सुंदरता : नया नजरिया
सुंदरता : नया नजरिया
अशोक वन में एक मयूरा मोर रहता था। उसे अपने बड़े-बड़े सुंदर पंखों पर बड़ा घमंड था। जब भी वह पानी पीने नदी पर जाता, तो नदी के स्वच्छ और शांत जल में अपना रूप और सुंदर पंखों को देखकर बहुत खुश होता। किंतु अपने पतले और भद्दे पैरों को देखकर दुखी हो जाता।
वह हमेशा सोचता कि भगवान ने मुझे इतने सुंदर पंख दिए हैं, लेकिन उतने ही बदसूरत पैर क्यों दिये?
वो हर रोज अपने बदसूरत पैर देखकर दुखी रहने लगा, इससे उसकी तबीयत खराब होने लगी। जंगल का मुख्य नृतक बीमार होने से जंगल की रौनक ही चली गई थी, सब फीका-फीका सा हो गया था।
जंगल के वैद्य भारमल भालू ने अपनी ओर से कई प्रकार की दवाइयाँ दीं लेकिन मयूरा की तबीयत में कोई सुधार नहीं दिख रहा था। एक दिन भारमल भालू ने बीमारी की जड़ पता कर ली। वो समझ गये कि दवाईयाँ तो शारीरिक बीमारी दूर कर सकती हैं, मानसिक बीमारी का तो कोई इलाज ही नहीं। लेकिन वो मयूरा को ऐसज हाल में नहीं देख सकते थे। भारमल भालू ने तेज दिमाग बंटी बंदर को अपनी समस्या बताई। बंटी बंदर ने थोड़ी देर सोचा, फिर उछलते हुये अपनी तरकीब भारमल भालू को बता दी। तरकीब तो अच्छी थी, बंटी बंदर और भारमल भालू ने इस बारे में दूसरे जानवरों को भी बताया और उनसे मदद की गुहार लगाई। सभी पशु-पक्षियों में आपस में बड़ा प्रेम था सभी मयूरा मोर का दुख दूर करने के लिये तैयार हो गये।
अगले दिन जंगल के राजा शेरूमल ने जंगल में सभी जानवरों के लिये दावत और मिलन समारोह रखा, जिसमें सभी को अपने बारे में स्टेज पर खड़े होकर बताना था।
नियत समय पर सभी जानवर समारोह स्थल पर पहुँच गये, मयूरा भी आया था। एक -एक कर के सभी जानवरों ने बोलना शुरू किया।
सबसे पहले कज़री कोयल बोली -"मैं कज़री कोयल हूँ, बहुत बदसूरत और काली दिखती हूँ। लेकिन मुझे इसका दुख नहीं मेरे मनोहर गायन के आगे लोग मेरा काला रूप भूल जाते हैं। मेरे जैसा गुण किसी में नहीं है।"
फिर मटैला सुअर बोला - "मेरा तो पूरा शरीर ही बदसूरत और मोटा है, लोग मेरी ओर देखना भी पसंद नहीं करते। लेकिन जंगल की सफाई का काम मैं ही करता हूँ, मेरे कारण ही बाकी जानवर बीमारियों से मुक्त हैं। मेरे कर्म मुझे बड़ा बनाते हैं।"
इसके बाद हनिया हाथी बोला - "मैं हनिया हूँ, मेरे बड़े शरीर की वजह से मुझे बहुत परेशानी होती है, लेकिन यही बड़ा शरीर मेरी सबसे बड़ी शक्ति है मैं पल भर में किसी को भी उठा के पटक सकता हूँ।"
इतना सुनते ही बिल्लू बारहसिंगा बोला - "मेरे ये खूबसूरत बारह सिंग मेरी सुंदरता बढ़ाते हैं और ये पतली टाँगें मुझे बदसूरत बनाती हैं। लेकिन उस दिन शिकारियों के सामने आने पर मेरी इन्हीं टाँगों की रफ्तार ने मेरी जान बचाई थी। मेरी टाँगों के कारण ही आज मैं जिंदा हूँ।"
चुन्नू चूहा ने अपने छोटे शरीर का कष्ट और मजबूत दाँतों का महत्व, बंटी बंदर ने बालों में जुँओं की समस्या और तेज दिमाग के फायदों के बारे में बताते हुये शारीरिक कमियों को कमतर और अपने गुणों कर्मों को अधिक महत्वपूर्ण बताया। कुछ और जानवरों ने भी इसी प्रकार अपने-अपने बारे में बताया।
तभी मयूरा मोर खड़ा हुआ और बोला, - भाइयों, मैं समझ चुका हूँ हम सब में कुछ ना कुछ कमियाँ हैं और कुछ गुण। ये हमारे ऊपर है कि हम अपनी कमियों का शोक मनाने में जीवन बर्बाद करते हैं या अपने गुण निखारने में। मेरे पैर बदसूरत हैं तो क्या हुआ मेरे पंख सबसे ज्यादा सुंदर हैं। अब मैं नये नज़रिये से जीवन जीऊँगा, मेरे पंख और मेरा नृत्य मेरा गुण है, अब मैं सिर्फ इन अच्छाईयों पर ध्यान दूँगा।"
इतना कहकर मयूरा ने अपने सुंदर नीले पंख फैलाये और नाचने लगा। मयूरा को नाचते देखकर अन्य जीव-जंतु भी खुशी से नाचने गाने लगे। जंगल में एक बार फिर से खुशियाँ छा गईं।
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शिक्षा - जानवर ही नहीं, सभी इंसानों में भी कुछ ना कुछ कमियाँ (शारीरिक/आर्थिक)और कोई ना कोई गुण अवश्य होता है। हमें अपनी कमियों पर शोक ना करके अपने गुणों को निखारने पर ध्यान देना चाहिये। हमारे रूप से ज्यादा हमारे कर्म और गुणों का महत्व होता है।
