Kalyani Nanda

Inspirational

3.8  

Kalyani Nanda

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ग्रीन जोन और ट्राफिक सिग्नल

ग्रीन जोन और ट्राफिक सिग्नल

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चमेली आज बहुत खुश थी । लॉक डाउन के लिए इतने दिन तक पूरे शहर में चुप्पी छा गयी थी । रास्ते जैसे सो गये थे । कोई चहल-पहल नहीं । कोई आता जाता नहीं था । सब कोई घर में बन्द । चमेली तो जैसे ऊब गयी थी । बारह साल की चमेली , फूलों के गुलदस्ते बेचती है । लेकिन इतने दिन लक डाउन के चलते उस के गुलदस्ते बेचने का काम बन्द हो गया था । अब उनका शहर में ग्रीन जोन हो गया है । सवेरे सात बजे से शाम तक कुछ दुकान और बाजार खुला रहेगा । इसीलिए फिर से वह अपने झोपडी के पास के बगीचे से कुछ फूल ,पत्ते लाकर गुलदस्ता बनाकर बेचने के लिए निकली थी । चमेली गुलदस्ता बहुत अच्छा बनाती थी । उसकी माँ कुछ घरों में झाडू पोछा और वर्तन साफ करती थी । इन दिनो उसकी भी काम पे जाना बन्द हो गया था । लेकिन वह जहाँ काम करती थी वे उसकी पगार देते थे । उसी से इन दिनो उनका गुजारा जैसे तैसे करके चलती थी ।

चमेली ने देखा ट्राफिक का रेड सिग्नल हो गया था । कार, बाइक सब रूक गये थे। चमेली दौड़ी । हर एक कार के पास जाकर गुलदस्ता लेने के लिए कहने लगी । एक ही बेच पायी । ग्रीन सिग्नल हो गया । गाडियाँ सब आगे धीरे धीरे रेंगने लगी । चमेली फिर फुटपाथ के पास एक पेड़ के नीचे खड़ीi हो गयी । उसके पास और तीन गुलदस्ते थे । तभी कुछ लोग ट्राफिक चौक के पास ना जाने क्यूँ हो हल्ला करने लगे । फिर से गाड़ी रूकने लगी । तभी फिर से रेड सिग्नल भी हो गयी । गर्मी बहुत थी आज । चमेली भी गर्मी के लिए बेहाल हो रही थी , लेकिन क्या करे ? बाकी तीन गुलदस्ते उसे बेचने ही थे । वह फिर दौड़ कर गयी । एक एक गाड़ी के पास। तभी एक गाड़ी जो साइड में थोडी पीछे थी , उसकी नजर पडी । भागती हुई गयी वह। लोगो के झगडे करने के लिए सब गाडियाँ आगे जा नहीं पा रही थी । लोग भी झल्ला रहे थे । लेकिन चमेली को उसकी कोई चिन्ता नहीं थी। उसे तो बस अपने गुलदस्ते बेचने से मतलब थी । एक गाड़ी के पास खड़ी होकर देखा अन्दर एक बुजुर्ग महिला ड्राइविंग सीट पर बैठी थी । गर्मी से शायद वह थोडी अस्वस्थ लग रही थी । चमेली उनको जब पास से देखा तो वह उन्हे पहचान गयी । "अरे , मेडम आप है ? उस दिन आपने गुलदस्ते लिये थे मुझसे । मुझे आपको तीस रूपये लौटाने थे । उस दिन छुट्टे नहीं थे मेरे पास ,लेकिन आज है।अच्छा हुआ ,आज आप मिलगये । " उस महिला ने उसको देखा और वह भी पहचान गयी । लेकिन गर्मी के कारण वह कुछ ज्यादा परेशान लग रही थी । उनकी हालत देख कर चमेली ने उनको कहा," मेडम, आप थोड़ा अपनी गाड़ी को थोड़ा घुमाकर उस फुटपाथ की ओर ले चलिए । वहाँ थोडी देर पेड के नीचे खुले में थोडी देर बैठेंगे तो आपको आराम मिलेगी । आपकी तबीयत ठीक नहीं लग रही ।आ जाइए , मैं वहाँ हूँ ।" उस महिला ने गाड़ी घुमाकर उधर पेड के पास ले जाकर , गाड़ी बन्द करके ,उतर कर पेड के नीचे एक बेंच पर जा कर बैठ गयी । चमेली अपने गुलदस्ते वहाँ उनके पास रख कर बोली," मेडम, मेरे ये गुलदस्ते आपके पास हैं। आप यहाँ बैठी रहें । मैं जा कर आपके लिये एक पानी के बोतल ले आती हूँ । " इतना कहकर कर वह पास के एक दूकान से पानी के एक बोतल ले कर आ गयी और मेडम को वो बोतल दिया । उसने थोड़ा पानी पीने के बाद थोड़ा आराम महसूस किया । फिर उस महिला ने पानी बोतल के पैसे चमेली जब देना चाहा तो चमेली ने कहा, " नहीं मेडम,आपको तो मुझे तीस रूपये लौटाने थे ।उसी से बीस रूपये में ये पानी के बोतल लाई । बाकी ये आपके दस रूपये लीजिए ।" इतना कहकर कर जब उन्होने पैसे लौटाने लगी , वे बुज़ुर्ग महिला , उसे बहुत प्यार भरी नजर से देख कर बोली, " तू सच में कितनी अच्छी और ईमानदार है । आजकल ऐसे लोग कहाँ मिलते हैं ? ऐसे ही रहना तू सदा । मैं तेरे ये सारे गुलदस्ते ले लूंगी ।" ये कहकर उसने उसे सौ रूपये दिए। फिर वह उसके माथे पर हाथ रख कर आशीर्वाद देकर गाड़ी की ओर बढ़ गयी। चमेली उनको जाते हुए देख रही थी । वह महिला अपनी गाड़ी में बैठकर फिर से चमेली की ओर देखा , और मुस्कुराती हुई चमेली को देख कर सोच रही थी, कितनी अच्छी थी, कितना भोलापन था उसके चेहरे में। अगर ऐसे ही लोग एक दूसरे के प्रति ऐसी सद्भावना रखें सचमुच दुनिया के हर कोना ग्रीन जोन हो जाएगा । धरती में सच में हरियाली छा जाएगी । ना रहेगा रेड का भय ना रेड सिग्नल देगी रूकने के लिए। मानव की मानवता, ईमानदारी के ग्रीन सिग्नल से ही जिन्दगी की गाड़ी आगे बढ़ पाएगी ।




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