हमसफर
हमसफर


सुबह का वक्त प्रभा पूजा कर रही थी मगर ध्यान नहीं लग पा रहा था। कल ही उसे पता चला कि उसे छाती का कैंसर है मन विचलित था कि आखिर यह सब उसके साथ क्यों हो रहा है ? आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वह ईश्वर से यह जानना चाहती थी कि आखिर ऐसा क्यों उसके साथ हुआ? उसने तो कभी किसी का बुरा नहीं किया शायद उसका आज ईश्वर के प्रति विश्वास डगमगा गया था। मनुष्य स्वभाव ही ऐसा है जब तक सब ठीक हो रहा हो तो आस्था बनी रहती है, जैसे ही कोई विपत्ति आई नहीं कि सवालों का सिलसिला शुरू हो जाता है।
प्रभा कहां हो तुम ? आमोद की परेशान आवाज बेडरूम से आई जिसका जवाब प्रभा दे नहीं पा रही थी। आमोद प्रभा को ढूंढता हुआ बाहर आ गया कल प्रभा की बीमारी का जान वह भी व्याकुल तथा सकते में आ गया था। प्रभा को घर के मंदिर में पा उस ने राहत की सांस ली। प्रभा क्या हुआ? हिम्मत से काम लो मैं तुम्हारे साथ हूं ,कुछ बातें हमारी समझ से पार होती है ईश्वर पर भरोसा मत छोड़ो।
आगे का सफर भी निकल जाएगा। प्रभा आमोद के गले लग फूट-फूट कर रो पड़ी। 3 बच्चे होने के बावजूद इस घड़ी में वह खुद को बेबस महसूस कर रही थी। सभी बच्चे जवान होते ही अपनी अपनी जिंदगी में मशरूफ हो गए थे अगर कोई सा था तो आमोद उसका हमसफर।
प्रभा सोच रही थी कि कैसे एक लंबा सफर दोनों ने साथ मिलकर तय किया। बच्चे बड़े होते ही अपने सफर पर निकल गए मगर वह दोनों आज भी वही खड़े थे जहां से शुरू हुए थे। देखो प्रभा विश्वास और हिम्मत बहुत बड़ी ताकत होते हैं ,जरूर कहीं जाने अनजाने में हमसे कहीं कोई भूल हो गई होगी। जिंदगी उतार-चढ़ाव का ही नाम है। हम एक दूसरे के सुख दुख के साथी हैं, जिंदगी लंबी नहीं अच्छी होनी चाहिए।
अब हम अपनी जिंदगी को भरपूर जिएंगे हिम्मत रखोगी तो तुम्हारी बीमारी भी तुम्हारे आगे हार मान लेगी। हम दोनों यह सफर हंसते-हंसते तय करेंगे देखो सूर्यप्रकाश हो चला है, जिंदगी का नया आरंभ। चलो चाय पिए फिर आगे की तैयारी।
प्रभा आमोद की आंखों में प्यार और विश्वास देख मुस्कुरा उठी। तुम साथ हो तो मुझे जिंदगी का हर फैसला मंजूर है प्रभा ने कहा। परमात्मा भली करेगा, आमोद ने प्रभा का माथा चूम लिया और दोनों हाथों में हाथ लिए किचन की और चाय के लिए चल दिए।