गलतफहमी से बर्बाद घोंसला
गलतफहमी से बर्बाद घोंसला
गलत तरीके से दूसरे के आपसी प्यारे रिश्तों को बर्बाद करने के लिए खेली गई शब्दों की चाल जो शब्दों के पंख लगा कर शब्द अफवाह और शक में बदल गए उस पर यह कहानी पर एक बात याद आ रही है ।
शक जिंदगी के अंदर इतना जहर घोल देता है की अच्छी खासी जिंदगी बर्बाद हो जाती है।
किसी ने जलन में आकर पत्नी के मन में शक पैदा करा पति के विरुद्ध गलत शब्दों से पत्नी के कान भरे और अंजाम गलतफहमी के शब्दों का शक अगर लड़की के विषय में हो तो भी और लड़के के विषय में हो तो भी जहर दोनों की जिंदगी में ही घुल जाता है। आज की यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है।
वह दोनों इतने अच्छे पढ़े लिखे समझदार और बहुत अच्छे परिवार से थे ।उनका विवाह हुआ तब पूरे समाज में सब लोग ऐसा मानते थे कि कितना आइडियल कपल है।
कितना प्यारा लगता है । व्यवहार कुशलता में तो इन लोगों का कोई मुकाबला ही नहीं, और कितना प्रेम से रहते हैं ।और कितने सुंदर हैं ।मगर अंदर की हकीकत कोई नहीं जानता था। उस समय हम छोटे ही थे ।
जब भी उन लोगों से मिलते तो एक अहो भाव सा उत्पन्न होता था, कि आहा कितनी सुंदर जोड़ी है ।
कितने सलीके से रहते हैं और कितने प्यार से बात करते हैं।
जिंदगी में हम भी ऐसे ही रहेंगे कि लोग हमको पसंद करें।
मगर बहुत समय बाद जब उन लोगों को नजदीक से देखने का मौका मिला।
तब पता लगा उनके जिंदगी में शक नामक कीड़ा बहुत गहराई तक घुस गया है।
पत्नी अपने पति पर इतना ज्यादा शक करने लगी है ,कि उसके उठने बैठने जाने ऑफिस से आने में 5 मिनट भी आगे पीछे नहीं हो उसका जीना ही उसने हराम कर दिया था ।
उसको यह शक था कि मेरा पति इतना सुंदर है। स्मार्ट है। जरूर इसके पीछे लड़कियां पड़ी होंगी। वह बेचारा कितनी भी कैफियत देता, कितना भी कहता ,मगर लड़की के दिमाग मन में इतना जहर फैल गया था।
और उस जहर को जो उनके विरुद्ध के लोग थे वह हवा भी देते रहे धीरे-धीरे समय गुजरता गया। उनके दो बच्चे भी हो गए ।
दो लड़के मां उन बच्चों के मन में भी उनके पिता के विरुद्ध में जहर भर्ती रही। जहर उगलती रही। फिर उस लड़की ने पति के विरुद्ध में डायवर्स का केस फाइल करा ।और उसके काका काकी और जो भी लड़के के फेवर में थे सबका नाम उसमें घसीटा। और वह उन सबको झूठे केस में फंसा कर जेल भिजवाने की फिराक में थी। मगर ऐसा वह कर नहीं पाई। लड़के ने म्युचुअल कंसेंट से उसने जो डिमांड करें वह सब दे कर के डायवर्स के फेवर में सिग्नेचर कर दिए ।
और उसको एली मनी का पैसा भी दे दिया।
अब बात आई मकान में रहने की तो जिस मकान में रहता था। उसी के आधे हिस्से में उसने अपनी पत्नी को भी रहने को दे दिया।
36 का आंकड़ा दोनों एक दूसरे से खफा।
और एक छत के नीचे ऐसे ही उनकी जिंदगी चलने लगी। धीरे धीरे बच्चे बड़े हुए ।
जब यह समझने लगे कि हमारे पापा की कोई गलती नहीं है। और मम्मी बहुत हावी हो रही है। तो बच्चों ने कोर्ट में केस करके अपने पापा के साथ रहना चाहा।
कोर्ट ने मंजूरी दे दी दोनों बेटे अपने पापा के साथ आ गए। एक ही घर में अब वे मां से कम बोलते।
और उनके मन में कहीं ना कहीं अपराध बहुत था इसलिए वे अपने पापा का बहुत ध्यान रखने लगे ।
ऐसे ही एक दिन जिसने उस लड़की के मन में उसके पति के प्रति शक का बीज बोया था वह उस लड़की से मिलने आई।
और उसकी टूटी गृहस्थी देखकर बहुत खुश हुई। उसके साथ में बात करते-करते उसके मुंह से वह बात निकल गई, जो वह नहीं कहना चाह रही थी कि उसने उसके मन में उसके पति के प्रति झूठा शक का बीज बोया था।
सब मनगढ़ंत था। मगर अब क्या हो सकता था। शादी के 20, 22 साल बाद जब यह पता लगता है ।वह बहुत पछताई ।
उसने अपने पति से वापस बोलने की और दोस्ती करने की कोशिश करी।
मगर पहले इतना जहर उबला हुआ था उसका पति बिल्कुल उससे बात करने तैयार नहीं हुआ। दोनों की जिंदगी इस तरह चलती रही जैसे कि एक पटरी के दो किनारे होते हैं।
जो कभी भी एक दूसरे से मिल नहीं सकते, साथ जरूर चलते हैं। एक घर में रहकर दोनों साथ तो चले।
मगर बहुत अफसोस जनक बात है ।
एक छोटे से शक ने उनकी जिंदगी की बुनियाद को हिला दिया।
इसीलिए कहते हैं कि कभी भी कान का कच्चा नहीं होना चाहिए। हर किसी की बात पर विश्वास ना करो ।जब तक उस बात की सच्चाई परखना लो ।नहीं तो अर्थ का अनर्थ ही हो जाता है ।
और जिंदगियां बर्बाद हो जाती हैं। फिर कोई रोने के लिए कंधा देने वाला नहीं मिलता है। सारे रिश्तेदार सुख के साथी होते हैं दुख और गलतियों का कोई साथी नहीं होता।
और जिंदगी में पछतावे के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगता।
स्वरचित सत्य
