गर्भपात

गर्भपात

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“चाचा ओ चाचा (घोंसला ) सो गये क्या ? ” सभी बच्चे (अंडे) एक साथ चिल्लाने लगे।

“हाँ थोड़ी झपकी लग गई। घर का मुखिया हूँ ना रात को ठीक से सो भी नहीं पाता।”

‘सो तो है चाचा, आप सर्दी-गर्मी, आंधी-तूफ़ान सभी से हमें बचाते हैं। पर, चाचा बात ही कुछ ऐसी है बहुत घबराहट हो रही है।”

“क्या बात है ? बताओ।”

कल हमने मकान मालिक को बोलते सुना था, “अगले हफ्ते दीपावली है , घर के कोने-कोने की सफाई होगी, और रंग-रोगन भी।

चाचा, अब, हमलोगों का क्या होगा? यहाँ हम, सीढी-घर के रोशनदान में कितने बेफिक्र और महफूज रहते आये हैं। आज बहुत भयभीत हैं दीपावली की सफाई में, हमारी भी सफाई तय ही समझो!” सभी बच्चे भावुक होकर बोले।

“अरे शुभ-शुभ बोल। चिंता किस बात की, मैं हूँन !” चाचा खखसकर बोले

“धपरधपर, लगता है कोई सीढ़ी से ऊपर चढ़ रहा है। वो सामने, देखियेआ गई महिला सफाईकर्मी। चाचा, वो किसी को नहीं बख्शेगी। बहुत निर्दयी होकर झाड़ू चलाती है। सोचेगी भी नहीं कि इसमें किसी जोड़े का सपना सजा है।" सफाईकर्मी को देखते ही बच्चों में हडकंप मच गया।

”बच्चों, जब तुम्हें पता था, तो तुमने अपनी माँ को क्यों नहीं बताया ? वो आज तिनका लाने नहीं जाती ?” मौत को सामने खड़ा देख, चाचा खुद को असहाय महसूस करने लगे।

“हमें माँ की चिंता सताए जा रही है। चाचा, वो यहाँ पहुंचेगी और हमलोगों को ढूंढेगी, हमारे लाश का जब कोई ठिकाना उसे नहीं मिलेगा, फिर क्या बीतेगी उस पर! बेचारी के सभी संजोये सपने दीपावली के चकाचौंध में तिनके की तरह बिखर जाएगा।”

सफाईकर्मी, तेजी से करीब आ पहुंची। उसके हाथ की झाड़ू पर नजर पड़ते ही, बलि के बकड़े की तरह हम सभी कांपने लगे। 

वो हमारे करीब आकर फुसफुसाई, “ बहुत तेज दर्द हुआ था मुझे जब मेरे घरवालों ने भ्रूण-परीक्षण के बहाने मेरा गर्भपात करवाया था। बच्चों, मैं भी स्त्री हूँ, तुम्हारी माँ की पीड़ा अच्छी तरह समझ सकती हूँ। “ 

दृढ़ता से कहते हुए सफाईकर्मी ने अपनी दिशा बदल ली।


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