"वो नन्हा पपी"

"वो नन्हा पपी"

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सङक के किनारे जा रहा था मैं

कल शाम यूँही टहलते टहलते

तभी अचानक इक नन्हा सा पपी

मुझे सङक के बीचो बीच नज़र आया

मासूम सा वो पपी भूरे चितकबरे रंग का

एकदम से घबरा गया

तेज दौङती हुई

भागती हुई गाङियो के शोर से

चकाचौंध से

मैंने झट से उसे उठाया

फुटपाथ से दूर रख दिया

और फिर अपने रस्ते चलने लगा

थोङी देर बाद मैंने पाया कि

वो भी मेरे पीछे पीछे आ रहा है

नन्हें नन्हें कदमो से धीरे धीरे

जैसै ही मैं ठहरा तो

सीधे आकर मेरे पैरों को चाटने लगा

ऐसे उछल कूद करने लगा

जैसे घर मिल गया हो उसे

मैंने उसे गोद में उठाया

और प्यार से सहलाया 

वो मासूम नज़रो से मुझे देख रहा था

और बहुत कुछ कह भी रहा था

मैंने उसे बिस्कुट खिलाया

फिर थोङा पानी पिलाया

इतनी देर में उसकी माँ आ गई

उसे तलाशते हुए ढूँढते हुए

मैंने ज्योंही उसे ज़मीन पर छोङा

वो तेजी से भागता हुआ

सीधा अपनी माँ से जाकर चिपट गया

उसकी माँ की आँखों में मैंने वही पानी देखा

जो हर माँ की आँखों में होता है

अपनी औलाद के लिए

जाते जाते वो नन्हा पपी

बार बार मुङ कर

मुझे देखे जा रहा था

शायद कहना चाह रहा था

शुक्रिया 'इरफ़ान' 

 

 


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