हमारे मन का रिमोट

हमारे मन का रिमोट

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हमारे मन का रिमोट दूसरों के हाथ में क्यूं?

......…

राधा तेजी तेजी से काम कर रही थी बिना कुछ बोले। सुरेश जी समझ गए आज राधा का मूड ऑफ है।

क्या हुआ बच्चों ? मम्मी का आज मूड ऑफ है।

पता नहीं पापा, जब से दोपहर से आई हैं तब किसी से बात नहीं कर रही। हां जब काम जल्दी जल्दी करने लग जाती है तो समझ लो गुस्से में कर रही है, सुरेश ने हंसते हुए कहा, "क्या हुआ बात है ?"

सब पार्क में बैठी थे, "सब पूछने लगे कल शादी की सालगिरह पर क्या किया ?"

मैंने कह दिया कि ऑफिस से देर से आये थे। इसलिए कुछ घर पर ही मंगा कर खा लिया था। सब कहने लगे यह दिन भी कोई ऐसी साधारण सा बिताने का है और मुझे चार बातें सुना दी। हम तो हर बार नये होटल जाते हैं।

अरे तो तुम कह देती कि जैसा समय होता है सब वैसे ही करते हैं। खाने पीने का क्या है ? वह तो हम शनिवार इतवार खूब चले ही जाते हैं कहीं ना कहीं।

पर सब तो हमें कंजूसी समझ रहे होंगे ना ! ओ हो ! तुम दूसरों की बातों में क्यों आ जाती हो ? हमारा जो मन आए हम वह करें। दूसरों की बातों को इतना ध्यान देने की जरूरत नहीं है। राधा अपने उठकर उदास काम में लग गई।

तभी राधा की सहेली का फोन आता है और राधा एकदम बात कर हंसने लगती है और बात कर के फोन रखती है।

सुरेश जी पूछते हैं अब क्या हुआ ?बड़ी खुश हो !

अरे सामने वाली गीता का फोन था कह रही थी कि "वह कल तुमने चुडियाॅ॓ कहाँ से ली ?" मुझे भी वैसी ही लेनी है। देखा बहुत तारीफ कर रही थी मेरी चूड़ियों के सेट की।

जब दिल्ली गई थी तब ली थी।

सुरेश जी और बच्चे मुस्कुराऐ, "चलो तारीफ सुनकर मुड तो बदला।"

अगले दिन शाम को सुरेश घर आते। राधा जरा चाय बना देना सर में बहुत दर्द हो रहा है क्यों आज काम ज्यादा था क्या ? अरे नहीं काम तो ज्यादा नहीं था पर लोगों का क्या है ? लंच में सब साथ में थे। सब ने पूछा कि सागर का एडमिशन तुमने कहा कराया ? मैंने स्कूल का नाम बताया तो सब कहने लगे अरे वह स्कूल तो बेकार है।आपका डिसीजन गलत रहा। मैंने उन्हें समझाया कि वह हमारे घर के पास है और पढ़ाई बहुत अच्छी है।

स्कूल की 10 कमियां निकाल रहे थे। शहर के सबसे अच्छे में कराते।

तब से मन परेशान कि गलत तो नहीं किया।

आप भी दूसरों की बातों में आ गए। जरूरी नहीं टाॅप का स्कूल ही पढ़ाई अच्छी करायेगा। ये स्कूल की पढ़ाई, फीस सब सही लगी तभी तो कराया। छोड़ो आप बात ! चाय पीओ, लोगों का काम है कहना।

सागर घर में क्या कर रहा है ? जाओ बाहर खेल कराओ। नहीं, मम्मी मैं नहीं जाऊंगा ?

क्यों ? सब दोस्त कह रहे थे, तेरे पास स्केट्स नहीं है। सब स्केट्स चला रहे हैं।

अरे स्केट्स की जगह पर वेव बोर्ड भी तो है। तब तुम कह सकते थे कि मेरे पास वेब बोर्ड है पर स्केट्स तो नहीं है, सागर ने मुंह उदास करते हुए कहा। तो उनके पास भी तो वेव बोर्ड नहीं है। राधा ने तेजी से कहा।

हमेशा मूड ऑफ करने करके घर में बैठने की जरूरत नहीं है सागर। हर चीज, हर एक घर में नहीं हो सकती। जो तुम्हारे पास है वह उसके पास भी नहीं है।

जाओ वेव बोर्ड ले जाओ।

तभी थोड़ी देर बाद कमरे से राधा के सास, ससुर कमरे से आते हैंऔर मुस्कुराते भी बोले क्या बात भाई आज सागर का मूड ऑफ है। सुरेश बोला "पिता जी आप कहीं जा रहे हैं क्या ?" हां ,सोचा समाज से तुम्हारे मन का रिमोट लेकर आते। हॅ॓सने लगे

राधा ने मुस्करा के पूछा क्या मतलब पिता जी ?

सब सुन लिया हमने कल से हम दोनों इस बात को देख रहे हैं। सुरेश की माता जी ने हँसते हुए कहा।

कि तुम सबके मन का रिमोट शायद दूसरों के पास है।

मतलब यह, कल राधा का बुराई करने से मूड ऑफ हो गया, तारीफ करने से ऑन।

और यही सुरेश के साथ हुआ, कल स्कूल वाली बात पर और आज वही सागर कर रहा है, तो मुझे लगता है कि मुझे हम लोगों का रिमोट यहां लाकर रखना पड़ेगा और हँसने लगे। लोग तो कहेंगे ही लोगों का काम है कहना ! तुम उनकी बातों पर ध्यान नहीं दो।

तुम्हें क्या पसंद है ? सब आपस में अपने परिवार को लेकर अच्छा और बुरा सोचते हैं, तब वह निर्णय लेते हैं ना कि हम पड़ोसियों को सोच कर।

राधा ने हँसकर कहा सही कहा पिताजी मैं अब बिल्कुल भी, किसी की बात पर ध्यान नहीं दूंगी और जो मुझे सही लगता है हम वही करेगें ।मेरा कहीं जाना या ना जाना उन पर निर्भर नहीं है।

समझ में आया सुरेश सुरेश के पिताजी ने हँसकर बोला जी पिताजी।

सब हँसने लगे। चलो अब गरमा गरम चाय बना कर लाओ राधा और सब मिलकर पिएंगे।

दोस्तों ऐसा ही होता है ।हम हर बात अपने परिवार को लेकर नहीं, लोग क्या कहेंगे ? यह सोचकर सोच लेते हैं। जिसका असर लोगों पर नहीं, हम पर होने लगता है ।यह ऐसा रोग है कि" क्या कहेंगे लोग ?"

आपको परेशान कर देता है इस रोग को दूर करने के लिए केवल आपके मन का रिमोट आपके ही हाथ में होना चाहिए दूसरों के हाथ में नहीं।


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