घनी सी रात में वो थरथराई सी हाइवे पर खड़ी थी , हर आते जाते मुसाफिर को हाथ देती । घनी सी रात में वो थरथराई सी हाइवे पर खड़ी थी , हर आते जाते मुसाफिर को हाथ देती ।
लेकिन आज सड़क वो बातें बयाँ नहीं कर रही थी जो वो हर रोज़ किया करती थी... आखिर क्या है उसकी कहानी ? जान... लेकिन आज सड़क वो बातें बयाँ नहीं कर रही थी जो वो हर रोज़ किया करती थी... आखिर क्या...
और फिर अपने रस्ते चलने लगा थोङी देर बाद मैंने पाया कि वो भी मेरे पीछे पीछे आ रहा है नन्हें नन्हें कद... और फिर अपने रस्ते चलने लगा थोङी देर बाद मैंने पाया कि वो भी मेरे पीछे पीछे आ रहा...
आँखों के कोरो में आंसू छिपाए वह रसोई से बाहर निकली। आँखों के कोरो में आंसू छिपाए वह रसोई से बाहर निकली।