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Vimla Jain

Tragedy Action Inspirational

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Vimla Jain

Tragedy Action Inspirational

गुमनामी के अंधेरे

गुमनामी के अंधेरे

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कभी-कभी मां बाप अपने बच्चों को फेलियरनही सिखाते हैं।

हमेशा फर्स्ट आने की बात ही करते हैं।

और जो हमेशा फर्स्ट आता है वह अगर किसी समय पीछे रह जाए तो उसकी स्थिति इतनी खराब हो जाती है ,कि वह गुमनामी के अंधेरे में खो जाता है। 

यह कहानी एक ऐसी ही लड़की की है जो क्लास केजी से पढ़ने में बहुत ही होशियार थी।

और उसके दिमाग में बार-बार में उसके मां-बाप और भाई बहनों की तरफ से यह डाल दिया जाता था कि तू इतनी होशियार है। तेरे से ज्यादा नंबर तो कोई ला ही नहीं सकता। तू ही फर्स्ट रहेगी हमेशा जिंदगी में भी।

चांस की बात थी फर्स्ट से 11th तक वह हमेशा ही भले एक नंबर से आगे हो तो भी फर्स्ट आती रही ।

और उसके दिमाग में सफलता की राई भर गई।

हर समय बड़ी-बड़ी डींगे हांकने में उसका कोई मुकाबला ही नहीं था।

अपने सामने दूसरों को हमेशा तुच्छ समझती थी।

यहां तक की उसकी जो फास्ट फ्रेंड थी उसको भी वह अपने आगे कमजोर समझती। मगर सब समय एक सा नहीं रहता है।

ट्वेल्थ साइंस में उसकी फास्ट फ्रेंड उससे 25 नंबर आगे, और पूरे स्कूल में फर्स्ट आ गई। और उसका कहीं नंबर नहीं था।

इस बात का उसको इतना सदमा लगा कि वह डिप्रेशन में चली गई।

उसको बहुत समझाया गया।

मगर उसको तो उसकी खास दोस्त ही उससे ज्यादा नंबर ले गई इसको वह कुछ नहीं समझती थी तो वह बहुत अखर रहा था ।उसने उसकी खास दोस्त से बात करना भी बंद कर दिया ।

फिर उसकी खास दोस्त ने मेडिकल में एडमिशन ले लिया।

वह बहुत मुश्किल से डिप्रेशन से बाहर निकली ।

1 साल बर्बाद करके दूसरे साल वापस ट्वेल्थ का एग्जाम दिया ।

और मेडिकल में सलेक्शन हुआ मगर वहां थोड़े दिन गई।

और पता नहीं उसके क्या दिमाग में आया उसने वहां से भी छोड़ दिया।

और अपनी पढ़ाई भी बंद कर दी। ना घर की रही ना घाट की,

और इस तरह से एक बहुत ही होशियार काबिल लड़की खाली तू होशियार है तेरे सामने कोई कुछ नहीं की तरहकी परवरिश होने के कारण गुमनामी के अंधेरे में खो गई। और उसकी फास्ट फ्रेंड बहुत अच्छी काबिल डॉक्टर बनी, और बहुत नाम कमा रही है। ऐसा भी क्या ईगो कि अगर तुम से कोई नंबर कम लाए तो तुम उस पर हावी हो जाओ।

और कोई तुमसे आगे निकल जाए तो तुम उससे बात करना बंद कर दो ।

इस बारे में मैं  सारे लेखक पाठक गण से एक बात कहूंगी बच्चों को परवरिश ऐसी दो कि उनको सफलता के साथ फेलियर सहन करने की शक्ति भी दो ।

अगर फैलियर कहीं हो भी जाए तो उसका उत्साह तोड़ने की जगह उसको समझा कर उसका उत्साह बढ़ाने की कोशिश करो। क्योंकि जरूरी नहीं है कि जिंदगी में हर समय आपको सफलता ही मिले।

सफलता और असफलता दोनों ही जिंदगी के साथ चलते हैं।

इसीलिए सफलता को पचा ना और असफलता को सहन करना दोनों ही सिखाना मां बाप के परवरिश पर निर्भर करता है।

तो मेरी आप सब से हाथ जोड़कर नम्र विनती है कि मेरी इस बात को ध्यान से सुने। और अपनी जिंदगी में उतारे।

तो आपकी और बच्चों की दोनों की जिंदगी बढ़िया रहेगी।


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