ग्राउंड फ्लोर
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राजेश शर्मा नामक युवा शिमला के किसी कार्यालय में शिक्षक बतौर पार्ट टाइम जॉब करता था। अविवाहित और अकेला रहता था। इसी कारण किराया कम लगने की वजह सबसे निचले मंजिल में रहता था। रसोईघर में सामान जुटाते तक खान पान मनचाहे ढाबा में करता था।सुबह शाम थककर आता और आस पड़ोस में कौन क्या करता कोई पता नहीं होता था। मस्तमौला स्वभाव का फक्कड़ इंसान था। उसके साथ वाले मकान में पड़ोसी नया आया था। उसकी दो संतान थी। दोनों हंसमुख स्वभाव की अक्सर छुट्टियों में उसे चाय पानी के लिए बुलाते। कुछ ही दिनों में एक लड़की से प्यार हो गया। नजदीकियां बढ़ने लगी। अकेला होने के कारण लड़कियों और सभी से घुल मिलकर रहने लगा। कभी कभार कैरम भी खेलते थे। संडे को पिक्चर देखने दो तीन जने अक्सर जाते थे। राजेश के पास पैसे तो थे लेकिन कम। पिक्चर ही देख सकते थे लेकिन खा पी नहीं सकते थे। अक्सर हाउस फूल का बोर्ड लगा जाता था। उस दिन अचानक लड़की अकेली थी। पिक्चर देखकर बाहर निकलते ही दोनों में नजदीकियां और बढ़ने लगी। लड़की पूछती तुम्हारे पास कितने पैसे है। पुस्तक भी खरीदनी है। परीक्षा होने वाले हैं। उसने पुस्तक खरीद कर दी। एक दिन उस पुस्तक को राजेश ने पढ़ने के लिए रखा। उसकी नजर फोटो पर गई। लड़की ने अपना फोटो पुस्तक में रखा था।
फोटो देख वह ख्यालों में खो गया।अभी शादी भी तो नहीं हुई है मेरी!पूछ लेता हूं! क्या पता बात बन जाए।
कुछ दिनों बाद वह पुस्तक लौटाने गया। अपना कमरा खूब सजा रखा था। उसने सोचा पुस्तक लेने आ जाए कहीं लड़की तो क्या सोचेगी। कमरे में समान बिखरा पढ़ा था। मन में सोचा एक दिन फिर पिक्चर देखने का बहाना बनाया जाए। उसने दरवाजा नोक किया तो आंटी ने बाहर निकल कर कहा! वे एक दिन पहले यहां से चले गए। छुट्टियां बिताने आए थे।एक दिन सेमिनार के लिए दिल्ली जाना हुआ। वह अपने रिश्ते दार के वहां रहने गया। शॉपिंग के लिए मार्केट निकला। ऑटो से निकलते ही सड़क के दूसरी तरफ लड़की हाथ हिलाने लगी। उसने गौर से देखा लड़की वहीं है जिसका नाम प्रमिला है।
लड़की ने पर्स से निकाल कर उसके हाथ काजू दिया।
लकड़ी ने पूछा तब से तुम शिमला मे ही हो? यहां कैसे आना हुआ।
राजेश ने सोचा चाय पिलाया जाए। लेकिन पैसे भी तो कम है। यहां तो पिक्चर देखना भी महंगा है। उसने बाजार से सामान लिया और चल दिया। लड़की अपनी बहन के पीछे चल पड़ी। उसे बाय किया कहा कि फिर मिलेंगे दोबारा आऊंगी शिमला कहकर चल पड़ी।राजेश शिमला पहुंचकर चाय बिस्किट नमकीन स्वाद चखने लगा। उस पुस्तक में फोटो देखता रह गया।
इस बार शिमला आऊंगी तो आइस क्रीम भी खाऊंगी। अक्सर दोनों रिज के साथ लगे पिज्जा हट पर नूडल्स और पकोड़े का स्वाद चखते हैं। साथ लगे आइस क्रीम की दुकान में पेड़ के छांव तले ठंडक महसूस करने लगते। बाजार की रौनक देखते और फिर मिलेंगे कहकर लौटते।
दिल्ली में राजेश सरोजनी नगर इलाके का दिनभर चक्कर लगता मेरा और राजेश के साथ सेमिनार में ही मिलते। प्रमिला को मिलने अक्सर मार्केट का चक्कर काटते हुए समय बीत जाता। मैंने राजेश से कहा अब वो समय नहीं हम जहां मर्जी घूमते थे। अब कहीं भी जाना हो मास्क जरूरी है। सभी का चेहरा न दिखे तो कैसे तुम प्रमिला को जान सकोगे। मिलना तो दूर की बात देखना भी दूभर हो गया।