हमारे पूर्वज
हमारे पूर्वज
परशुराम जी लौट आए हैं। अब हर गाँव में भगवान परशुराम का मंदिर बननेवाला है। परशुराम जी ब्रह्मचारी थे। उनकी शादी नहीं हुई थी। फिर भी, बड़े गर्व से हमारे बड़े-बुजुर्ग यह कहने में झिझकते नहीं थे कि हम भगवान परशुराम के वंशज है। राम-लक्ष्मण संवाद का पाठ जब भी होता तो हम अपने प्रथम पुरुष की वीरता वाली अनेक गाथाओं को याद कर मन ही मन प्रफुलित हुआ करते थे। लेकिन ऐसा नहीं कि सिर्फ हमारी बिरादरी वाले ही इन्हें अपना प्रथम पुरुष मानते हैं। टेनी पासी बात रहा था कि वह भी परशुराम जी का ही वंशज है। भगवान परशुराम के पसीने से उत्पन्न होने के कारण उनकी बिरादरी वाले पासी कहे जाते हैं। हमने भगवान परशुराम जी का मंदिर बनाने का संकल्प लिया। पोखर के चारों ओर गैरमजरुआ जमीन थी।
सूर्य मंदिर के पास ही परशुराम मंदिर की नीव रखी गई। किसी ने ईंट, किसी ने रेत, किसी ने पैसों से मदद की तो कइयों ने मनों अनाज की बोरियाँ मंदिर निर्माण के लिए दान में दी। एम. एल. ए अनिल कुमार ने पाँच सौ बोरियाँ ठिकेदार से दिलवा दिन। बेकार युवाओं को भी चन्दा उगाही का बहाना मिल गया। अच्छी-खासी वसूली की जाने लगी। बाजार के सभी दुकानदारों से हर शाम चन्दा वसूल किया जाने लगा। बाभनों का रोजगार फलते देख ब्राह्मणों ने हरिजनों को चुहाड़ का मंदिर बनाने के लिए प्रेरित किया। यादवों ने बाबा लोरिक देव यादव-मंदिर, कोयरी-कुशवाहा ने शहीद जगदेव के नाम पर तो हरिजनों ने रैदास के नाम पर मंदिर बनाने का काम शुरू किया। गाँव के मुसलमान भी इस कार्य में पीछे नहीं थे, उन्होंने अपनी मस्जिद का क्षेत्र बढ़ाना शुरू किया। सभी बिरादरी का अपना मंदिर बन कर तैयार होने लगा। गाँव में नेताओं के नए पक्के घर भी बनने लगे। परशुराम जी ने केरल बनाया, नंबूदरी बनाए, महाराष्ट्र में चिताओं को पवित्र कर चितपावन बनाया।
बिहार और उत्तर प्रदेश में भूमिहार ब्राह्मणों के जन्मदाता बने। लेकिन वही परशुराम जीअपनी पाप-विमुक्ति के लिए अरुणाचल क्यों गए? राम से पराजित क्यों हो गए? मातृ-हत्या का दोष! पौराणिक किंवदंतियों का सत्य क्या? गाँववालों ने एक मीटिंग कर के परशुराम को नहीं, ऋषि जमदग्नि को अपना पूर्वज घोषित कर लिया है। गाँव वालों के डीएनए टेस्ट में एक बात उभर कर आई कि भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत सभी का डीएनए एक ही है। और तो और, गाँव के मुस्लिमों के पूर्वज भी एक ही है। सारी पौराणिक, कथाएं और कल्पनाएं एक क्षण में धराशाई हो गईं।