Gairo

Abstract Romance

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एक तुम्हारा न होना

एक तुम्हारा न होना

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कई बरसोंं से, या मुमकिन है हमेशा से ही,

आत्मा कि धरती में एक रिक्त स्थान था,

फिर एक तुम्हारे होने से,

वो अकेलेपन का छेद भर गया था।

मेरी रूह ने तुम्हारी हाज़िरी को पकड़ लिआ था,

जैसे किसी पेड़ की जड़ों को मिट्टि पकड़ लेती है।


तब एक दिन डर की ऐसी प्रचंड आंधी चली,

कि वो तुम्हारी मौजूदगी को अपने संग उड़ा ले गई।

और वो तूफ़ान, अपने साथ उड़ा ले गया,

एक बड़ा टुकड़ा, मेरी मन की माटी का,

 जो शायद अभी भी कहीं, पर मुझसे दूर,

तुम्हारे होने की जड़ों से लिपटी हुई हैं।


उसी भूमी के उड़ जाने से,

मेरे हृदय का सूराख़ और भी चौड़ा हो गया है।

इस बढ़ती रिकति में, जो अब और भी गहरी है,

रह गया है, एक तो सिर्फ़ ख़ालीपन,

और...एक तुम्हारा न होना।


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