मुझे भी चाहिए
मुझे भी चाहिए
"माँ, बीस रूपया दोगे क्या ? दोनो बच्चों को बहुत बुखार है। मेरी भी तबीयत ठीक नहीं है। हॉस्पिटल जाना है। मेरा नहीं तो बच्चों को तो दिखाना पडेगा।" कमला ने बहुत असहाय होकर कहा। उसकी सास सुषमा ने उसकी तरफ देखा भी नहीं।
बड़ी बेरूखी से उसने कहा," मेरे पास कहाँ से आऐंगे पैसे ? अब तो महीना भी खत्म होने को है। पेंशन के जो भी पैसे थे वो भी खत्म हो गये हैं।" सुषमा ने मुहँ बनाकर कहा और दुसरी तरफ मुहँ फेर लिया।"
नानी, नानी दस रूपया दो ना। चॉकलेट खरीदेंगे।" सुषमा की बड़ी लड़की का बेटा बडे लाड से पैसा मांग रहा था।
"अच्छा, अच्छा ठीक है। यह बीस रूपया लो। अपने लिए चॉकलेट खरीदना और नुक्कड़ के पान वाले से दो पान बनाकर मेरे लिए लाना।"सुषमा ने बडे प्यार से बीस रूपये पोते को दिया। लाचार सी कमला आंखो में आंसू लिए सास को देख रही थी। तभी उसका बेटा उसका आंचल पकड़ कर कह रहा था, " माँ, माँ मुझे भी चॉकलेट चाहिए।"