Madhu Vashishta

Inspirational

4.5  

Madhu Vashishta

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हिंदी दिवस

हिंदी दिवस

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 आज तो मैं सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त अधिकारी हूं लेकिन जब भी हिंदी दिवस आता है तो हमें वेंकट सर की बहुत याद आती है। यह बात उस समय की है जबकि हमारे दफ्तर में हिंदी पखवाड़ा चल रहा था। सितंबर माह में अक्सर हमारे पास हिंदी पखवाड़े में सरकारी काम हिंदी में करने का आदेश जारी हो जाता था और हम अपनी अधिकतर फाइलें हिंदी में ही निपटाते थे। उस समय हमारे अधिकारी भी अधिकतर हिंदी में ही उन फाइलों पर आदेश लिखते थे। इस बार हमारे सेक्रेटरी साहब वेंकट सर आ गए थे। वह कर्नाटक के थे ।

      वेंकट सर तुरंत फाइलें निकालने के लिए बेहद प्रसिद्ध थे। वह अपना काम भी तुरंत करते थे और हम से भी यही अपेक्षा करते थे कि कोई भी फाइल ज्यादा दिन तक ना लटकती रहे। उस बार जब हिंदी पखवाड़ा आया और हम सब ने हिंदी में कार्य करना आरंभ करा तो हम सब आपस में बातें करते हुए भी हंस रहे थे कि अब के हमने तो सारी फाइलों में सारे बड़ी-बड़ी नोट्स हिंदी में लिखे है। साहब यह सारी नोटिंग अपने पी.ए से ही पड़वाएंगे इस कारण अब के कोई भी फाइल 15 दिन से पहले तो वापस भेज भी नहीं सकते। क्योंकि यह तो हमें पता था कि जब तक वह पूरी फाइल पढ़ और समझ नहीं लेंगे वह उस फाइल को अनुमोदित कर के वापस नहीं भेजेंगे।

     हम सब ने जल्दी जल्दी हिंदी में नोटिंग करके अपनी सारी फाइलें साहब की मेज पर भिजवा दी। जैसा कि साहब हमेशा करते थे भले ही वह देर तक बैठे लेकिन अक्सर फाइल दूसरे या तीसरे दिन तक हमारे पास वापस भेज देते थे। दूसरे दिन हम मुस्कुराते हुए अपनी अपनी सीट पर बैठे थे क्योंकि हमें पता था हमारी फाइलें अभी तो वापस आने वाली है नहीं, और जो थोड़ा बहुत काम बचा है वह तो हम कर ही लेंगे।

हम सिर्फ पी.ए साहब से यही जानने की इच्छुक थे कि साहब ने आपसे फाइलें कैसे पड़वाईं? हम सिर्फ उन पलों का आनंद उठाना चाहते थे जबकि हम खुद को हिंदी लिखने के कारण साहब से ज्यादा होशियार महसूस कर सकें।

        पाठकगण लेकिन हमारी सारी चालाकी बेअसर हो गई जबकि हमने देखा हमेशा के जैसे हमारी सारी फाइलें दोपहर तक हमारे पास अनुमोदित होकर वापिस आ गई थी। साहब ने ना केवल उन पर अपने हस्ताक्षर किए थे अपितु उन्होंने हमसे भी ज्यादा बेहतर लिखाई हमारी फाइल में लिखी थी। इतना ही नहीं हमारे लेखन में जो हमने कुछ त्रुटियां की थी वेंकट साहब ने उनको इंगित करते हुए सुधार भी किया था।

     14 सितंबर को हिंदी दिवस पर उन्होंने हम सब की मीटिंग बुलाते हुए कहा, मुझे बहुत खुशी हुई कि आप सबको हिंदी का बहुत अच्छा ज्ञान है मैंने भी कर्नाटक में हिंदी सीखी है और मुझे हिंदी पढ़ने और लिखने में बहुत आनंद आता है ।मैं यह चाहूंगा कि आप हिंदी भाषा में लिखना केवल इस पखवाड़े तक सीमित ना करके अपनी यही आदत भी बना लें। ऐसा करते हुए आप सबको महसूस होगा कि आप अंग्रेजी की गुलामी की जंजीरें तोड़ रहे हो और अपनी संस्कृति और संस्कार को वापस पा रहे हो।

     हम सब चुप और मंत्रमुग्ध थे। वास्तव में वेंकट साहब ने सही तो कहा था। उसके बाद हमारे विभाग के बहुत लोगों ने हिंदी में ही फाइलों पर नोट लिखने शुरू कर दिए थे और उसके बाद हमारे विभाग को ही सर्वाधिक हिंदी का प्रयोग करने के लिए इनाम भी मिला था।



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