आशीर्वाद
आशीर्वाद
मेरे प्रिय माँ, बाबूजी,
बिना भूमिका के मैं यह कहना चाहती हूँ कि मैं उस इन्सान से शादी नहीं करना चाहती हूँ जिसे आपने मेरे लिए चुना है। मैंने बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन आप लोगों ने मेरी बात नहीं मानी। मैं बालिग हूँ और अपनी जिन्दगी अपनी मर्जी से अपने हिसाब से बिताना चाहती हूँ इसलिए मैं ये घर छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए जा रही हूँ... मुझे माफ कर दीजियेगा और ढूँढने की कोशिश मत करियेगा।
आपकी रागिनी.....
रागिनी अपनी मेज पर इस पत्र को रखकर, अपना बैग उठाकर रात के अंधेरे में घर से निकल जाती है । रागिनी नहीं जानती थी कि उसका यह उठाया हुआ कदम उसे जिंदगी के किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर देगा। अक्सर जवानी के जोश और उमंगों की उड़ान में बहुत से फैसले जल्दबाजी में हो जाते हैं। मगर उसे राघव पर पूरा भरोसा था।
राघव स्टेशन पर आने का इंतजार कर रहा था। राघव एक सुलझा हुआ युवक था, दिल से रागिनी को चाहता था। उसके माता-पिता इस दुनिया में नहीं थे। उसने रागिनी को बहुत समझाने की कोशिश की कि वह उसके बाबू जी से बात कर उन्हें मना लेगा। वह पेशे से इंजीनियर था। रागिनी का कहना था कि पिताजी जातिवाद में विश्वास करते हैं और वह राघव को स्वीकार नहीं करेंगे। रागिनी की जिद के आगे राघव को रागिनी का साथ देना पड़ा और दोनों ने शहर छोड़ शादी करने का इरादा किया।अभी राघव यह सोच ही रहा था कि इतने में रागिनी स्टेशन पहुंच गई । दोनों गाड़ी में सवार हो अपनी नई जिंदगी के सफर पर निकल पड़े।
राघव ने अपना ट्रांसफर पहले से ही मुंबई करा लिया था। मुंबई पहुंच कर कुछ दोस्तों की मौजूदगी में दोनों ने शादी कर ली और कंपनी से मिले फ्लैट में अपना घर बसा लिया। शादी की दूसरी सुबह राघव ने रागनी को अपने घर फोन कर माता-पिता को सूचित करने के लिए कहा। राघव नहीं चाहता था कि रागिनी के माता-पिता किसी भी तरह की जनता में रहे। उसने रागिनी को समझाया । रागिनी के फोन करने पर उधर से बाबूजी के हेलो सुनाई दी। उनकी आवाज भराई हुई थी। बाबूजी मैं "रागिनी "मैंने राघव के साथ ब्याह कर लिया है और अब मुंबई शहर में अपने गृहस्थ जीवन की शुरुआत करने जा रही हूं जिसके लिए आप दोनों का आशीर्वाद चाहती हूं। बाबूजी ने बिना कुछ कहे फोन रख दिया शायद उनके लिए रागिनी के उठाए गए कदम को माफ करना मुश्किल था।
फोन बंद होते ही रागनी की आंखों से झर झर आंसू बहने लगे। राघव ने रागिनी का हाथ हाथों में लेते हुए कहा कि वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा। कुछ समय बाद हम दोनों जाकर मां बाबूजी को मना लेंगे तब तक उनका गुस्सा शांत हो जाएगा। रागिनी राघव जैसा जीवन साथी पाकर बेहद सुकून मे थी मगर अपनी इच्छा से शादी करने के बाद भी मां बाबूजी के आशीर्वाद की कमी रागिनी को खल रही थी। काश उसे मां बापू जी का आशीर्वाद भी मिल जाता।

