Ashish Kumar Trivedi

Tragedy

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Ashish Kumar Trivedi

Tragedy

गिरगिट

गिरगिट

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नव्या की ज़िंदगी में कुछ सही नहीं चल रहा था। सरकारी नौकरी के लिए कई परीक्षाएं दीं। कुछ में असफल रही। कुछ के परिणाम अभी तक नहीं आए थे। इसी बीच उसकी शादी की बात चली। सांवले रंग की भरपाई के लिए गाड़ी की मांग हुई। वह उसके पिता की क्षमताओं के बाहर था। बात खत्म हो गई।

इस समय वह बहुत परेशान थी। सोच रही थी कि कोई प्राइवेट नौकरी कर ले। वह अखबार में नौकरी के इश्तिहार देखने लगी। कुछ को मार्क किया। एक जगह फोन मिलाने जा रही थी कि उसकी सहेली का फोन आया। फोन उठाते ही उसने मुबारकबाद दी। नव्या हैरान थी कि मुबारकबाद किस बात की।

सहेली ने बताया कि रुके हुए परिणामों में से एक परीक्षा का नतीजा आ गया है। वह उस परीक्षा में उत्तीर्ण हो गई है। नव्या बहुत खुश हुई। उसने खुद भी इंटरनेट पर परिणाम देखा। वह इंटरव्यू की तैयारी करने लगी।

इस बार उसने कोई कसर नहीं छोड़ी। इंटरव्यू में भी पास हो गई। उसकी सरकारी नौकरी लग गई।

नौकरी लगने के एक महीने बाद ही जिन लोगों ने रिश्ता तोड़ा था वह पुनः उसके घर आए। लड़के की माँ ने कहा,

"मेरा बेटा बहुत नाराज़ हुआ। उसने कहा कि गुण देखे जाने चाहिए। रूप रंग नहीं। लड़की ने अपनी काबिलियत से सरकारी नौकरी पाई है। मैं तो उसी से शादी करूँगा। हमें गाड़ी भी नहीं चाहिए।"

नव्या के पिता ने उसकी तरफ देखा। नव्या ने बहुत ही शालीनता से कहा,

"आंटी जी आपके बेटे के विचारों में परिवर्तन आया यह बहुत खुशी की बात है। किंतु मेरे गुण सरकारी नौकरी से नहीं आंके जा सकते। पहले गाड़ी थी अब मेरी नौकरी। यह तो मौका परस्ती है।"

नव्या और उसके पिता ने हाथ जोड़कर उन्हें चले जाने को कहा।


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