गुरुजी
गुरुजी


झक सफेद कुर्ता पाजामा प्रकाश जी की पहचान थी।
बीते कई वर्षों से यही पहनावा था उनका।
सरकारी विभाग में ऊंचे पद से सेवानिवृत्त हुए थे, लगभग ग्यारह वर्ष पहले। दोनों बेटों और बहुओं के साथ अपने बंगले में रहते थे। दोनों पोतों और दोस्तों के साथ समय आराम से कट जाता था।
अच्छी खासी पेंशन आती थी । बेटों का बिजनेस बहुत अच्छा चल रहा था। सुख चैन, आराम सब था। पत्नी की कमी कभी कभी खल जाती थी।
शाम का टहलना निश्चित था, जैन साहब, मुरारी लाल, गुप्ता जी, बंसल जी सभी शाम को पार्क में इकठ्ठे हो कर टहलते।
प्रकाश जी ग्रुप लीडर की भूमिका में रहते। हर बात पर उनकी राय ज़रूरी होती थी। प्रकाश जी आज कल यह बीमारी कौन सी आ गई है? चाइना मेड, बंसल जी ने पूछा। अरे भाई बीमारी तो है, पर शरीर को मज़बूत रखोगे बीमारी दूर से नमस्कार कर दूसरा दरवाज़ा ढूंढेगी। पर वो सिंहपुर का लड़का तो पच्चीस साल का ही है, कल भर्ती हुआ है जैन साहब बोले। तो ठीक हो जाएगा भाई मजबूत लड़का है प्रकाश जी का जवाब था।
देखो भई मास्क लगाओ नाक मुंह दोनों को कवर कर के
सामाजिक दूरी बनाए रखो जैसे हम सभी दोस्त करते हैं,
हाथों की साफ सफाई रखो । योग करो, प्राणायाम करो और हां आरोग्य सेतु ऐप ज़रूरी है,काडा ज़रूर पीना रोज़। प्रकाश जी ने समझाया।
पर फिर भी कोरोना हो गया तो मर जाएंगे भाई जी घर वाले घर से बाहर निकाल देंगे गुप्ता जी की आवाज़ में चिंता थी।
अरे नहीं भाई ठीक हो जाओगे अभी देखा नहीं इटली में अठानवे साल के बुजुर्ग ठीक होकर आये। देखो सकारात्मक दृष्टिकोण बहुत ज़रूरी है। इससे शरीर की रोग से लडने की ताक़त बड़ती है। समझे ?
जी गुरु जी, गुप्ता जी ने कहा और सभी ज़ोर से हंस पड़ें।