गूगल देवता

गूगल देवता

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"आखिर तुम्हें हो क्या गया है ?

इतने दिनों से तुम गूगल के रणक्षेत्र में अपनी कौशलता दिखला रहे हो और तुम्हारे फ्रेंड लिस्ट में सिर्फ १९४ मित्र ही हैं ?"

गूगल देवता के गंभीर प्रश्नों ने हमें झकझोर दिया ! वैसे तो इन बातों को हमेशा ही हम गुप्त रखते हैं पर अपने देवता को यदि नहीं बताएँगे तो हो सकता है हमें नरक जाना पड़े ! हमने हाथ जोड़ कर उन्हें प्रणाम किया और नम्रता पूर्वक कहा .......

" प्रभु ... फेसबुक तो मित्रों से भरा पड़ा है ! हमारे भी बहुत सारे मित्र थे ! वे एक बार मित्र तो बन जाते हैं पर हमें उनसे शिकायत रह जाती है !"

"शिकायत कैसी शिकायत ?.......जरा स्पष्ट करो मेरे वत्स !".... प्रभु ने पूछा !

" प्रभु ......हमें जब कभी किन्हीं व्यक्तिओं का फ्रेंड रिक्वेस्ट मिलता हैं तो सर्वप्रथम उनके प्रोफाइल को देखते हैं...और उनको हम मित्रता के बंधनों में जोड़ लेते हैं !"

हमारे आराध्य गूगल देवता शांत चित हमारी बातें सुन रहे थे ! हमें ख़ुशी हो रही थी कि प्रभु इतने व्यस्त होते हुए भी हमारी बातें ध्यान से सुन रहे हैं ! उन्होंने जिज्ञाषा भरे अंदाज पूछा- "ये तो अच्छी बात है मेरे वत्स।"

भगवन ...मत पूछिए ..... मित्र बनने के पश्चात हम सबको स्वागत पत्र लिखते हैं, आप ही बताए मेरे गुरुदेव

वे इन पत्रों के बाद अपनी सजगता तो फेसबुक के पन्नों पर लगातार दिखाते ही हैं पर उन्हें याद कहाँ कि कोई उनकी प्रतीक्षा कर रहा है !

दो शब्द जवाब तो लिख सकते हैं.? अपनी प्रतिक्रिया तो दर्शा ही सकते हैं ..?

प्रभु में संवेदनशील मित्रों की चाह है ..मित्रता की संख्याओं को बढ़ाने का लक्ष्य हमें उनसे जुड़ने का होना चाहिए न कि हमें किन्हीं को संख्या बल दिखानी है।"

और बहुत कुछ विस्तार से कहना था पर प्रभु ने हमसे कहा- "वत्स अभी मुझे शीघ्र अमेरिका जाना है।"

हमने प्रणाम किया, अभिवादन किया और वे अंतर्ध्यान हो गए फिर एक विचित्र आवाज हमारे कानों में गूँजने लगी।

नींद खुली तो देखा मेरे डेस्कटॉप का यू पी एस ..कों ..कों ...कों कर रहा था !


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