Archana Saxena

Inspirational

4.5  

Archana Saxena

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हिंदी ही हमारी भाषा है

हिंदी ही हमारी भाषा है

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कॉलेज में नई छात्रा अदिति को सदैव हिन्दी बोलते देख एक वर्ग सदा ही नाक भौं सिकोड़ता था।

बातें कितनी भी कोई समानता की कर ले पर सत्य तो यही है कि पास पड़ोस हो या विद्यालय, कॉलेज हो या दफ्तर हर जगह आपस में मेल खाते लोग अलग अलग समूह में बँट ही जाते हैं।


अदिति के साथ भी ऐसा ही हुआ था। मेधावी अदिति स्वयं को होनहार समझने वाले उन छात्र छात्राओं के बीच कोई अस्तित्व ही नहीं रखती थी जैसे।

जब पहले सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम आया और अदिति ने टॉप किया, यहाँ तक कि अंग्रेजी विषय में भी सर्वोच्च अंक उसी को मिले थे तो कुछ लोगों ने दाँतों तले उँगली दबा ली तो कोई अब भी उसकी काबिलियत मानने को तैयार नहीं था।


"हुँह बोलने का सलीका तक तो है, नहीं पता नहीं कैसे टॉप कर लिया। रट्टू तोता होगी जरूर"


माधुरी ने मुँह बिचकाते हुए कहा तो सभी ने हाँ में हाँ मिलाई।


कुछ दिनों में वादविवाद प्रतियोगिता थी कॉलेज में। आयोजन बड़ा था और बहुत से कॉलेज भाग ले रहे थे।

जब अदिति ने भी अपना नाम दर्ज कराया तो माधुरी ने सबसे अधिक खिल्ली उड़ाई।


"पता नहीं हमारे टीचर्स को क्या हुआ? खुद ही हारने को तैयार है हमारा कॉलेज तो। अंग्रेजी की डिबेट में यह क्या बोलेगी भला?"


"पर उसे अंग्रेजी बोलना आती है शायद। कुछ सोच कर ही नाम दिया होगा।"

किसी ने कहा।


"नंबर ले आने में और बोलने में फर्क होता है। कभी सुना बोलते? इतनी ही आती होती तो जब हम मजा़क उड़ाते हैं तब तो कुछ बोलती।"

माधुरी ने कहा तो सबको उसकी बात ठीक लगी


वाद विवाद प्रतियोगिता में जब अदिति का नाम पुकारा गया तो औउसका मनोबल तोड़ने के लिए दर्शक दीर्घा में से ही जोरदार ठहाका गूँजा। परन्तु बिना हिचकिचाए अदिति ने धाराप्रवाह बोलना शुरू किया तो सभी मंत्रमुग्ध होते चले गए।

यहाँ तक कि माधुरी और उसके साथियों को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था।


कोई संशय ही नहीं था कि प्रथम कौन आएगा। प्रथम पुरस्कार का हकदार कोई और हो ही नहीं सकता था।


कार्यक्रम के अंत में जब पुरस्कार वितरण समारोह में अदिति को माइक थमाया गया तो उसने हिन्दी में बोलना आरम्भ किया


"आदरणीय मुख्य अतिथि, शिक्षकगण व मेरे साथियों

मैं अपनी बात आपके समक्ष हिंदी में ही रखूँगी क्योंकि यह मेरी मातृभाषा है और मुझे इस पर गर्व है। गर्व है कि मैं हिंदी वाली हूँ।

इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि मैं अन्य भाषाओं का सम्मान नहीं करती या बोल ही नहीं सकती लेकिन जब मैं अपनी मातृभाषा में अपने भाव अभिव्यक्त कर सकती हूँ तो क्यों मैं अन्य किसी भाषा का सहारा लूँ। हाँ जब आवश्यक होता है तो अवश्य ही मैं अंग्रेजी भाषा सम्मान के साथ बोलती हूँ।

यदि हम अपने देश में अपनी मातृभाषा को हिकारत की दृष्टि से देखेंगे तो कोई और भला कैसे सम्मान करेगा? इसलिए गर्वित होकर कहिए 'हिन्दी ही हमारी भाषा है।'

एक जोरदार नारा मंच के नीचे से गूँजा


"हिन्दी ही हमारी भाषा है"


दर्शक दीर्घा में से माधुरी की आवाज इतनी तेज थी कि भीड़ में अलग सबसे तेज सुनाई दी। अदिति मुस्कुरा उठी।


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