Avneet kaur

Romance

4.9  

Avneet kaur

Romance

गुमसुम

गुमसुम

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429


अंजान से दो लोग नायरा और समर 16 फरवरी 2018 को मिले थे। समय ने धीरे धीरे उनकी मुलाकातें बढ़ानी शुरू कर दी।और इसी के साथ वो दोनों अच्छे दोस्त बन गए।


पहली मुलाकात उनकी चाय पर हुई। तब उन्होंने एक दूसरे के साथ बहुत अच्छा समय व्यतीत किया। धीरे धीरे उनकी मुलाक़ातें बढ़नी शुरू हुई। जल्द ही दोनों एक दूसरे को काफी अच्छी तरह से समझने लगे थे जैसे वो दोनों दो नहीं, एक हों। दोनों को प्यार तो हो गया मगर प्यार के मायने दोनों को ही मालूम नहीं थे। देखते ही देखते काफी वक्त बीत गया।


प्यार तो हो जाता, 

उसका साथ देना भी ज़रूरी है

साथ रहेगें, ऐसे तो कह देते हैं

पर साथ रहना भी ज़रूरी है

ज़िन्दगी में किसी को लाना बहुत आसान है

मगर उसे किस्मत में लिखवाना बहुत ज़रूरी है


ऐसा ही हुआ, नायरा समर को अपनी किस्मत में लिखवा न सकी क्योंकि समर के परिवारजनों ने उसकी शादी कहीं और तय कर दी । जब यह बात समर को पता चली तो उसने नायरा को बताने का फैसला किया। जब नायरा को पता चला तो उसने तो जैसे अपना सब कुछ उसी पल गवाँ दिया।


अगर ज़िन्दगी में कोई मिले , तो शीशे की तरह होना चाहिए

क्योंकि शीशा ही है , जो हमारे साथ हस्ता भी है और रोता भी

अगर ज़िन्दगी में कोई मिले ,तो साथ देने वाला मिले

क्योंकि साथ तो खुशी और गमी दोनों में दिया जाता है


नायरा ने इन लफ़्ज़ों को सच कर दिखाया।उसने समर को उसी जगह शादी करने की सलाह दी , जहाँ उसके घरवाले चाहते थे। समर भी अपने परिवार और नायरा के बीच किसी एक को चुनने के लिए मजबूर था। पर नायरा ने समर का साथ नहीं छोड़ा।और फिर 27 अगस्त , 2020 को समर की शादी पक्की हो गयी, उसी जगह जहाँ उसके परिवार वाले चाहते थे।


शादी होने से पहले ही नायरा अंदर से बुरी तरह टूट चुकी थी। पर उसने कभी भी समर को अपने टूटने का एहसास नहीं होने दिया। जब भी समर नायरा से शादी के बारे में पूछता तो वह बस इतना कह देती की आप शादी कर लें और चुप हो जाती।नायरा की चुप्पी ने उसके अंदर काफी सवाल खड़े कर दिए थे जिसके जवाब उसके पास भी नहीं थे।जिस दिन समर की शादी थी, उसने नायरा को फ़ोन लगाया। नायरा ने उससे बड़ी हिम्मत करके बहुत अच्छे से बात की। मगर उसके बाद वो बस एक मिट्टी की मूरत बनकर रह गयी।


जब भी कोई अंदर से टूट जाता हैतो उसे अपने आप को इकठ्ठा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि जब भी वो अपने आप को इकट्ठा करने की कोशिश करता है, तो उसका स्वभाव बदल जाता हैतब उसे यह भी पता नहीं चलता कि कब वो दूसरों का दिल दुखा रहा है, कब वो खुद दुखी है


इसी तरह नायरा अंदर से पूरी तरह टूट चुकी थी पर फिर भी उसने समर का साथ नहीं छोड़ा।समर का साथ निभाते निभाते नायरा ने अपनी ज़िन्दगी का साथ छोड़ दिया।

किसी ने सही कहा है-

ज़िन्दगी के कुछ पन्ने दोबारा नहीं पढ़ने चाहिए

वक्त के साथ उनके मायने बदल जाते है

ज़िन्दगी में आया बुरा वक्त भी कभी याद नहीं करना चाहिये

क्योंकि वक्त के साथ उसके ज़ख्म गहरे हो जाते हैं!


इसी तरह गुज़रे वक्त को और याद करने से पहले मेरी कलम ने लिखना ही बंद कर दिया।


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