हा यही प्यार है (भाग -4)
हा यही प्यार है (भाग -4)
" ऐ खुदा कोई उसको याद दिलाये..
मेरी मुहब्बत की कशिश उन तक पहूँचाये
लुट जाऊंगा वरना.. जहाँ से चला जाऊंगा
न मैं बिन उसके ऐक पल जी पाउँगा.. "
राहुल अपने खुदा से फरियाद करता है ... अपनी मुह्हबत की भीख मांगता है..
एक्चुअली.. प्रिया की पिछले पांच बरस की मेमरी लोस हो गयी हैं .. वो कॉलेज के दिन, राहुल की दोस्ती सब भूल चुकी है .. वो स्कूल जाती हुई सोलह बरस की लड़की है दिमाग़ से.. उसे वहीं तक याद है।
प्रिया की मम्मी :" राहुल , बेटा सब्र रखो, प्रिया को जरूर सब याद आजायेगा, हम पूरी कोशिश करेंगे".. उसे सब याद दिलाने की.. राहुल प्रिया की मम्मी की गोद मे सर रख कर बहोत रोता है .....राहुल .. अपना हाल ठीक करके वापिस प्रिया के पास आता है।
राहुल : "पगली... ओ पगली"
प्रिया :" तुम कौन होते हो, तमीज से बात करो.. अगर तुमने मेरी देखभाल कीहैं तो इसका मतलब ये नहीं की तुम कुछ भी बोलो.."
राहुल : "तुम ऐक बार नहीं सौ बार पगली बस.. क्या कर लेगी..??"
प्रिया :" तुम होते कौन हो..? मुझे पागल बोलने वाले."
राहुल :"मैं ... तुम्हारा... लेट मी थिंक .. हाँ.. अब याद आया.. !!!."
प्रिया :-" क्या.. क्या हो तुम मेरे?"
राहुल :- "मेंटल हॉस्पिटल का डॉक्टर हूँ.. और तुम्हारा ईलाज मे करने वाला हूँ.. हाहाहाहा..".
प्रिया :-" चुप.. बिलकुल चुप.. पागल तो अभी तुम लग रहे हो.. हाहाहाहा... पागलो की तरहा.. दाँत दिखा रहे हो.."
राहुल :-"तुम पागल..".
प्रिया :- "तुम, तुम, तुम..."
प्रिया की मम्मी : -" अरे चुप हो जाओ दोनों.. पागल कोई ऐक नहीं दोनों लग रहे हो.. हॉस्पिटल कोई ऐसे सर पे लेताहैं ..? प्रिया की मम्मी दोनों को डाटती हैं" .. ओर राहुल के सामने धीरे से हंसती हैं .. ओर आँखों में पानी आ जाता है .. वो राहुल को इस हाल मे नहीं देख सकती हैं।
राहुल :- "प्रिया चलो ना.. हम लंगड़ी खेलते हैं ."
प्रिया :- "तुम खेलोगे मेरे साथ?"
राहुल :- "हाँ क्यू नहीं".. फिर दोनों लंगड़ी खेलते हैं .. एक दूसरे से झगड़ते हैं .. मस्ती करते हैं .. पूरा हॉस्पिटल सर पे लेते हैं .. डॉ को भी राहुल ओर प्रिया बहुत पसंद हैं .. वो लोग भी साथ में हँसी मज़ाक करते हैं ..
राहुल :- "ऐ नकचढ़ी.. ये फेस क्यू फुला हुआ है ..??"
प्रिया :-"मुझे चॉकलेट खानी है .. कितने दिनों से खायी ही नहीं"...
राहुल :- "बस इतनी सी बात.. पहले ये फूला हुआ फेस नोर्मल कर ओर स्माइल दे.. फिर चॉकलेट..".
प्रिया :- "सच्ची.. ना?".
राहुल :-" हाँ बाबा.. बिलकुल सच..नकचढ़ी..तेरी कसम.."
प्रिया :- "मेरी क्यू खाता है , अपनी कसम खा.".
राहुल :- "कसम मैं जो सबसे ज्यादा दिल के करीब हो उसकी खाता हूँ।"
प्रिया :- "तुम अभी क्या बोले? "
राहुल :-" कुछ नहीं.. बस.. यूँ ही बड़बड़ाता हूँ.. कुछ खास नहीं।"
प्रिया :- "हाँ तुम तो ऐसे ही हो..बिलकुल बुद्धू.."
राहुल का प्रिया की देख भाल करना,, उसका निस्वार्थ प्रेम, प्रिया की याददाश्त चली गयी है , लेकिन उसका राहुल के साथ फिर से वही दोस्ताना... उन दोनों की तकरार.. फिर रूठना, मानना.. क्या ये प्यार नहीं तो ओर क्या है ..??
हाँ, यही तो प्यार है।राहुल अपने पूरे कॅरियर को भूल के प्रिया की दिन रात सेवा करता है .. उसको उसकी फ्यूचर की परवाह बिलकुल नहीं है उसको ये भी नहीं मालूम कि प्रिया सम्पूर्णरूप से उसकी कभी होगी कि नहीं.. एक पत्नी.. जो तन, मन धन.. से अपने पति की हो जाती है .. अभी राहुल को कोई अंदाजा नहीं है फ़िर भी वो आज भी प्रिया के साथ है। हाँ, यही तो प्यार है।
डॉ :- "राहुल .. अब तुम प्रिया को घर ले जा सकते हो.. प्रिया अब बिलकुल ठीक है .. उसकी दिमागी हालत नाजुकहै.. ज्यादा स्ट्रेस कभी नहीं देना... भगवान तुम्हारा प्रिया के लिए जो प्रेम है.. एक दिन वो जरूर उनको न्याय देगा... बेस्ट ऑफ़ लक.. राहुल .. गॉड ब्लेस्स यू।"
राहुल प्रिया की मम्मी को.. :-"मम्मी आप लोग मेरे आउट हाउस मे रहोगे.. ओर कही नहीं।"
" ठीक हैं बेटा.. शुक्रिया बेटा.." प्रिया की मम्मी की आंखो में पानी आ गया.. अनजान शहर.. कहाँ जाते अगर राहुल सहारा न देता,राहुल तो जैसे बेटा बन गया उसका.... प्रिया की मम्मी को तो जैसे बेटा ही मिल गया हो।
