Uma Vaishnav

Inspirational

5.0  

Uma Vaishnav

Inspirational

एक प्रयास

एक प्रयास

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अजय कुमार को प्रकृति से बहुत प्यार था। वो उसने पढ़ाई पूरी कर गाँव में ही रहने का निश्चय किया। बढ़ते प्रदूषण को देख वो बहुत चिंतित होता। हमेशा सभी को प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाली वस्तुओं का कम से कम उपयोम करने को कहता रहता।

एक दिन जब वो अपने घर के आंगन में बैठा तो अचानक माँ के चिल्लाने की आवाज सुनकर वो भीतर गया तो देखता है, उसके पिता जी बेहोश पड़े थे। वहां गाँव में कोई अच्छा डॉक्टर नहीं था। इस लिए उसने तुरंत गाड़ी में शहर लेकर गया। वहां सभी तरह की जाँच के बाद पता चला कि उसके पिता जी को फैफड़े में कैंसर हैं, यह सुन कर अजय और उसकी मां बहुत दुखी हुए।

अजय के पिता जी बहुत आदर्श व्यक्ति थे, वे कभी भी किसी तरह का नशा या धूम्रपान नहीं करते थे और हमेशा संतुलित और स्वास्थ्य वर्धक भोजन ही करते थे, किंतु फिर भी उनको ऎसी खतरनाक बीमारी कैसे हो सकती है, अजय ने डॉक्टर से सलाह ली कि ये कैसे हो सकता है, उसके पिता हमेशा योगा अभ्यास करते स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखते थे, फिर भी उनको ये बीमारी कैसे हो सकती है??

तब डॉक्टर ने अजय को समझाया कि उनके बीमारी का कारण बढ़ता हुआ प्रदूषण भी हो सकता है, आज बढ़ते प्रदूषण को देख ये बिमारियां आम हो गई है, और इसका जिम्मेदार मनुष्य स्वयं हैं, अगर इसे नहीं रोका गया तो ये और भी भयंकर रूप धारण कर लेगा।

अजय को डॉक्टर की सारी बातें समझ में आगई। उसने डॉक्टर को अपने पिता जी का अच्छे से अच्छा इलाज करने के लिए कहा। डॉक्टर ने कहा कि उसके पिता को कुछ दिन हॉस्पिटल में भर्ती करना होगा।

अजय ने सभी अवश्‍यक पेपर भर अपने पिता जी को हॉस्पिटल में भर्ती कराया। अजय के पिता जी का इलाज शुरू कर दिया गया।

उस दिन के बाद अजय ने एक अहम फैसला लिया कि वो एक अभियान की शुरुआत करेगा।उसने जल्दी से जल्दी अपने सभी मित्रो को भुलाया और शहर - शहर और गांँव - गाँव में जाकर अधिक से अधिक पेड़ लगाने और कम से कम प्लास्टिक के उपयोग के लिए जागरूक किया।

बढ़ते हुए प्रदूषण के दुष्प्रभाव को लोगों तक पहुंचाया और इसे कम करने के लिए जागरूक होने के लिए कहा।पूरे शहर में अजय के चर्चे होने लगे उसके प्रयास से शहर में प्रदूषण काफी हद तक कम हो गया।अजय के अथक प्रयास से शहर में प्रदूषण नियंत्रण हुआ। इसके लिए सरकार द्वारा उसे सम्मानित किया गया।

अजय ने फिर भी अपना अभियान चालू रखा और आजीवन पर्यावरण की रक्षा के लिए अपने जीवन को समर्पित किया।

अंत में हम यही कहना चाहेंगे कि हमें भी बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए।



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