शायद इसी को चाहत कहते हैं। शायद इसी को चाहत कहते हैं।
पल्लवी और सृष्टि गर्व से दादा दादी के साथ खड़ीं थी बिना कुछ समझे ! पल्लवी और सृष्टि गर्व से दादा दादी के साथ खड़ीं थी बिना कुछ समझे !