Ankita Bhadouriya

Drama Romance Others

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Ankita Bhadouriya

Drama Romance Others

हाँ, ये वादा रहा

हाँ, ये वादा रहा

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"भाई आज तो पी ले, कभी कभी तो चलता है।" - नकुल शराब का एक ग्लास उसकी ओर बढ़ाते हुये बोला।

"नहीं यार, आएशा रूठ जायेगी और मैं किसी भी वजह से उसे नाराज़ या दुखी नहीं कर सकता।" - अनिकेत ने मना करते हुये कहा।

"इतने सालों बाद भी तू आएशा की बात मानता है?"- नकुल ने हैरानी से पूछा।

हाँ, आज भी और सिर्फ यही नहीं उसकी हर बात मानता हूँ, आखिरी साँस तक मानूँगा। - अनिकेत ये कहकर उस होटल के बाहर आ गया।

( कई सालों बाद अनिकेत अपने शहर वापस आया था, कालेज के कुछ पुराने दोस्तों ने एक कार्यक्रम रखा गया था। पहले तो अनिकेत ने आने से मना कर दिया था, पर जब सभी दोस्त मनाने लगे तो आखिरकार बेमन से ही सही वो तय तारीख और समय पर वहाँ पहुँच गया था। लेकिन उसे यहाँ कुछ अच्छा नहीं लग रहा था।)


*******

( अनिकेत बाहर पार्किंग में आकर अपनी कार में बैठा गया। )

अनिकेत बोला - "यार, मना किया था ना मैनें। मैं नहीं जाऊँगा, पर सिर्फ तुम्हारे कहने पर आया था। यहाँ मन नहीं लग रहा। कहीं और चलें क्या? "

( बगल वाली सीट पर सफेद चिकनकारी का कुर्ता और लाल बंधानी का दुपट्टा पहने आएशा ने अपनी बड़ी बड़ी काजल लगी आँखों को और भी बड़ा करते हुये घूरकर देखा, मानो किसी बात पर गुस्सा हो गई हो। )

अनिकेत ने थोड़ा रुककर सोचा, फिर हँसते हुये बोला - "अच्छा बाबा समझ गया, लो बाँध ली सीटबैल्ट अब तो खुश हो ना? अब बताओ कहाँ चलें? पहले की तरह लॉन्ग ड्राइव पर शहर घूमने चलें ?"

आएशा ने भी अब मुस्कुराकर अनिकेत के कंधे पर सिर रख दिया।

अनिकेत ने कार में लगे साउंड सिस्टम पर मद्धम आवाज में आएशा की पसंद का पुराना हिन्दी गीत बजाकर कार आगे बढ़ा दी -

तू, तू है वही दिल ने जिसे अपना कहा

तू है जहाँ, मैं हूँ वहाँ अब तो ये जीना, तेरे बिन है सज़ा

हां मिल जाएँ इस तरह, दो लहरें जिस तरह

फिर हो न जुदा, हाँ ये वादा रहा........

हाँ , ये वादा रहा.........

*********

                      आएशा को अनिकेत के साथ यूँ सड़कों पर लॉन्ग ड्राईव पर जाना बहुत पसंद था। आज भी वही हो रहा था।

( थोड़ी देर बाद उनकी गाड़ी मोती महल के पास वाली सड़क पर मुड़ गई। यहाँ राजाओं के समय का बना एक लाल ईंटों का तालाब है। जिसके चारों ओर छोटे छोटे गुम्बद बने हैं और अब उन गुम्बदों में छोटे छोटे रंगीन बल्ब लगा दिये गये हैं। सीढ़ियों से नीचे उतरने पर एक पतला सा ईंटों का ही पुल था, जो तालाब के बीचों-बीच बने बड़े से चबूतरे तक पहुँचता था। इस तालाब की मान्यता थी कि जो भी जोड़ा यहाँ आकर अपने रिश्ते को आखिरी साँस तक निभाने का वादा करके लोहे की रॉड पर ताले लगाकर चाबी तालाब में फेंकता है, उनके दिल आखिरी साँस तक एक दूसरे के साथ बंध जाते हैं और उनका रिश्ता उम्र भर बना रहता है। )

                            आएशा के लिये पूरे शहर में सबसे खूबसूरत जगह यही थी। आएशा और अनिकेत उस पुल पर चलते हुये तालाब के बीच स्थित उस चबूतरे पर पहुँचे।

अनिकेत ने आएशा का हाथ पकड़ते हुये कहा - "बीबी साहिबा, कुछ याद आया? यहीं हमने हमारे रिश्ते को सदा बनाये रखने की कामना करते हुये ये ताले बाँधकर चाबी तालाब में फेंकी थी।"

"ये जगह मैं कैसे भूल सकती हूँ, यहीं तो तुमने मुझे शादी के लिये प्रपोज किया था। याद है उस दिन करवाचौथ था। तुम मेरे लिये तोहफे में पायल लेकर आये थे और झुककर तुमने अपने हाथों से वो पायल मुझे पहनाई थी।" - ये कहते हुये आएशा की आवाज में एक अलग ही खुशी थी।

"हाँ, मुझे तुम्हारे साथ बीता हर पल याद है। उस दिन तुम्हारी माँग में सिंदूर भरते समय खुद से वादा किया था, चाहे कुछ भी हो जाये तुमसे हमेशा प्यार करूँगा, हमेशा तुम्हारे प्रति वफादार रहूँगा और हमेशा तुम्हें खुश रखूँगा।" - अनिकेत आएशा की आँखों में देखते हुये बोला।

आएशा शर्मा गई थी।

थोड़ी देर वहाँ बैठकर कुछ पुरानी बातों को याद करके दोनों अपनी कार में बैठकर आगे बढ़ गये।


*********


                                      अब उनकी कार यूनीवर्सिटी चौराहे पर पहुँची। आएशा को चौराहा देखते ही कुछ याद आ गया, उसने कसकर अनिकेत का हाथ पकड़ लिया। अनिकेत ने भी गाड़ी साइड में रोक दी।

"क्या हुआ आएशा? "- अनिकेत ने आएशा का चेहरा हाथ में लेते हुये पूछा।

"अनिकेत, ये वही चौराहा है ना, जहाँ तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ था।" - आएशा ने सामने देखते हुये पूछा।

अनिकेत ने इस बात का कोई जबाव नहीं दिया।

"तुम्हारी खुद के प्रति लापरवाही और दोस्तों पर जान छिड़कना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं था। दोस्तों ने ज़िद्द की तो जनाब ने शराब पी ली। इसके बाद दोस्तों के कहने पर रात में तेज रफ्तार बाइक लेकर भी निकल गये। उस दिन ट्रक से एक्सीडेंट में तुम्हारे पैर और कंधे में चोट आई थी। तुम्हें दर्द में देखकर मुझे कितनी तकलीफ हो रही थी, तुम कभी नहीं समझ सकते।" - ये कहते हुये आएशा की आँखों में आँसू आ गये।

अनिकेत उसे गले लगाते हुये बोला - "आएशा, वो पहली और आखिरी बार था जब तुम्हें मेरी वजह से तकलीफ हुई थी। उस दिन तुम्हारी कसम खाकर शराब को हाथ भी ना लगाने का जो वादा किया था, आज भी निभा रहा हूँ। आज पार्टी में नकुल जिद्द करता रहा पर मैनें नहीं पी।"

आएशा ने अनिकेत को और कसकर गले लगा लिया।

************


                                पूरा शहर दोनों ऐसे ही घूमते रहे, कभी गोलगप्पे और फालूदा के ठेले दिख जाते जहाँ दोनों अक्सर शाम को जाया करते थे, कभी शहर के मुख्य बाज़ार में स्थित शर्मीला लेडीज सेंटर की वो दुकान जहाँ शादी के बाद पहली बार आएशा की जिद्द पर अनिकेत उसके लिये चूडियाँ और झुमके खरीदने आया था। कभी किले के पास स्थित इमली का पेड़ , जिसपर चढ़कर अनिकेत हरी हरी इमलियाँ तोड़कर लाता था, क्योंकि आएशा को इमली बहुत पसंद थीं। डॉक्टर कौल का मैटरनिटी हॉस्पीटल जहाँ उनकी बेटी अनीशा का जन्म हुआ था, अनिकेत और आएशा ने अपने नामों को जोड़कर अपनी बेटी का नाम रखा था।

                              शहर घूमते समय शादी से पहले डेटिंग के दिन, वैवाहिक जीवन की नोंकझोंक, कुछ खट्टी मीठी लडाईयाँ, रूठना-मनाना समेत पिछले 15 सालों की पूरी यादें किसी फिल्म की भाँति अनिकेत के सामने चल रहीं थीं। एक पल में वो हँसता तो दूसरे पल में मासूस हो जाता।

फिर वो उस घर के सामने पहुँचा जो कभी उसका घर हुआ करता था, "अनिकेत और आएशा का घर"। अनिकेत की आँखों से आँसू निकलने लगे।

उसे आज भी याद है वो दिन, जब बारिश के कारण छत पर पानी जमा रहने से छत पर काई लग गयी थी, उस काई के कारण कभी कभी पैर भी फिसल जाता था। पर दोनों ने इसे नजरंदाज कर दिया। फिर एक दिन, आएशा छत पर कपड़े सुखाने आई, जब कई घंटों तक वो नीचे नहीं उतरी तो अनिकेत की माँ आएशा को ढूँढ़ते ढूँढ़ते छत पर पहुँची। वहाँ पहुँचकर उनकी चीख निकल गई। रो-रोकर पड़ोसियों को बुलाया और आएशा को अस्पताल लेकर पहुँची। अनिकेत को फोन पर जब बताया गया तो वो भी ऑफिस से सीधे अस्पताल पहुँचा। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। उसकी आएशा उससे दूर बहुत दूर एक ऐसी दुनिया में जा चुकी थी जहाँ से कभी कोई लौट कर नहीं आता है। उस सीलन और फिसलन भरी काई के कारण आएशा छत पर गिर पड़ी थी। उसके सिर में खून का थक्का जमने के कारण वो कोमा में चली गई थी और कुछ ही घंटों में इंटरनल ब्लीडिंग की वजह से उसकी मौत हो गई थी।

लोगों के लिये आएशा मर चुकी थी, लेकिन अनिकेत के लिये वो हमेशा ज़िन्दा रही, हमेशा साथ रही। कुछ समय बाद अनिकेत अपनी 2 साल की बेटी अनीशा और माँ के साथ वो घर और शहर छोड़कर किसी दूसरे शहर चला गया।

************

                                 आज भी अनिकेत आएशा से किया हर वादा पूरी शिद्दत से निभा रहा है। पिछले आठ सालों में सबके लाख समझाने पर भी उसने दूसरी शादी नहीं की। कहता है कि "आएशा आज भी उसके साथ है उसे किसी दूसरी औरत की जरूरत नहीं है।"

                                          अब वो पहले से ज्यादा जिम्मेदार और समझदार हो गया है। कार हमेशा नॉर्मल स्पीड और सीट बैल्ट पहनकर चलाता है। बारिश में भीगता भी नहीं है, अब सर्दियों में कोल्डड्रिंक पीने की भी जिद्द नहीं करता, क्योंकि उसे पता है अगर उसकी तबीयत खराब हुई तो आएशा पहले की तरह रातभर उसके सिराहने बैठकर सिर दबाती रहेगी और अब अनिकेत आएशा को परेशान नहीं करना चाहता था।

                               आएशा को उसका टाई पहनना पसंद था अब वो हर रोज टाई पहनकर ऑफिस जाता है। अपनी बेटी और माँ के साथ भी समय बिताता है, अब अपने गुस्से को काबू करना भी सीख गया है क्योंकि अब आएशा उन लोगो को नहीं मना सकती थी जो अनिकेत के रूखे व्यवहार के कारण रूठ जाते थे।

अनिकेत सबकुछ याद करते हुये लगातार रोये जा रहा था। तभी उसे अपने गालों पर किसी के हाथों के कोमल स्पर्श का अहसास हुआ। उसने आँखें खोलीं सामने आएशा थी, जो उसके आँसू पोंछते हुये कह रही थी - "तुम जानते हो ना, तुम्हारी आँखों में आँसू देखकर मुझे तकलीफ होती है?"

अनिकेत आँसू पोंछते हुये मुस्कुराकर बोला - "नहीं आएशा, मैं रो नहीं रहा। वो तो बस तुम्हारी याद आ गई थी"

"मैं तो यहीं हूँ, तुम्हारे पास और हमेशा तुम्हारे पास ही रहूँगी। अब घर चलो।" - इतना कहकर आएशा ने अनिकेत के कंधे पर सिर रख दिया।

कार में फिर से आएशा की पसंद का पुराना गीत मद्धम आवाज में बजने लगा। -

किसी मोड़ पे भी, ना ये साथ टूटे

मेरे हाथ से तेरा, दामन न छूटे

लाला-ला-ला-ला-लालाला

कभी ख्वाब में भी, तू मुझसे न रूठे

मेरे प्यार की कोई , खुशियाँ न लूटे

मिल जाएँ इस तरह, दो लहरें जिस तरह

हो, मिल जाएँ इस तरह, दो लहरें जिस तरह

फिर हो न जुदा, ये वादा रहा..........

हाँ, ये वादा रहा...............


अनिकेत ने अपनी कार उस रास्ते पर मोड़ दी, जो रास्ता उस नये शहर की ओर जाता है, जहाँ उनकी बेटी अनीशा उनका इंतज़ार कर रही है।



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