तुम वापस आ जाओ
तुम वापस आ जाओ


जानती हो,
आजकल फिर से तुम्हारी याद जगह बनाने लगी है, जैसे सर्दी की थोड़ी-थोड़ी झलक दिखने लगी है ना शामों में ठीक वैसे ही। शायद ये याद दहलीज़ पर सर्दी को देख कर ही आने लगी हों, तुमसे मुलाक़त इन सर्दियों में ही तो हुई थी।
पता है जाना तुम्हारी याद परेशान करना बहुत पहले बंद कर चुकी है, अब तुमको हम याद करते ही नहीं है। अब तुम्हारी याद कभी ऐसे नहीं आती की हमारी आँख गीली कर जाए या हम रो ले बहुत ज़ोर से, पापा को पकड़ कर और कारण कुछ और बता जाए। अब तुम्हारी याद आती है तो एकदम शांत कर जाती है, वो "शून्य की स्थिति" में होने का मतलब समझा जाती है। अब तुम्हारी याद आती है तो हम काम-धंधा छोड़ कर एक कोने में बैठ कर तुम्हारी तस्वीर निहार कर बिलखते नहीं है, अब तुम्हारी याद आती है तो हम पेंडिंग पड़े काम को भी पूरा कर लेते हैं। पहले तुम्हारी याद आने का अंदाज़ा हमारी बेरुखी से लगाया जा सकता था, अब तुम्हारी याद आने के सिम्पटम्स में हमारे कमरे का एकदम साफ होना, हमारे चेहरे पर एक्स्ट्रा स्माइल होना और हमारा "शिला की जवानी" जैसे गाने गाना देखा जा सकता है, और यक़ीन मानो वो परेशान करने वाली याद इससे बेहतर थी।
हर कोई
अपने-अपने हिसाब से बड़ा होता है, मैंने ऐसा हिसाब सीख लिया है, मगर जानती हो ये वाला हिसाब पुराने हिसाब से ज़्यादा महंगा पड़ता है। पहले आँसू और चीख निकल जाने के बाद हम एक हद तक खाली हो जाते थे मगर अब ये जो तुम्हारी याद अजीब सा टीस छोड़ जाती है ना इससे दिल बहुत भारी होता जा रहा है और हम एकदम खोखले !
इन सब से निकलने की इतनी कोशिश कर चुके हैं कि अब कोशिश डिक्सनरी में बचा ही नहीं है। फ़ोन में तुम्हारी एक भी तस्वीर नहीं छोड़े, कई जगह से तुम्हें ख़ुद ब्लॉक कर दिए हैं, चैट्स पड़े हैं मगर उन्हें छुए हुए जमाना हो गया है, बचकानी हरकतें लगती है ना ये सब मगर समझदार लोग प्यार करते ही कहाँ हैं! जितना तरीका था सब आजमा लिए मगर तुम तो तुम हो, ज़ेहन से कभी जाओगी ही नहीं !
इतने दिन में तुम बहुत कुछ सिखायी हो जिनमे से एक ये भी कि याद चाहे कम आये या बेसी दर्द साला उतना ही होता है। हम समझ चुके हैं कि तुम हमारी ज़िंदगी का वो भँवर हो जिससे आज़ादी हमारी मौत भी नहीं दिला पाएगी !
कि जानां सुन सको तो बस इतना सुन लो, वो चीखने-चिल्लाने वाली लड़की लौटा दो, ये शांत-शांत सी लड़की कलेजा दुखाती है !
तुम_वापस_आ_जाओ !