ट्रिपल तलाक
ट्रिपल तलाक
अख़्तर खान सरकारी मुलाज़िम था। परदा नशीं बेग़म भी बेहद खूबसूरत थी और दो प्यारी प्यारी बेटियाँ निदां और निशा के साथ खुशहाल परिवार था। मियां बीवी का प्यार देख दुनियाँ रश्क़ करती।
अचानक एक दिन न जाने किस बात पर मियां बीवी का झगड़ा हो गया..झगड़ा भी इसकदर बढ़ा कि खान साहब ने ग़ुस्से और जोश ने वो तीन शब्द बोल दिये ...तलाक , तलाक, तलाक।
बेग़म सकते! में आ गई ये क्या हुआ?? बेग़म तो बेगम साथ ही खान साहब भी एकदम से खामोश हो गए पर अब कुछ हो नहीं सकता था। झगड़े की वजह भूल दोनों इस मसले पर बात करने लगे कि अब क्या हो?? अगर इसे अमलीज़ामा पहनाते हैं तो बच्चियों का जीवन तबाह और अगर नहीं तो अपनी नज़रों में ग़ुनाह....क्या करें और कैसे हल करें कुछ दिन ऐसे ही बीत गए।
तय हुआ कि किसी को बताए बिना बेगम का निकाह पढ़वा....फिर तलाक दिलवा जिंदगी दोबारा शुरू की जाये। उन्ही दिनों अहमद खान नौकरी ढूंढने उनके गाँव से उनके घर आया हालांकि कम उम्र होने के बावजूद ये सोचा गया कि सिर्फ कुछ समय की बात है ...उसे तैयार किया गया। चुपचाप निकाह पढ़वा दिया गया।
अब स्थिति बदल गई इतनी सुंदर बेग़म पाकर अहमद फूला नहीं समा रहा था पर सिक्के का दूसरा पहलू तब सामने आया जब खूबसूरत और गबरू अहमद पर बेग़म का दिल फिसल गया। अब खान साहब कहते रहे पर दोनों में से कोई राज़ी नहीं हुआ और अहमद अब आराम से उन्ही के घर में रहने लगा....लोगों में खुसुर पुसुर भी हुई पर उन्होंने इसकी कोई परवाह नहीं की। बच्चियाँ भी अब बड़ी हो रही थी और शायद सब समझने लगीं थी
खान साहब ने अपना तबादला दूसरे शहर करवा लिया और गाहे बगाहे आकर चक्कर लगा जाते थे। पर मानसिक तनाव से खान साहब लकवाग्रस्त हो गए...बेगम उन्हें घर ले आई पर खान साहब कुछ बोल नहीं पाते थे। सिर्फ छत ताकते रहते और आँखों से पानी गिरता रहता, एक दिन चुपचाप दुनियाँ से चले गए दिल में बहुत सी बातें लिए।