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Vikas Bhanti

Horror Thriller

2.9  

Vikas Bhanti

Horror Thriller

चुड़ैल वाला मोड़ पार्ट 1

चुड़ैल वाला मोड़ पार्ट 1

3 mins
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घनी सी रात में वो थरथराई सी हाइवे पर खड़ी थी , हर आते जाते मुसाफिर को हाथ देती । उसके बिखरे से बाल और स्याह सफेद सलवार सूट शायद राहगीरों को रुकने नहीं देना चाहता था । कई कहानियाँ थीं इस सड़क पर होने वाले हादसों के बारे में , कई बुजुर्गों के मुँह से लोगों ने सुनी थी उस हाइवे वाली चुड़ैल की कहानी । सफेद से कपडों में वो लोगों को हाथ देती है उनकी गाडियो में बैठती है और फिर अगले चौराहे से पहले उस गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है । हालाँकि सुबूत तो कोई न था पर हर साल 20-25 कारें यहाँ अपने मालिक को लील लेती थीं । हर कोई इसे चुड़ैल वाले मोड़ के नाम से ही जानता था और ऐसी जगह पर एक लड़की का होना किसी को हज़म नहीं था ।


कारें गुजर रहीं थीं और वो हर कार को हाथ हिला हिला कर रोकने की कोशिश में लगी थी पर कोई भी कार रुकती न थी । रात अपने शबाब पर थी । रात का कोई एक बजा होगा , सफेद रंग की एक स्कॉर्पिओ उस लड़की को देख के रुकी । वो मील के पत्थर पर बैठी चींटियां चुग रही थी , बाल बेतरतीब बिखरे थे और पैरों में चप्पल भी नहीं थी । सफेद रंग के उस सलवार सूट पर कोई दुपट्टा भी नहीं था । रुकी हुई उस कार को देख वो उठी और लडखड़ाती चाल से उस गाड़ी की तरफ़ बढ़ चली । उसकी चाल कुछ अलग ही थी । तिरछे से पड़ते कदमों ने गाड़ी वाले की हिम्मत छीन ली और वो लड़की फिर से जाकर उसी पत्थर पर बैठ गई । पुलिस वाले भी 10 बजे के बाद उस सड़क पर नहीं जाते थे ।


संकेत अपनी कार में पुरानी फिल्मों के गाने बजाता हुआ उस मोड़ के काफी करीब था कि गाड़ी हिचकोले खाने लगी । झटके से लेते हुए ठीक उसी जगह रुकी जहाँ वो सफेद सूट वाली लड़की बैठी थी । उसने भी सुन रखा था उस चुड़ैल के बारे में । गाड़ी रुकते ही उसकी धड़कन पहले तो एक पल के लिए रुकी फिर बेतहाशा दौड़ने सी लगी नज़र उठा कर जब उसने देखा तो शीशे पर वो सफेद कपड़ो वाली लड़की उसे देख रही थी और संकेत बस गले के ताबीज को हाथ में लिये ईश्वर को याद कर रहा था । संकेत की हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी कि उस ओर देख भी पाए ।


कुछ पल की ख़ामोशी के बाद कार के शीशे पर दस्तक होनी शुरू हो गई । भगवान का नाम लेते हुए संकेत ने गर्दन उठाई । एक थका हुआ सा लेकिन गोरा चेहरा, आगे से बेतरतीब ढंग से काटे हुए बाल, गर्दन पर मैल की मोटी सी परत, उँगलियाँ मिट्टी से सनी हुई और आँखों में एक अजीब सी जलन उस लड़की को और डरावना बना रहीं थीं । संकेत ने फिर से अपनी गाडी़ की चाभी घुमाई पर वो पुरानी कार घड़ घड़ कर के बुझ गई ।


संकेत ने फिर से लड़की की तरफ देखा, वो अभी भी शीशे पर घबराई हुई दस्तक दे रही थी । एक पल के लिए संकेत के मन में ख्याल आया कि कहीं मुसीबत में फंसी कोई लड़की ही तो नहीं, पर डर की जो कहानियां संकेत ने सुन रखीं थीं वो उसे चीख चीख कर यहां से निकल जाने का आदेश सा सुना रहीं थीं । कुछ पल दिमागी जद्दोज़हद के बाद संकेत ने शीशा नीचे कर दिया...


[ शेष अगले अंक में ...]


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