एटेम्पट ऑफ रोमांस

एटेम्पट ऑफ रोमांस

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कल रात की ठण्डी हवाओं के बीच "पुराने साधू" की संगत मिली तो तबियत कुछ दुरुस्त लगी। घर आ कर पूरे सुकून नींद के साथ ख़्वाबों में रहे। पता है... एक सपना देखे रहे की टी.वी.एस मोटरसाइकिल खरीदे है, एकदम ब्रान्ड न्यू फर्स्ट हैण्ड। किसी को छूने नहीं देते है। एक दिन साले साहब मांगे थे मगर हम मना कर दिए तो तुम 2 दिन इतनी ज्यादा रिसियाई थी की फायर ब्रिगेड का नम्बर लास्ट डायल में रखना पड़ा। मगर एक दिन वो कल्लु मास्टर मांग कर ले गया था अब उसे तो मना नहीं कर सकते ना यार।वो भी तो जिगर का टुकड़ा है लेकिन साला है बहुत हरामखोर। नंबर प्लेट पे "ससुराल से सहायता प्राप्त" पेंट करवा के ले आया था, तब कितना खिलखिला के हँसी थी तुम।


कल अपनी शाही सवारी निकली थी गोल्डन फ्रेम वाला चश्मा लगा के, (वो शहीद पार्क से 100 रुपल्ली वाला रे बेन नहीं) एकदम ही ओरिजिनल, पीछे हमरे कंधे पे हाथ रखे पीली साड़ी पहन के गेंदा के फूल जैसे खिली-खिली बैठी हो। वो तुम्हारे भीगे बाल फूल पर ओस जैसे चमकत रहे। बीच में हम दोनों की जी-तोड़ मेहनत और भोलेनाथ की कृपा से हमारा लल्ला बैठा है।


बगल वाले श्रीवास्तव जी अपनी मैडम के साथ निकले और मुस्कियाते हुए छेड़ रहे थे। भाभी जी पकड़ के बैठन अभी गिर जाएँगी। अरे भाई वक़ील साहब भाभी जी का ध्यान रखा करिये। प्रजापति सर के जैसे चश्मे को आँखी से नाक पे सरका के हम बोले "आप ही इतना रख लेते है कि कुछ शेष नहीं रहता"


ससुरा खिसिया के भाग गया श्रीवास्तवा।

फिर हमने पूछा की आराम से बैठी हो?? 

तुमने अपने उड़ते हुए पल्लू को पकड़ के जबाब दिया, अरे बहुत आराम से बैठे है जी। अभी तो बहुत जगह है, 2 लोग और बैठ जाएंगे। सही में 2 लोग और बैठ जायेंगे (मुस्कियाते हुए) तो फिर हो जाए आज दो-दो हाथ रज़ाई में। तुमने शर्म से मुस्कुराते हुए वो जो मेरी कमर में चुकुटी काटी की बस, कम्बखत आँख के परदे खुल गए।


जानते है कि तुम्हे अब हम से प्रेम नहीं है मगर, ना भाई ना तुम्हे प्यार करने का काम अब बंद ना हो सके है, काहे से की परमानेंट वाला प्यार है -संविदा पे थोड़ी ना है।


पता है~ आँखों में उदासी की एक परत जैसे शाश्वत सी हो गयी है। "मुस्कुराते हो तो अच्छे लगते हो" तुम्हारी इसी लाईन से होठों पर छटाँक भर मुस्कराहट आ जाती कभी कभी। जीवन में रिश्ते तो बहुत है और चलते रहेंगे साँसों के समानान्तर, मगर कुछ धागे बेनाम से ही रहते है जिन्हें हम हमेशा बांधे तो रहते है मगर सबसे छुपा कर। उनकी गिरफ्त में सिर्फ हमारी कलाई ही नहीं होती बल्कि आत्मा भी वही कहीं फंसी रह जाती है।

इसलिए अब ये नहीं हो सकता क्योंकि रिश्ते को एक झटके में तोड़ कर जो दर्द दिया है ना तुमने "ये उस दर्द पर टिका है"


अच्छा सुनो सब जाने दो, ये बताओ गन्ने का रस पियोगी?? 2 लोगों की जगह जो है।


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