Deepti Tiwari

Inspirational

4.0  

Deepti Tiwari

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हमें भी चाहिए आजादी

हमें भी चाहिए आजादी

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अब मत हो खफा, मत आंसू बहा

तोड़ दे इन जंजीर को , जो बस जकड़़े हुए है, 

हम बस इनमेंं अकड़े हुए हैं,

सांसे भी थम थम कर चल रही, 

क्या इनके लिए ही हैै तू बनी, 

पहले सहलाया गया, रस्मो रिवाजो के नाम पर

बहलाया गया, या यो कहे बलि का बकरा बनाया गया,

कभी तन से, कभी मन से

आत्मा को भी मेरे कुुुुचला गया, 

सौ बार अग्नि परीक्षा के लिए उकसाया गया

इतने सेे भी मन न भरा तो उत्पीड़न का शिकार बनाया गया. 

तू नारी है नर नहीं 

तू जीवन है जहर नहीं

तुझको ही झुुुुुकना होगा

हर बात पर मिटना होगाा

हाँ हाँँ तूू नारी  है 

वो तुझसे है, तु उससे नहीं, 

अब उसको भी झुकना होगा, 

समानता का हक रखना होगा, 

अश्लील आँखों पर परदा ढकना होगा,

तू जिसेे टिप्पणियाँ कसे, 

तेरी बहन को भी किसी ने दिया होगा, 

अब बस करो, दे दो आजादी ,

क्यों भाइयों के देेेश में बहने नहीं है आजाद

चाहे हो वे किसी भी परिवेश में 

क्यो आए काले वेश में 

तुम्हें नहीं है  आभास,

जिस देश में है देवी का वास 

उसी देश की बेटी को बंद करो ताड़ना,

वरना तोड़ दो बंधन को,

तोड़ दो झुटे रस्मो को, 

तोड़ दो झुठे कसमो को,

सारी झूूूठी रस्मो को,

बहन मेंं तेरी अरमानो के खातिर खुद ही मिट जााउगा 

तब जाकर उस देश की बेेेटियो को मिलेगी आजादी,

ना कर चिंता किसी बात की तूूझ पर मिट जाउगा

जो आँख ऊठाकर तुझको देखे सिर ही कटना दूंगा!



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