हम सिर्फ तेरे रहेंगे
हम सिर्फ तेरे रहेंगे
इंदौर
अग्रवाल भवन
एक ५० साल की औरत किचन में अपनी कामवाली बाई, सीमा पर भड़क रहीं थीं। वो बोल रहीं थीं, "क्या कहा था मैंने? अच्छे समोसे बनाने को कहा था और यहाँ तो आधे से ज्यादा समोसे जल चुके हैं। अब बाहर से मंगवाने पड़ेंगे एक और खर्चा । इस खर्चे का आधा हिस्सा तेरी तनख्वाह से काटूंगी अब।"
इतना बोल वो महिला वहां से चलीं गयीं। वहीं सीमा खुद से बोली, "मैडम जी का तो हमेशा का ही है।"
वहीं बाहर दो ३० से ३५ साल की महिलाएं बैठीं थीं। दोनों ने ही चेहरे पर मेकअप पोता हुआ था। एक महिला बोली ,"सिर्फ देखने ही आ रहे हैं ये सब तो ऐसे कर रहे हैं जैसे आज ही शादी कर लेंगे। "
दूसरी महिला बोली, "सही कहा भाभी...!"
तभी उनके कानों से पीछे से एक आवाज टकराई, "चुगली करने की अलावा भी दुनिया में ढेरों काम हैं।"
दोनों ने पीछे मुड़ कर देखा। पीछे ३५ से ४० साल का आदमी खड़ा था। चेहरे पर रौब झलक रहा था। उसे देख दोनों महिलाओं के चेहरे पर घबराहट और डर के भाव आ गए। वो आदमी बोला, "आपकी ननद को देखने आज लड़के वाले देखने आ रहे हैं और आप दोनों यहाँ बातें करने में व्यस्त हैं।"
तभी पहली महिला बोली, "देवर जी जिसे देखने आ रह हैं वो तो अभी तक सोकर नहीं उठी।"
तभी पीछे से एक मीठी आवाज आई, "उठ चुकी हूँ तो मैं शिकायत लगाना न बंद करिये।"
उस आदमी के चेहरे प मुस्कराहट आ गयी। वहीं उन दोनों महिलाओं के चेहरे पर बह झूठी मुस्कुराहट आ गयी। 5'4 कद, हल्का गुलाबी रंग, काली - काली गहरी आंखें, बालों का हल्का सा बन बनाया हुआ, नाइट सूट में वो लड़की बहुत ही सुन्दर लग रही थी। पहली महिला बोली, "तारा आपको पता है जब मेरी बहन, स्तुति को देखने लड़के वाले आये थे तब स्तुति सुबह ५ बज उठी थी और सब व्यंजन उसने खुद बनाये थे।"
वो लड़की मतलब तारा बोली, "और फिर लड़के वालों ने रिश्ता तोड़ दिया था क्योंकि वो ज्यादा ही घरेलू थी और लड़के वालों को थोड़ी मॉडर्न, पढ़ी लिखी, जॉब करती हुई लड़की चाहिए थी। "
ये सुन वो महिला उसे घूरने लगी। वहीं पीछे खड़ा आदमी अपनी हँसी को कंट्रोल कर रहा था। तारा बोली, "वैसे आपने मुझे ये ताना क्यों मारा? मुझे कौन-सा लड़के वाले देखने आ रहे हैं? "
ये सुन दोनों महिलाएं उसे हैरानी से देखने लगीं। वहीं उस आदमी के चेहरे पर परेशानी के भाव आ गए। दूसरी महिला बोली, "आपको नहीं पता आज आपको लड़के वाले देखने आ रहे हैं?"
ये सुन तो वो लड़की सीढ़ियों से गिरते हुए बची। उसने आदमी की तरफ देखा तो उस आदमी ने नज़रें झुका लीं। वो चिल्ला उठी, "पापा......!"
उसके ऐसे चिल्लाने से दोनों महिलाएं खीज गयीं लेकिन कुछ बोल ना सकीं। तभी कमरे से 60 से 65 साल का आदमी बाहर आया। वो बोले," क्या हुआ? ऐसे क्यों चिल्ला रहीं हैं?"
तारा रोते हुए बोली, "क्या आज मुझे लड़के वाले देखने आ रहे हैं?"
वो हाँ में सिर हिला देते हैं। ये देख तारा रोते हुए कमरे में चली गयी। उस आदमी ने उस 50 साल की महिला से कहा, "जाके उन्हें संभालीए...!"
वो सिर हिला कर चलीं गयीं।
(आइए मिलते हैं पहले कहानी के किरदारों से। ये जो उम्र दराज आदमी हैं ये हैं, शशांक अग्रवाल। घर के मुखिया। इनकी दो शादियाँ हुईं। पहली शादी इनकी नमिता जी से हुई थी। हार्ट अटैक के कारण उनकी मृत्यु हो गयी। उन्हें पहली शादी से दो बेटे हुए, महेंद्र और अखिल। शशांक जी की दूसरी शादी हुई कावेरी जी से। दूसरी शादी से इन्हें एक बेटी हुई, नयनतारा। महेंद्र की शादी काजल से हुई। इनका एक बेटा है, मानव। अखिल की शादी हुई निशा से। इनका भी एक बेटा है, कुनाल।
शशांक जी एक रिटायर्ड जज हैं। कावेरी जी गृहिणी हैं। महेन्द्र बेटा बैंक में मैनेजर है। काजल एक फार्मेसिस्ट है। अखिल अपने ही शहर का एसीपी है। निशा एक गायनेकोलोजिस्ट है। नयनतारा कुछ दिन पहले ही बैंगलोर से अपनी लॉ की डिग्री लाई है। सास बहू में बिल्कुल भी नहीं बनती। नन्द - भाभियों में भी नहीं बनती। महेन्द्र और अखिल चाहे नयनतारा के सौतेले भाई हैं और कावेरी जी के सौतेले बेटे हैं लेकिन फिर ये एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।)
क्रमशः

