Avneet kaur

Drama Romance Fantasy

4.3  

Avneet kaur

Drama Romance Fantasy

तस्वीर

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अल्फ़ाज़ और माहिर बचपन के दोस्त थे। वो स्कूल स्व कॉलेज तक के वक्त में हमेशा साथ ही रहते थे। उन दोनों की दोस्ती एक मिसाल थी। अगर उनके बचपन की बात करें तो अल्फ़ाज़ के माँ बाप का देहांत हो चुका था और माहिर एक रईस खानदान का लड़का था। उनकी दोस्ती स्कूल में हुई थी।

 वो कहते हैं न कि बचपन का भोलापन कभी भी अमीरी और गरीबी नहीं देखता। वो दोनों अच्छे दोस्त बन गए। अल्फ़ाज़ को माहिर और उसके परिवार से बहुत प्यार मिलता। वो दोनों दो जान पर एक ज़िन्दगी थे।


कहते हैं कि एक इंसान को हमेशा ज़िन्दगी के साथ ही चलना पड़ता है। कॉलेज खत्म होने के बाद माहिर नौकरी के लिए अमेरिका चला गया और अल्फ़ाज़ दिल्ली में रह कर ही नौकरी करने लगा। वो दोनों एक दूसरे से बात करना कभी नहीं भूलते थे।

यूँ कहते हैं कि


दोस्ती हमें उस मंज़िल तक ले जाती है

जहाँ साँसें साथ छोड़ जाती हैं

पर दोस्ती नहीं छोड़ती।


एक दिन अल्फ़ाज़ की मुलाकात जन्नत से हुई, एक कार हादसे में। जन्नत यहाँ दिल्ली में अपने मामा मामी के पास घूमने आई थी। उसके माता पिता अमेरिका में रहते थे। जब अल्फ़ाज़ का जन्नत की कार से हादसा हुआ तो जन्नत को काफी चोट लग गई। अल्फ़ाज़ जन्नत को अस्पताल ले गया , और मरहमपट्टी करवा कर घर भी छोड़ गया।


सुबह की पहली किरण के साथ ही अल्फ़ाज़ जन्नत को मिलने उसके घर चला गया। ऐसे ही दोनों की मुलाकातें शुरू हो गईं और उन्हें एक दूसरे से प्यार हो गया।

थोड़े दिनों बाद ही जन्नत वापिस अमेरिका चली गई। वहाँ जाकर उसकी मुलाकात माहिर से हुई। माहिर और जन्नत एक ही जगह नौकरी करते थे। दोनों अच्छे दोस्त बन गए। माहिर को तो जन्नत से प्यार हो गया था। जन्नत तो सिर्फ अल्फ़ाज़ से प्यार करती थी। जन्नत नहीं जानती थी माहिर और अल्फ़ाज़ की दोस्ती के बारे में और उसने अल्फ़ाज़ को अमेरिका बुला लिया।

 

जब माहिर और अल्फ़ाज़ मिले तो दोनों बहुत खुश हुए। और उन दोनों को साथ देखकर जन्नत बहुत हैरान हुई।

जब अल्फ़ाज़ और माहिर, दोनों ने एक दूसरे को अपने प्यार के बारे में बताया तो उन्होंने जाना कि वो दोनों तो एक ही लड़की से प्यार करते हैं। दोनों ने सोचा कि वो दोनों ही जन्नत से अपने प्यार का इज़हार करेंगे। फिर जन्नत के हाथ में है कि वो किस से शादी करती है।

उन दोनों ने ऐसा ही किया, जन्नत को बुलाया और उससे अपने प्यार का इज़हार किया। एक वक्त के लिए तो जन्नत चुप हो गयी , फिर उसने दोनों से वक्त माँगा। 

जवाब में उसने माहिर से शादी के लिए हाँ कहा।


जन्नत ने ऐसा क्यों किया, प्यार किसी और से और शादी किसी और से?


बाद में पता चला कि जन्नत अल्फ़ाज़ से मिलने गई थी और उसने अल्फ़ाज़ से शादी करने के लिए भी कहा। पर अल्फ़ाज़ ने जन्नत से प्यार का एक वादा ले लिया कि अगर वो उससे सच्चा प्यार करती है तो वो माहिर से शादी कर ले।


जब माहिर को पता चला कि जन्नत ने शादी के लिए हाँ कर दी है तो वो बहुत खुश हुआ। माहिर ने माँ पापा से जन्नत के बारे में बात की। उन्होंने माहिर के फैसले को मान लिया और शादी के लिए हाँ कर दी। जल्द ही माहिर और जन्नत साथ रहने लगे गए। मगर, एक साथ रहने के बावजूद दोनों को अपनी हद मालूम थी। वो दोनों एक साथ दफ्तर जाते और साथ ही शाम को वापिस आते। दोनों के घरवालों ने शादी की तारीख पक्की कर दी। एक महीने बाद कि तारीख तय हुई।

दोनों शादी की तैयारियों में लग गए। माहिर ने अल्फ़ाज़ को भी शादी की तैयारियों में सहायता करने को कहा। अल्फ़ाज़ भी दोस्ती के खातिर आ गया और शादी के कामों में हाथ बंटाने लगा। अल्फ़ाज़ जब भी अपने और जन्नत के बारे में सोचता तो मन ही मन रो पड़ता था।

शादी होने के कुछ दिन पहले ही माहिर, अल्फ़ाज़ और जन्नत खरीददारी के लिए बाहर गए। तीनों काफी थक गए थे तो कॉफ़ी पीने के लिए रुक गए। तभी वेटर से गलती से कॉफ़ी माहिर पर गिर गई। माहिर कपड़े साफ करने के लिए चल गया। अब वहाँ अल्फ़ाज़ और जन्नत अकेले रह गए। पहले तो दोनों ही कितनी देर चुप रहे, फिर जन्नत ने ही हिम्मत करके बात शुरू की। दोनों अपने गुज़रे वक्त को याद करने लगे। उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि कब माहिर पीछे खड़ा उनकी बातें सुनने लगा। उन दोनों के प्यार की बात जानकर माहिर एक बार तो सकपका गया। पर उसकी खुशी के लिए जो दोनों ने बलिदान दिया था, ऐसे दोस्त पाकर वो बहुत खुश हुआ।


फिर शादी का दिन भी आ गया। जन्नत का मन बहुत घबरा रहा था। न वो अब पीछे हट सकती थी न ही अल्फ़ाज़ की ओर हाथ बढ़ा सकती थी। वो सुबह से ही उससे बात करने की कोशिश कर रही थी। मगर , न ही अल्फ़ाज़ से फ़ोन पर बात हो पाई, न ही वह उसे दिखाई दिया। सिर्फ जन्नत ही जानती है कि कैसे उसने अपने आँसू रोक रखें होंगे। सभी लोग दुल्हन का मुरझाया सा चेहरा देख हैरान थे, पर उसने थकावट का बहाना लगा बात टाल दी। शादी शुरू हुई और एक एक करके सभी रस्में भी पूरी हो गई। जिस दिन को सभी लड़कियाँ एक ख्वाब की तरह देखती हैं, वही दिन जन्नत के लिए किसी बुरे सपने जैसे बन गया था। जब शादी की तस्वीरों के लिए बोला गया, तब भी जन्नत के मन में कोई उत्साह नहीं था। फोटोग्राफर ने दूल्हा दुल्हन को एक दूसरे की ओर देखने को कहा, ताकि वह अच्छी सी फ़ोटो निकाल सके। जैसे ही जन्नत ने उसकी ओर देखा, तो उसकी आँखों से एकाएक आँसू बहने लगे। सेहरे के पीछे अल्फ़ाज़ खड़ा मुस्कुरा रहा था। दोनों झट से एक दूसरे के गले लग गए।


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