हा यही प्यार है (भाग - 5)
हा यही प्यार है (भाग - 5)
राहुल :- प्रिया चलो गाड़ी में बैठो, घर जाना है...
प्रिया :- क्यूं मैं तुम्हारे घर क्यूं जाऊं..?? मैं अपने गांव जाऊंगी...
राहुल :- प्रिया.. अभी तुम ठीक नहीं हुई है.. तुमको यहाँ ही रहना है..
प्रिया :- नही नहीं.. नहीं मुझे अपने घर जाना है.. तुम्हारे साथ क्यूं जाऊं.. मम्मी तुम बोलो ना, मुझे गाँव जाना है..
राहुल :- चुप. एकदम चुप.. चुपचाप गाड़ी में बैठ जाओ..
प्रिया :- गुस्सा क्यूं करता है, बैठती हूं ना..
प्रिया की मम्मी राहुल और प्रिया को देखती रहेती है.. और मन ही मन प्रार्थना करती है.. है ईश्वर तुम इन दोनों को कभी अलग मत करना.. इसकी जोड़ी सदा ये बना ये रखना..
प्रिया :- राहुल मेरा बैग उठाओ.. चलो..
राहुल :- नकचढ़ी.. इतनी मोटी हो गयी है, ठोकरे खा खा के, तो अपना बैग खुद उठा.. मम्मी.. आप मत उठाना.. वो खुद उठायेगी..
प्रिया :- uuuuuuuu.. राहुल.. फिर अचानक.. खड़ी रह जाती है.. और कुछ सोचने लगती है.. वो.. राहुल को देखती रहती है..
राहुल :- नकचढ़ी अब बैठ जाओ.. गाड़ी में.. क्या सोच रही हो.??
प्रिया :- कुछ नहीं.. बस.. सर भारी लग रहा है.
राहुल :- प्रिया, ज्यादा मत सोचना.. आराम से घर चलते है..
राहुल :- गाड़ी का हॉर्न बजाके.. चाचा, गेट खोलो..
वॉचमैन गेट खोलता है.. राहुल.. गाड़ी पार्क करता है.. और प्रिया और उसकी मम्मी को आउट हाउस में अंदर ले जाता है.. दोनों बहुत मस्ती करते है, लड़ते है.. झगड़ते है.. प्रिया अभी तो दिमाग़ से सोलह साल की लड़की है.. उम्र के नये पडाव पे है.. राहुल का साथ.. उसको.. शहद जैसा लगता है..
राहुल :- नकचढ़ी.. चल क्रिकेट खेलते है..
प्रिया :- ओह wow.. चलो.. राहुल और प्रिया बाहर पार्किंग में क्रिकेट खेलने जाते है.. राहुल उसके आसपास वाले को भी बुलाता है.. एक टीम बना के क्रिकेट खेलने लगते है.. प्रिया तो दादी है.. जोर जबरदस्ती आउट हुई हो फ़िर भी.. बैट छोड़ती नहीं है.. चीटिंग करती है.. और बाकी लोगो से फील्डिंग करवाती है.. लास्ट ओवर बाकी है.. प्रिया बैटिंग कर रही है.. प्रिया ने बॉल को यु मारा.. और रन लेने जाती है.. राहुल बॉल को कैच करके स्टंप आउट करने जाता है, तब तक प्रिया वापिस अपनी जगह पे आ रही है.. तभी प्रिया और राहुल टकराते है.. प्रिया स्लिप होके निचे गिरती है.. और राहुल उसके ऊपर.. दोनों एक दूसरे को देखते रहते है.. प्रिया को राहुल का उसके ऊपर यु गिरना, उसे छूना.. एक गज़ब का आकर्षण प्रिया के मन में जगाता है.. प्रिया तो उम्र में सोलह साल की.. राहुल के प्रति.. उसके दिल में दिमाग़ में खिचाव सा छा जाता है.. वो बहुत देर तक उसे देखती रहती है..
छा जाऊंगा तुझ पर बनके.. बादल
दिल में उतर जाऊंगा.. बनके.. अगन
न रोक पायेगी.. तू ये अब मेरा दिल है..
न रहेगी, हुकूमत तेरी उसपे..
ये अब मेरी रियासत है..
प्रिया को जैसे हवाओ में से आवाज़ आ रही हो.. वो पूरी तरह से राहुल के प्रति सम्मोहित हो रही है.. उसके लिये, आकर्षण महसुस कर रही है.. वो जैसे खो गयी हो.. वक़्त जैसे ठहर गया हो..
राहुल :- ऐ नकचढ़ी.. अब छोड़ेगी भी.. कब से पकड़ रखा है.. जैसे मैंने तुम्हारा कुछ चुराया हो.. और जैसे चोर हूं..
प्रिया.. बिलकुल शांत.. हो गयी है अंदर तूफान चल रहा है.. राहुल के लिये.. इतना आकर्षण.. उसकी छुअन.. सब अभी भी महसुस हो रहा है.. और मन ही मन सोचती है.. की हां, चुराया तो है मेरा दिल.. तुम चोर तो हो.. ही..
प्रिया राहुल की आँखों में देखती रहती है.. उसके मन में झांक रही है.. राहुल आज प्रिया का अलग ही प्रतिभाव देख रहा है.. प्रिया की आँखों में एक नयी चमक देख रहा है..
राहुल अभी तो अनजान है.. की सोलह साल की प्रिया.. उसके प्यार में पागल होती जा रही है.. ये वो प्रिया नहीं है जो.. जो बीस साल की है.. जो दिमाग़ से परिपक्व है.. जो खुद सोच समझ के decide करें की प्यार.. क्या है.. क्यूं है.. किस लिये है.. अब ट्रैजेडी ये होने वाली है की राहुल बीस साल की प्रिया को मुहब्बत करता है.. पर वो बीस साल की प्रिया अभी तो.. कही गुम है.. प्रिया के अंदर... अभी जो प्रिया है वो सिर्फ सोलह साल की है.. ये उम्र मे सिर्फ क्रश भी हो सकता है.. और गहरी मुहब्बत भी हो सकती है.. और राहुल को प्यार बीस साल की प्रिया.. जो दिलो दिमाग़ से बिलकुल नॉर्मल हो.. जो राहुल को सोच समझ के स्वीकार करें.. उसी प्यार का इंतज़ार है.. अब क्या होगा.. इसका इंतजार.. अगले.. part तक..
continue..