गुलाल की महक
गुलाल की महक
सुनील और नूर एक दूसरे को कई वर्षों से जानते थे। एक दूसरे के पड़ोसी जो थे। धीरे-धीरे समय के साथ एक दूसरे के बेहद समीप आ गए और फिर नज़दीकियां प्यार में बदल गई। रोज मिलने लगे मोहब्बत की रफ्तार और सफर में वे दोनों ही बेहद खुश थे। फागुन के आते ही प्यार की पींगे ऊंचाइयों को छूने लगी। दोनों ही को होली का बेसब्री से इंतजार था। होली आई सभी लोग होली खेलने के लिए मोहल्ले में बाहर आए। गुलाल का रंग और महक चारों तरफ फैली हुई थी।
सुनील भी बेहद बेसब्री से नूर को गुलाल में रंगने को तैयार बैठा था। जैसे ही नूर अपनी सहेलियों के संग बाहर आई सुनील ने मौका देखते ही पीछे से आकर उसे गुलाबी रंग में रंग डाला । नूर खुश थी मगर कहीं एक डर भी था कहीं सुनील बेवफा ना हो जाए। इस तरह नाचते गाते होली का दिन निकल गया। होली के रंगों में प्यार के रंग को और गहरा कर दिया।
फिर एक दिन सुनील को अपने काम के चलते ऑफिस से शहर के बाहर जाना पड़ा। कुछ दिनों का कहकर सुनील ने नूर से विदा ली। नूर इस बात से उदास थी मगर सुनील को रोक नहीं सकती थी। तीन-चार दिन में ही सुनील लौट आया मगर वह कुछ बदला बदला सा था। नूर को उसका बदलाव समझ नहीं आ रहा था । सुनील ने अपने लौटने के बाद उससे मिलने की बेचैनी नहीं दिखाई। शायद वह अपने ऑफिस के काम को लेकर कुछ परेशान था। इस बात को लेकर दोनों में कहासुनी हो गई और बेवजह बात बढ़ती चली गई। दोनों में चाहे अनचाहे एक खामोशी और दूरी पनपने लगी। शायद नूर का डर उस पर हावी हो चला था। वह चाहती थी कि सुनील उसे मना ले मगर ऐसा नहीं हुआ। यूं ही खामोशी और अहम के चलते साल बीत गया और फिर एक बार फागुन आ गया।
नूर और सुनील दोनों के दिलों में बेचैनी थी ,पिछले साल की होली की कई यादें ताजा हो गई । लोग हर बार की तरह सुबह ही गुलाल ले मोहल्ले में बाहर निकल पड़े मगर नूर घर से बाहर नहीं निकली। गुलाल की रंगत और महक आज भी फिजा में हर बार की तरह ही फैली हुई थी। तभी खुशबू नूर की सहेली ने दरवाजे पर दस्तक दी और नूर को बाहर होली खेलने के लिए आवाज लगाई। नूर ने तबीयत ठीक ना होने का बहाना किया मगर खुशबू नहीं मानी और उसे खींचकर बाहर ले गई।
गली में सुनील को अपने मित्रों के साथ देखकर नूर आंखें चुराने लगी मगर सुनील को उसी का इंतजार था। सुनील बिना किसी खौफ के नूर की तरफ बड़ा और नूर को गुलाबी रंग में रंग डाला साथ ही उसकी मांग भी कर डाली। नूर की आंखों से पानी बरसने लगा उसने भी हाथ बढ़ा सुनील को गुलाल में रंग डाला। आज फिजा में फैले गुलाल के रंग और महक ने उनकी सभी दूरियों को मिटा डाला था। दोनों एक दूसरे का हाथ थाम होली की मस्ती से सराबोर हो गए। होली के रंगों में सब डर और अहम पीछे छोड़ दोनों सदा सदा के लिए एक दूसरे के हो गए।