मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Abstract

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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गो कोरोना गो...

गो कोरोना गो...

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कोरोना वायरस का प्रकोप सारी दुनिया को सता रहा है । इस गंभीर समस्या से भारत भी अछूता नहीं बचा है । स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट होकर अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से कर रहा है । देशभर में लॉक डाउन लगा दिया गया है । देश की जनता घरों में कैद करा दी गई है, यह उनके हित के लिए ही किया गया है ह।

तभी रातों-रात अपने दाव-पैंच चलाकर बने एक नये मुख्यमंत्री जी टी. वी. पर आ धमके । कोरोना पर ऐसा ज्ञान झाड़ा कि एंकर बेहोश होते-होते बचा । जब एंकर साहब को होश आया तो मंत्री जी से सवाल पूछ लिया -

‘सर, जब सारे देश में जनता कर्फ्यू लगा था, उस समय आप बिना मास्क लगाये सैकड़ों लोगों के बीच में सपथ ग्रहण समारोह का आयोजन कर रहे थे, तब आपको कोरोना का डर नहीं लगा । आज आप स्टूडियो में मास्क-वास्क लगाकर आये हैं, समारोह में तो आपके मुँह पर कहीं मास्क-वास्क नहीं था । ’

मंत्रीजी एक विचित्र सी कुटिल मुस्कान बिखरते हुए बोले -‘ हमें जनता की चिंता है, स्वयं की नहीं । हम बड़े बैचेन थे जनता की सेवा करने के लिए । ’

एंकर साहब सब समझ रहे थे मंत्रीजी के हृदयभाव -

‘अच्छा तो अब आपने जनता की भलाई के लिए और कोरोना से लड़ने के लिए क्या रणनीति बनाई है । ’

‘जनता लॉक डाउन के समय घरों में छिपी रहेगी । यह कोरोना पर कड़ा प्रहार है । अगर जनता बाहर निकली तो हम सरकारी वायरस का प्रयोग कड़ाई से करेंगे । ’

एन्कर साहब एक नये वाइरस, सरकारी वायरस का नाम सुनकर चोक गये । उन्होंने मंत्रीजी से इसके बारे में भी पूछ लिया ।

मंत्रीजी शक्तिमान सीरियल के किलविष वाली हँसी हँसते हुए बोले -‘सरकारी वाइरस मतलब लट्ठ चटकाई’...

अब एंकर साहब पूरी तरह से समझ चुके थे कि वाकई इस देश की जनता इसी के काबिल है जो पूर्ण अंधविश्वासी होकर जाहिल गंवारों की तरह कोरोना जैसे खतरनाक वायरस को भगाने के लिए पागल बनकर ताली, थाली, ड्रम, टीन-टप्पर न जाने क्या - क्या बजाती हुई विजय जुलूस निकाल चुकी थी, मानो पाकिस्तान का विलय भारत में हो चुका था ।

एन्कर साहब पुनः होश संभालकर सवाल करने लगे -‘ तो सर! देश की जनता के लिए रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं और खासकर मजदूर वर्ग के लिए आपने क्या सोचा है । ’

मंत्रीजी अपनी घड़ी देखते हुए बोले -‘ अब हमारे निकलने का समय हो गया है, गो कोरोना गो...!’

और मंत्री जी चले गये ।



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