Rajnee Ramdev

Abstract

4.5  

Rajnee Ramdev

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गरबा रास

गरबा रास

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अर्चना जी अपने कमरे में बैठी पति की तस्वीर से कुछ बातें कर रही थी। तभी कक्षा 2 में पढ़ने वाली उनकी पोती पल्लवी दौड़ती हुई आई और उनके गले से लिपट कर जोर से चिल्लाई....दादीईईई

अर्चना जी ने प्यार से एक चुम्बन अंकित किया उसके गाल पर और फिर खुद से अलग करते पूछा।

अब बता...क्या बात है

पल्लवी---दादी हमारे स्कूल में grand parents day पर एक आयोजन हो रहा है। उसमें सबकी दादा दादी को गरबा रास करना है। अर्चना जी हैरान सी बोली... बेटू गरबा रास के लिए एक साथी आवश्यकता होती है पर तेरे दादा जी तो वहाँ ऊपर परियों के संग गरबा रास करने चले गए।

पल्लवी.... आप चिंता मत करो मेरी friend सृष्टि है न, उसकी दादी भी नहीं हैं और हमने उनके दादू को आपके साथ गरबा रास करने के लिए राजी कर लिया है। अर्चना जी ने आज तक कभी पल्लवी को कुछ भी मना नहीं किया था लाडली जो ठहरी उनकी। पर मन ही मन घबराहट थी कि एक अनजान व्यक्ति के साथ कैसे नृत्य कर पायेंगी वो भी उम्र की ढलान पर.......

आयोजन के दिन पल्लवी ने दादी को लहंगा चोली पहनाई और सृष्टि ने दादू को धोती कुर्ता और दोनों उनके साथ स्कूल पहुँची।

वहाँ दोनों एक दूसरे से पहली बार मिले।

सृष्टि---ये मेरे दादू..निरंजन कोहली

पल्लवी---ये मेरी दादी..अर्चना श्रीवास्तव

पर उन दोनों को कुछ भी सुनाई नहीं दिया ।इतने साल बाद अमना-सामना होने पर भी वो एक दूसरे को पहचान गये थे लेकिन गुजरे वक्त को हावी न होने देते हुए बहुत ही औपचारिकता से दोनों ने हाथ जोड़ दिए।

दोनों बच्चियाँ स्टेज के सामने जा कर बैठ गई। नाम पुकारे जाने तक दोनों पुरानी यादों में डूबते उतराते रहे.... पर एक दूसरे से कुछ बोल नहीं सके।

Mr. Niranjan n mrs. Archna सुनते ही दोनों स्टेज पर पहुँचे और एक दूसरे का हाथ थामने साथ साथ अपनी प्रीत के दिनों में पहुँच गये और अब वो दादू निरंजन और दादी अर्चना नहीं थे अब वो सिर्फ निरंजन अर्चना थे।जिनके सपने कभी अधूरे रहे थे। music के साथ हाथों के डांडिया तो चले लेकिन जो पैर भी थिरके, काबिले तारीफ थे।

स्टेज पर अनाउंसमेंट हुई प्रथम गरबा रास विजेता है आद0 निरंजन कोहली और आद0 अर्चना श्रीवास्तव जी....

पल्लवी और सृष्टि गर्व से दादा दादी के साथ खड़ीं थी बिना कुछ समझे !


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