हम तुम और कॉफी
हम तुम और कॉफी
रागिनी हांफते हुए आई।
"सॉरी ! मैं लेट हो गई.. ऑफिस में काम ज्यादा था।"
"कभी अपने परिवार और ऑफिस के अलावा मुझे और मेरे प्यार को भी समय दे दो.."मुस्कराते हुए रवि ने कहा जो पिछले आधे घण्टे से मरीन ड्राइव पर उसका इंतज़ार कर रहा था।
साइकिल पर कॉफी वाले को रुकवाया और दो कॉफी बोला रागिनी ने, तो रवि ने मना किया।
"मुझे पता है तुम्हें कॉफी पसंद है पर आज ये कॉफी नहीं.. सरप्राइज है तुम्हारे लिए.. आओ "कह कर रवि खड़ा हो गया बेंच पर से।
"कैसा सरप्राइज"?
"आओ तो" कहकर रवि ने उसे रोड़ के उस पार बड़े से कॉफी शॉप की ओर इशारा किया।
दरवाजे के अंदर घुसते हुए जैसे रागिनी का कलेजा जोड़ों धड़क रहा था, उत्साहित थी क्यूँकी ये एक ख्वाब जैसा ही था पर थोड़ी असहज भी क्यूँकी वहाँ के माहौल में अपने पहनाव ओढ़ाव को फिट नहीं मान पा रही थी। रवि ने हाथ प्यार से पकड़ा और कोने की टेबल पर बिठाया। वेटर को बुला दो कैफेचिनो ऑर्डर किया।
"रवि ! इसकी क्या जरूरत थी.. तुम्हारे पॉकेट पर भारी पड़ेगा" रागिनी ने फुसफुसाते हुए कहा।
"तुम्हारे ख्वाबों को भी इन्हीं जेबों में रखा है" रवि ने शरारती अंदाज में कहा।
"जाने कितने ख्वाब सजते होंगे ना रवि इन कॉफी के प्यालों के साथ"? रागिनी भी माहौल में अब घुल चुकी थी।
" हाँ डियर! ये तो इस कॉफी को भी ना पता होगा, वर्ना हम तुम और ये कॉफ़ी.. बस भागदौड़ की जिंदगी में तुमसे मिलने का बहाना यही है " रवि ने प्यार से कहा।
"चलो रागिनी! मुझे जरा अपने बच्चों के लिए जलेबीया लेनी है, चलता हूं " रवि ने कहा।
"हाँ रवि! मुझे भी मेरी सासु माँ की कमर की सिंकाई भी करनी है घर जाकर, तुम्हारी कॉफी और बाते मुझे फंसा देती है। "
कॉफ़ी के कप के साथ रूमानी शाम खत्म कर दोनों अपनी अपनी राह चल दिये।
रागिनी जाकर सासू माँ की सिंकाई करती है और रात का खाना बनाती है, पर उसका मन तो अभी भी उन कॉफी के प्यालों में अटका हुआ था।
" मम्मी! अकेले क्यूँ मुस्कराते हो " बेटे ने कहा। रागिनी को लगा जैसे किसी ने चोरी पकड़ ली हो।
"दादी बुला रही है.. पापा आए है पानी दे दो"
रागिनी पानी का ग्लास ले जाती है। मुस्कुराहट और बढ़ जाती है।
"वाह बेटा! तुमने बिगाड़ रखा बच्चों को.. जलेबी लाने की क्या जरूरत थी.. वैसे ही ख़र्चे कम है क्या.. उपर से बहनों का कालेज फीस भी देना है तुम्हें" माँ ने कहा।
" हम कर लेंगे माँ " रवि और रागिनी ने एक साथ कहा।
अब सब उन्हें देख रहे थे पर समझ ना सके कि कॉफी की कुछ चुस्कियां जो जिंदगी से कुछ पल चुरा वो साथ पीते हैं उन्हें जाने कितनी हिम्मत दे जाती है।