गुमसुम - 2
गुमसुम - 2
एक दिन फिर कलम उठाई और मैने लिखना शुरू कर दिया। समर और नायरा की कहानी।नायरा ने कहीं न कहीं अपनी ज़िंदगी का साथ छोड़ ही दिया था पर भगवान ने उसे ज़िन्दगी जीने का एक और मौका दिया। नायरा की ज़िंदगी में एक अनजान सा शख्स आया - आर्यन। आर्यन ने जिस दिन से नायरा को देखा था , उसे देखते ही प्यार कर बैठा। आर्यन उसे हर जगह मिलता, जिस जगह वह जाती। उसका हाल कुछ यूँ था-
इज़हार भी नहीं कर रहे
प्यार भी तुम ही से करते हैं
तुम्हें अपनी ज़िंदगी में लाने की कोशिश
हम हर रोज़ करते हैं
धीरे धीरे नायरा और आर्यन अच्छे दोस्त बन गए। कुछ ही वक्त में उस दोस्ती ने प्यार का रूप ले लिया।
कहते हैं न-
प्यार कभी दोबारा नहीं होता,
पर वह ही इंसान ज़िन्दगी में आये,
यह भी दोबारा नहीं होता।
नायरा अपना अतीत भुलाकर अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ चुकी थी। पर एक दिन आर्यन के एक सवाल ने उसे उसका अतीत फिर याद कर दिया।आर्यन ने पूछा कि क्या उसकी ज़िन्दगी में पहले कोई था ?नायरा ने अपना सारा अतीत उसके सामने खोल कर रख दिया। आर्यन तो सब सुनकर डर गया और चुप हो गया। वो नायरा को खोने से डरता था। नायरा उसकी चुप्पी समझ चुकी थी।
हम कुछ कह नहीं सकते पर
बहुत कुछ कहना चाहते हैं
चाहत हो तुम मेरी
तुम्हें ही अपनी ज़िंदगी में लाना चाहते हैं
खुदा की इबादत कर
तुम्हें अपनी किस्मत में लिखवाना चाहते हैं
हम जब भी कलम उठाएँ
बस हर बार तुम्हारा ज़िक्र लिखना चाहते हैं
नायरा ने जिस कलम का साथ छोड़ दिया था, आर्यन ने आज उसी कलम के साथ उसकी दोस्ती करा दी।