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Vinita Rahurikar

Tragedy

4  

Vinita Rahurikar

Tragedy

हिसाब

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बाई की तनख्वाह के पैसे अलग निकालते हुए रचना बुरी तरह से झल्ला गई। इस महीने तो पूरे सात दिन छुट्टी की है उसने। इस बार तो जरूर ही उसके पैसे काट लूंगी। लूट मचा रखी कि है। दो छुट्टियां मान भी लें तो भी बाकी पाँच दिनों की छुट्टियों के ₹500 होते हैं। उसने ₹500 काट कर बाकी रुपए अलग रख दिए। तभी डोर बेल बजी।

" मम्मी मेरा पिज्जा आया है ₹500 दे दो।" बेटा पिज़्ज़ा का पैकेट लेते हुए बोला।

 हर महीने दो-तीन हजार तो बेटे के पिज़्ज़ा बर्गर में ही खर्च हो जाते हैं। बेटे के साथ गरमा गरम पिज्जा खाते हुए उसने ध्यान दिया। पिज्जा की कीमत दिन पर दिन बढ़ती जा रही है और आकार छोटा होता जा रहा है। उसने हिसाब लगाया हर वस्तु का भाव कितना बढ़ गया है। अचानक पिज्जा उसके गले में अटक गया। हर वस्तु का भाव बढ़ गया लेकिन बाई के श्रम की कीमत नहीं बढ़ी उल्टे घटा दी उसने। उसे लगा वह बाई के मुंह से निवाला छीन कर पिज़्ज़ा खा रही है। वह तुरंत उठी और बाई की तनख्वाह के लिए निकाल कर रखे पैसों में ₹700 और रख दिए।


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