प्रवीन शर्मा

Drama Romance Tragedy

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प्रवीन शर्मा

Drama Romance Tragedy

एक तरफा प्यार

एक तरफा प्यार

10 mins
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कैंटीन में तूलिका और तृप्ति के पास आकर एक साधारण कपड़ो में साधारण शक्ल के लड़के अनुज ने एक छोटी सी पैकिंग में गिफ्ट मुस्कुराकर देते हुए कहा

"पिंकी जी ये आपके जन्मदिन का तोहफा"

तृप्ति ने हंसकर गिफ्ट लेते हुए कहा" थैंक्स पर मुझे पिंकी मत कहा करो अनुज कितनी बार समझाया है "

अनुज कुछ उदास होते हुए चुपचाप वही खड़ा रहा ।

अब तृप्ति ने धोड़े ऊंचे स्वर में अनुज से कहा" अब गिफ्ट दे दिया तो जाओ यहाँ से"

अनुज सिर झुकाए वहां से चला गया और कैंटीन से लगे पेड़ से टिककर खड़े होकर कुछ सोचने लगा जिससे उसके आंसू निकल आये और उन्हें पोंछ ही रहा था कि पृथ्वी आकर उसके गले मे हाथ डालकर कहता है" यार ये लड़कियों की तरह रो क्या रहा है"

अनुज ने खुद को संभालते हुए कहा" कुछ नही यार बस आंख में कुछ गिर.."

"अबे साले यारो से तो सच बोल दिया कर मुझे पता है तुझे पिंकी की झिड़की का बुरा लगा" कहते हुए पृथ्वी ने उसकी आँखों की तरफ देखा

अनुज ने सोच में डूबते हुए कहा"यार वो कभी मुझसे किसी ने ऐसे बात नही की इसलिए.."

पृथ्वी बोला " देख भाई मैंने तेरा हमेशा भला चाहा है इसलिए हर बार तुझे समझाता रहा कि वो तेरे टाइप की नही है, वो बस "यूज़ एंड थ्रो" टाइप है, मत पड़ चक्कर मे"

अनुज बोला" मैं भी तुझसे उतनी ही बार कह चुका वही मेरी पिंकी है जिसके सपने मैने जिंदगी भर सजाए है,अब मिली है तो उसे मनाने दे, और तूने जो सुना वो अफवाह ही है जिसको लड़की ना मिले वो बदनाम करना शुरू कर देता है वैसे वो बहुत शर्मीली है, बस एक बार मेरा प्यार समझ..."

बात काटते हुए पृथ्वी ने तुनकते हुए कहा" ठीक है अब पिंकी पुराण बंद कर और ये बता आज बस से क्यों आया है बाइक कहाँ है"

अनुज ने नजरे चुराते हुए कहा"वो आज स्टार्ट ही नही हो रही थी इसलिए.."

पृथ्वी से रहा ना गया और बीच मे ही बोला" मेरे सिर पर सींग लगे है जो मुझे समझ नही आता, ये क्यों नही कहता उस गिफ्ट के चक्कर मे बेच दी, मुझे शक तो कल शाम को ही हो गया था जब तू के मैकेनिकों की दुकानों पर भटकता फिर रहा था, इतना महंगा गिफ्ट देने की जरूरत क्या थी"

अनुज की चोरी पकड़ी गई तो उसे मानने में ही समझदारी दिखी फिर मुस्कुराते हुए बोला" 

"ये प्रेम है यारा यहां मोल भाव नही

लेन देन का यहाँ कोई हिसाब नही

प्रेम लिखा यहाँ हर तरफ चाहे अगर तो पढ़ ले खुद

ये वहीखाते की कोई खुली किताब नही"

पृथ्वी कुछ कहने की सोच ही रह था कि उसकी नजर घड़ी पर पड़ी और अनुज का हाथ पकड़ते हुए बोला" अच्छा मेरे ग़ालिब चल वरना प्रोफेसर ढक्कन हमे मार डालेगा"

अनुज हंसते हुए बोला" मैने कब मना किया तू ही बातों में लगाये था वैसे वो प्रोफेसर बच्चन है ढक्कन नही"

 दोनों ने ठहाके लगाए और क्लास की ओर चले गए


उधर कैंटीन में तृप्ति ने तूलिका से कहा"यार ये लड़के कितनी जल्दी सेंटी हो जाते साले डफर"

तूलिका ने गिफ्ट हाथ मे लेते हुए कहा" अरे मेरी बर्थडे गर्ल तू क्यों आज अपना मूड खराब करती है, कुछ दे कर ही गया देखने तो दे उस भिखारी की औक़ात कितनी है"

कहकर उसने गिफ्ट का रैपर फाड़ कर निकाला और देखा तो बोली" अरे वाह आज का पहला गिफ्ट ही डायमण्ड रिंग ले देख"

तृप्ति को थोड़ा आश्चर्य हुआ पर उसे छुपाकर हुए इतराते हुए बोली" ऐसी छोटी मोटी रिंग तो मेरे मेकअप बॉक्स मे कितनी पड़ी है मेरी तरफ से तू इसे पहन लें"

तूलिका ने हँसते हुए कहा" हाँ तृप्ति सही कहा तेरी जैसी सेक्सी के लिए ये छोटी सी रिंग उस भिखारी ने तेरी बेज्जती कर दी चल तू कहती है तो मैं रख लेती हु थैंक्स"

अभी तूलिका मुस्कुरा ही रही थी कि अभिनव ने तृप्ति के कंधे पर हाथ रखकर कहा" और मेरी मेरी जान हैप्पी बर्थ डे"

तृप्ति ने आंखे दिखाते हुए उससे कहा " कंजूस, आज भी खाली हाथ चला आया"

अभिनव बोला" भई मुझे तो रात की पार्टी का इंतजार है तभी गिफ्ट ले लेना अपना, बता कितने बजे और कहा है पार्टी"

तृप्ति ने कहा" कितना लालची है तूझे मेरे जन्मदिन पर भी अपने पेट का ही ख्याल है"

अभिनव कुछ बोल पाता तब तक एक तगड़ा हाथ उसकी पीठ पर पड़ा और वो कराह निकल गई ।

ये हाथ शिवाय का था, शिवाय बोला" साले तेरी हिम्मत कैसे हुई आज मैं और तृप्ति ही करेंगे पार्टी किसी चिरकुट को पार्टी चाहिए तो यही कैंटीन में जितनी चाहो करो पर रात को भूल कर भी फोन नही करना की पार्टी कहाँ है"

तृप्ति खिलखिला उठी और तूलिका ये सुन कर चौंक गई।

शिवाय ने इशारा कैंटीन वाले को किया तो सभी ने तृप्ति को घेर लिया और सुर में गाने लगे "हैप्पी बर्थ डे टू यू डिअर तृप्ति"

तृप्ति के आगे केक रखा गया और शिवाय ने तृप्ति का हाथ पकड़कर केक कटवाया और छोटा सा टुकड़ा तृप्ति को खिलाया और केक की ओर इशारा करके अभिनव से बोला " ले इसे सबमे बांट दे और अकेले मत खा लेना "

तृप्ति ने शिवाय का हाथ पकड़कर कहा " हम्म मुझे तुमको केक खिलाना था"

शिवाय ने शैतानी मुस्कुराहट लेकर तृप्ति के कान के नजदीक आ कर कहा" आज रात की पार्टी में अपना सारा मीठा एक साथ खिला देना इसलिए अभी नही"

इतना सुनकर तृप्ति शर्मा गई । इतना कहकर बोला" ठीक है फिर मिलते है शाम को, अभी प्रोफेसर ढक्कन का क्लास है मैं जाता हूँ"

तृप्ति शिवाय को जाता देख रही थी तभी तूलिका उसके पास आकर बोली" ओ हो आज तो कोई नई दुल्हन की तरह शर्मा रहा है "

तृप्ति ने उसका हाथ पकड़कर सबसे दूर ले जाकर कहा" क्या मजा ले रही ऐसा कुछ नही है"

तूलिका ने आंख मारते हुए कहा" जैसे मैं इतनी नादान हू, तेरी और शिवाय की पार्टी का मतलब नही समझूँगी, तो शिवाय तेरा पहला प्यार बन ही गया"

तृप्ति ने हंसते हुए कहा"ये कैसी बातें कर रही है तू भांग खाई है क्या"

तूलिका ने मुँह बनाते कहा" मैंने ऐसा क्या कह दिया"

तृप्ति ने अपने चारों ओर देखकर कहा" देख तू मेरी पक्की सहेली है इसलिए बता रही हु, शिवाय बड़ी मोटी आसामी है, आज देखा न मेरे जन्मदिन पर कैसे हजारो लुटा दिए और अगर वो बदले में कुछ ले भी लेगा तो कुछ मेरा कम तो हो नही जाएगा"

तूलिका की सुनते सुनते आंखे बड़ी होती जा रही थी ।

"वैसे भी मम्मी को मेरी शादी की जल्दी है उन्होंने पिछले हफ्ते मेरी सगाई भी करा दी" तृप्ति ने अपने बैग में ही बड़ी सी सगाई की अंगूठी एक झलक दिखाते हुए कहा।

तूलिका पर इस बात से बम फूट पड़ा वो इतना ही बोल पाई" क्या सच मे"

तृप्ति ने अपने बाल झटकते हुए कहा" हाँ यार उस चिरकुट ने सरकारी नौकरी क्या दिखाई मेरा खानदान उसके पैरों ने आ गया, मुझ जैसी सेक्सी को अब उसके साथ एक छत के नीचे रहना होगा सोचकर ही भेजाफ्राई हो जाता है"

तूलिका ने अपनी लेवल की समझदारी दिखाते हुए कहा" अरे जब पसंद नही आया लड़का तो शादी से मना भी तो कर सकती थी"

"मैं तो मुहँ पर मना करने वाली थी पर मेरी दीदी ने समझाया की देख लड़का हैंडसम हो न हो पैसे वाला होना चाहिए वरना प्यार से कोई महंगी महंगी ज्वेलरी लंबी गाड़ी थोड़ेही खरीद सकता है,कुछ दिन बाद ना तू उतनी सुंदर रहेगी न जवान फिर हजारो का ब्यूटी पार्लर का खर्चा कौन उठाएगा, तो मेरी तरह तू भी बड़े घर मे जा और ऐश कर" तृप्ति ने गहरी सांस लेते हुए बात पूरी की 

तूलिका अब कुछ बोलने से झिझक रही थी तो बोली" फिर शिवाय"

तृप्ति ने शिवाय के सपने को देखते हुए कहा" शिवाय का सीना देखा है उसके सामने मेरा वाला तो झींगुर लगता है, लगता है शिवाय के सीने से खुद को ऐसे चिपका लू की कभी अलग ही न हो, पर फिर भी ये सब मैं इसलिए कर रही हु क्योंकि मुझे अपनी वर्जिनिटी उस चिरकुट को नही देनी, अब चल जल्दी मुझे रात के लिए कुछ ड्रेस खरीदनी है "

ये कह कर तूलिका को खींचते हुए कैंटीन के बाहर ले आती है 

एक लड़का जो पृथ्वी को जानता था तृप्ति और तूलिका की सारी बातें छुपकर सुन लेता है और पृथ्वी को बताता है।

पृथ्वी गुस्से से भन्ना रहा था इसलिए सीधे अनुज के पास जाकर उसका हाथ पकड़ एकांत में ले आता है और सारी बात वैसे ही बता देता है सुनकर अनुज के आंखों से पानी झलकने लगता है और वो अभी आता हू कहकर वहाँ से कही चला जाता है।

कॉलेज खत्म हो चुका था अभी तक अनुज का कुछ पता नही था पृथ्वी को उसकी बहुत चिंता थी वो उसे पागलों की तरह हर जगह ढूंढ रहा था अब धीरे धीरे अंधेरा बढ़ रहा था तो पृथ्वी की बुद्धि ने भी काम करना बंद कर दिया और वही मैदान में जमीन पर लेटकर हाँफने लगा तभी उसे होस्टल की छत पर कोई खड़ा दिखाई दिया उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई वो मैदान से भागते हुए छत पर पहुँचा जैसे ही अनुज ने छत से कूदने को हुआ तो उसका हाथ पृथ्वी के हाथ मे आ गया जिसे पकड़ कर छत से लटकते अनुज को खींचकर छत पर लाया और अनुज के ऊपर थप्पड़ों की बरसात कर दी

और थोड़ी देर में अनुज वही दीवार से टिक कर बैठ गया अब पृथ्वी का गुस्सा थोड़ा कम ही गया था वो भी रो रहा था तभी उसने अनुज के गालों की तरफ देखा जो लाल पड़ गए थे उसने अनुज के गालों को प्यार से सहलाया अनुज के आंसू जब खून छनकते गालो पर पृथ्वी के हाथों से रगड़े तो अनुज की सिसकी निकल गई और मुहँ से निकला" आह पिंकी तुमने ऐसा क्यों किया"

इतना सुनते ही पृथ्वी का पारा फिर चढ़ गया" साले तू उस कलमुँही के लिए हमे अकेला छोड़कर जा रहा था मैं पागल हु जो भूखे प्यासे तुझे कुत्तो की तरह ढूंढता फिर रहा था"

अनुज ने कहा" 

"वो क्या थे जाने बिना टूटा दिल लेकर हम गए

मरहम की कसम मरहम न मिला मर हम गए"

पृथ्वी अभी भी उसकी बातों पर भन्नाया हुआ बके जा रहा था "कब से समझा रहा हु साला खुद तो दीवाना हो गया और हम सबको पागल समझता है ये भी नही सोचा तू मर गया तो उस गांव में बैठी माँ का क्या होगा जो तेरे

इंतजार में सबसे कहती है मेरा बेटा कलेट्टर बनेगा, एक ये है साला दीवाने हुए उस छिनाल पर मिटे जा रहे है"

पृथ्वी ने अनुज को ध्यान से देखा तो अभी भी वो आसमान की तरफ देख रहा था । पृथ्वी का अब सब्र टूट गया और उठते हुए बोला" देख मैं तुझे ऐसे नही देख सकता आज उस तृप्ति का वो हाल करूँगा की वो खुद से नफरत करेगी"

इतना कहकर पृथ्वी छत की दीवार पर जोर का हाथ मारकर वहां से नीचे के लिए दौड़ पड़ा । करीब पाँच मिनट तक वैसे ही अनुज आसमान की तरफ देखता रहा फिर पीछे कुछ मिनट के पल उसके दिमाग मे जैसे रिवाइंड हुए उसकी तंद्रा टूटी उसे लगा ये क्या हो गया पृथ्वी को ये सब करने से रोकना होगा अब ये सोचकर उसने दौड़ लगा दी पर पृथ्वी वहाँ से गायब हो चुका था वो पागलों की तरह कैम्पस की गलियां छान चुका था उसे कोई नही दिखा तो उसने हाथ जोड़कर ऊपर वाले से दुआ मांगी " है भगवान मैं अपने प्यार पर ये कलंक नही लगने दे सकता बस मुझे पृथ्वी को ये सब करने से रोक लेने दे फिर मेरे पापों के लिए जो सज़ा देगा मैं खुद तेरे पास आकर मांग लूंगा"

तभी उसे किसी बाइक की आवाज बाहर की गली की तरफ से आई तो उसने दीवार कूद कर दौड़ लगा दी। एक लड़की चमकीले टॉप और मिनी स्कर्ट में फोन पर बात करती हुई जा रही थी पीछे से एक गाड़ी जिस पर दो लड़के थे जो मुह पर कपड़ा बांधे थे और तेजी से लड़की की तरफ बड़े चले जा रहे थे अचानक पीछे बैठे लड़के ने एक बोतल का ढक्कन खोला और जैसे ही वो लड़की पर फेंक पाता उससे पहले ही किसी ने लड़की को धक्का देकर बोतल पर झपट्टा मार दिया बाइक वाले लड़के कुछ समझ नही पाए और वैसे ही गाड़ी दौड़ाते ले गए और लड़के के गिरते ही बोतल टूटने से उसका तेजाब लड़के के चेहरे पर गले पर गिर गया था और उस पर से धुंआ उठ रहा था लड़की की डर के मारे चीख भी नही निकल पा रही थी इसलिए उसने हॉस्टल की तरफ दौड़ लगा दी और वो लड़का मुस्कुराते हुए वही पिंकी पिंकी कहते हुए आसमान को देखने लगा और लगता था उसके चेहरे पर जिंदगी में पहली बार इतनी संतुष्टि आई मगर ये उसके लिए उसकी सांसो की तरह आखरी थी ।


कुछ दिनों बाद एक अखबार में एक कविता कॉलम में एक कविता छपी जिसका शीर्षक था

"बंदियों से बचा"

या खुदा नेक बंदों को बंदियों से बचा

वरना उनके लिए ये खुद से लड़ जाते है

प्यार संभलने नहीं देता इनको

और ये हद से गुजर जाते हैं।


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