हिंदी मीडियम की बेरोजगारी
हिंदी मीडियम की बेरोजगारी


आज शाम से ही कमल को बेचैनी सी हो रही थी, वजह हमेशा की तरह इंटरव्यू, कल फिर उसका इंटरव्यू था।उसे डर था हमेशा की तरह कहीं इस बार भी उसके हिंदी माध्यम से पढ़े होने की वजह ही रोड़ा न बन जाये। न जाने इससे पहले कितने ही इंटरव्यू में वो पीछे रहा क्योंकि वो हिंदी मीडियम का विद्यार्थी था। भोर हुई अगले दिन कमल तैयार होकर इंटरव्यू देने गया, कुछ घंटे इंतज़ार करने के बाद परिणाम भी आ गया, हमेशा की तरह नॉट सेलेक्टेड। कमल अब पूरी तरह टूट गया था। कितनी कोशिशों के बाद भी वो कहीं सफल नहीं हो पा रहा था। उसे लगने लगा आज के समय काबिलियत और टेलेंट को लोग तवज्जो नहीं देते लेकिन मात्र इंग्लिश मीडियम होने से नोकरी मिल जाती है।
कमल को कभी कभी तनाव भी होता कई बार डिप्रेस फील करता लेकिन क्या करे कुछ समझ नहीं आता।
उसने बेरोजगारी के विषय मे पढ़ा था जैसे शहरी बेरोजगारी, ग्रामीण बेरोजगारी, पर अब उसे लगता हिंदी मीडियम की बेरोजगारी यह आधुनिक समय का नवीन प्रकार है।
उसने सोचा कुछ दिन गांव हो आता हूँ परिवार के पास अच्छा लगेगा। गांव आकर उसे लगा क्यों न मै यहां खेती ही कर लूं कुछ तो कमाई होगी। उसके रिश्तेदार उसके फैसले से खुश नही थे, उन्होंने कहा इतना पढ़ने के बाद तू खेती करेगा। कमल ने कहा शहर में नोकरी की मार खाने और खुद के स्वाभिमान को हर बार ठेस लगने से अच्छा कार्य तो खेती है, अपनी मेहनत से करूँगा और कोई भी काम छोटा तो नहीं होता मेहनत और ईमानदारी से किया हर काम अच्छा होता है। उसने यह साबित कर दिया कि उच्च शिक्षा के बाद भी जो अपनी नींव से जुड़ा रहे वही तो है हिंदी मीडियम का विद्यार्थी। आज उसे स्वयं पर गर्व हो रहा था।