गुरु महिमा
गुरु महिमा


गुरु, एक आदरणीय व्यक्तित्व जो सदैव राह दिखाने का काम करता है। उस दिन मैं मार्केट से जब घर को लौट रही थी तो अचानक राह में स्कूल की हिंदी टीचर मिसेज मल्होत्रा से मेरी मुलाकात हो गई। बड़ी बात यह थी की मेरी हिंदी अध्यापिका ने मुझे इतने वर्षों बाद भी पहचान लिया और मुझसे मेरा हाल पूछते हुए कहा, कैसी हो खुश हो ना तुम? जी, मैं खुश हूं ,उत्तर देते हुए मैंने कहा। स्कूल की बहुत सी यादें ताजा हो गई। कुछ देर बातचीत होने के बाद उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया और हम दोनों अपनी अपनी राह पर चल दिए ।
यूं तो घर, पति, बच्चे बहुत से सवाल किए उन्होंने मुझसे मगर उनका वह प्रश्न कि खुश हो ना? जो उन्होंने सबसे पहले पूछा मेरे कानों में गूंजता रहा। घर पति बच्चों के बारे में जानने के बाद, जब उन्होंने कहा कि जिंदगी की सबसे जरूरी चीज खुशी होती है और तुम उसे किन्ही परिस्थितियों में खोने मत देना, वह बात मुझे अंदर तक छू गई। बातचीत के दौरान उस दिन मेरी हिंदी की अध्यापिका मिसेज मल्होत्रा मुझे जीवन का एक ऐसा संदेश दे गई जिसने मेरी जिंदगी को आसान कर दिया। आज भी मैम का चेहरा और उनकी बात मेरे ज़हन में जिंदा है।