी पहनावे की रस्म"

" पंकज म्युजिक के साथ इंदु को रंग लगाते हुए.... ऐसा रंग, जो जिंदगी भर याद रहेगा,..... पंकज के माता-पिता आशिर्वाद देते हुए... भैया और भाभी, सुभाष संग संग डांस करते हुए..... होली रे होली रंगों की टोली, ...होली के दिन खिल जाते हैं, रंगों में रंग मिल जाते हैं,... नचिकेत अपनी शरारत व अठखेलियाँ दोस्तों के साथ करते हुए.. वाह वाह राम जी जोड़ी क्या बनाई ? मेरे दोस्त और भाभी को बधाई हो बधाई, सब रस्मों से बड़ी है जग में, दिल से दिल की सगाई..... जी हाँ ऐसी मिठास घुली रहे रंगों की हर घर में ।

हर तरफ छाया है माहोल होली का, जी हाँ पाठकों, मेरा यह ब्लॉग पढ़ने के बाद आप होली के रंगों में मशगूल तो हो ही गए होंगे... इस समूह के सभी सम्माननीय सदस्यों और सभी पाठकों को होली के रंग भरे लहलहाते त्यौहार की शुभकामनाएँ देती हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama