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हग डे

हग डे

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बहुत देर से अपने कम्प्यूटर के की-बोर्ड को उलट-पलट कर देख रही तृप्ति ने आस-पास नजरें दौड़ाईं तो दिवाकर को अपनी ही तरफ देखता पाया।

झट से नजरें नीची कर लीं और काउन्टर पर खड़े बुजुर्ग को देखकर बोली - खाते में बकाया की जानकारी तो मिसकॉल सुविधा से भी ले सकते हैं आप ?

बुजुर्ग जागरूक ग्राहक था, उसने तुरन्त तृप्ती की क्लास लगाई- ये आप लोगों की हमेशा की नौटंकी हो गई है, कभी प्रिंटर खराब है ...कभी सर्वर डाउन है ...कभी कर्मचारी छुट्टी पर है। अरे जब पासबुक छापना ही नहीं है तो देते ही क्यों हो ?....और मिसकॉल सुविधा की जानकारी तो ऐसे दे रही हैं जैसे मैं जंगल से पकड़ कर लाया गया हूँ।

दिवाकर अब अपनी सीट से उठा और तृप्ति के की बोर्ड में न्यूमेरिक लॉक वाला बटन प्रेस करने के बाद बोला- "बस दो मिनट अंकल ! कहकर उसने बुजुर्ग का एकाउंट नम्बर कम्प्यूटर में भरा और उसका पासबुक प्रिंट करके देने के बाद वापस आकर अपनी सीट पर बैठ गया।

इसके बाद तृप्ति लाइन में खड़े बाकी लोगों का पासबुक प्रिंट करने लगी थी ....एक दो बार दिवाकर के सीट की तरफ देखा ....वो अपने काम में व्यस्त था।

लंच हुआ तो तृप्ति ने अपना टिफिन उठा कर जाते हुए पूछा- "तुम लंच नहीं करोगे ?''

घोर आश्चर्य ....किसी भी पुरुष सहकर्मी से गुड मार्निंग, गुड इवनिंग तक न करने वाली तृप्ति ने लंच के लिए कैसे पूछा ? और दिवाकर को तो बैंक मैनेजर से डाँट भी खिलवा चुकी थी, जब उसने उसे लाल गुलाब दिया था पिछले साल, दिवाकर ने तस्दीक करना चाहा- "क्या आपने मुझसे कहा ?"

"हाँ ! तुम से ही पूछ रही हूँ।"

हालाँकि काम की अधिकता के वजह से उसने आज लंच न करने का निश्चय किया था लेकिन तृप्ति की आवाज सुनते ही अपने बैग से टिफिन निकाल लिया- "हाँ चलिए ..चलते हैं ना।"

लंच करते हुए तृप्ति बोली- "मैंने तो न्यूमेरिक लॉक वाले बटन पर ध्यान ही नहीं दिया था।"

"होता है कभी-कभी ?"

"अच्छा ! तुमको मेरे बारे में कुछ पता है ?"

दिवाकर पराठे का टुकड़ा मुँह तक लाकर रुक गया और उसे वापस टिफिन में रखकर बोला- "हाँ सब कुछ पता है ...और किसी के भी साथ ऐसा हो सकता है।"

"क्या ये सहानुभूति है ?"

"आप ज्यादा-पढ़ी लिखी हैं ...आप शब्दों के मतलब निकालते रहिये ...मैं तो इसे प्रेम कहता हूँ...जो एक साल पहले आप द्वारा तिरस्कृत होकर भी अब तक बरकरार है।" तृप्ति की आँखों में आँख डालकर बोला था दिवाकर।

तृप्ति उठी और अपने बैग से एक गुलाब निकाल कर दिवाकर को देती हुई बोली- "आज मैं पूछती हूँ ...मुझसे शादी करोगे ?"

दिवाकर गुलाब पकड़ मुस्कुराते हुए बोला- "रोज डे और प्रपोज डे तो बीत चुका है ?"

कॉन्फ्रेंस रूम में उन दोनों के अलावा कोई नहीं था, तृप्ति ने आगे बढ़कर दरवाजा बंद कर दिया और मुस्कुरा कर बोली- ''लेकिन आज हग डे तो है ना ?"...कहकर उसके गले से लिपट गई।

तृप्ति दुष्कर्म पीड़िता थी......


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