Bhavna Thaker

Tragedy

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Bhavna Thaker

Tragedy

एक माँ ऐसी भी

एक माँ ऐसी भी

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अवंतिका अग्रवाल दि ग्रेट परशन एक गरिमा मय व्यक्तित्व है। प्रेस्टिज ग्रुप ऑफ़ इन्डस्ट्रीज़ की सीईओ है। पर ऑफ़िस में जिसके नाम के सिक्के उछलते है वह अवंतिका घर में शराबी पति के हाथों की कठपुतली है। पाँच साल की गूँगी बेटी रिंकी अवंतिका के जीने की वजह है। रिंकी के आगे-पीछे ही अवंतिका की दुनिया सिमटी है। बेटी के भविष्य ने अवंतिका को एक अनचाहे रिश्ते में बाँध रखा है। अपने पति अंकुश की दारू पीने की आदत और क्रूर स्वभाव से तंग आ चुकी है, पर लोक लाज और रिंकी की फ़िक्र अवंतिका को कोई भी निर्णय लेने से रोक रही है। अंकुश भले दारु के नशे में अवंतिका को प्रताड़ित करता था पर वो भी अपनी बेटी रिंकी पर जान छिड़कता था। एक दिन अवंतिका की ऑफ़िस में सुशांत वर्मा करके नये एंप्लोय ने ज्वाइन किया। दिखने में हैंडसम और स्वभाव का दिलदार बंदा था। आहिस्ता-आहिस्ता सहकर्मी सुशांत के साथ अवंतिका भावनात्मक संबंध से जुड़ गई, अवंतिका सुशांत को दिलो जान से चाहने लगी। सुशांत भी अवंतिका पर मरता था सुशांत का साथ अवंतिका को पारिवारिक दर्द से निजात जो दिलाता था। 

एक तरफ़ अंकुश का वहशीपन बढ़ता जा रहा था और दूसरी तरफ़ अंकुश के साथ अवंतिका का प्यार परवान चढ़ रहा था। एक दिन अवंतिका ने सुशांत से कहा सुशांत थक गई हूँ अब ठहरने चाहती हूँ तो अब शादी कर लें? सुशांत ने कुछ सोचा और कहा यार, I love u so much but...मैं बच्ची की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकता, मुझे अभी ज़िंदगी के मजे लेने है तुम्हें रानी की तरह रखूँगा पर रिंकी के साथ नहीं अपना सकता अगर मंज़ूर है तो बोलो आज ही मांग भर दूँ। 

अवंतिका ने बहुत सोचा आख़िर दो दिन कशमकश में बिताते अंधे इश्क के आगे ममता हार गई। सारा प्लान हो गया, फिर क्या? गूँगी रिंकी के हलक से आह कैसे निकलती, काम आसान हो गया। जो बेटी जीने की वजह थी, जिसके लिए सालों शराबी पति के हाथों प्रताड़ित होती रही उसी बेटी की प्यार में पागल एक माँ ने बलि चढ़ा दी। शहर के ऑवर ब्रिज के नीचे बह रही धसमसती नदी में एक बच्ची की लाश तैर रही थी। इल्ज़ाम लगा था अवंतिका के शराबी पति अंकुश पर अपनी ही बेटी के कत्ल का। माँ फ़रार थी। और लंडन की 5 स्टार होटेल में अवंतिका और सुशांत के मोना और मिहिर के फ़र्जी नाम से रूम बुक था जिसके बाहर लिखा था जस्ट मैरिड। अंकुश ने जो गुनाह किया नहीं उसकी सज़ा भुगत रहा है, वो बार-बार बड़बड़ाता है मेरे कर्मों की सज़ा मेरी बेटी को क्यूँ दी अवंतिका तुझे जाना ही था तो चली जाती रिंकी को ज़िंदा छोड़ जाती। महज़ दो साल में सुशांत मजे लूट कर अवंतिका को छोड़कर दूसरे शिकार की तलाश में निकल गया, और अवंतिका आग्रा की मेन्टल होस्पिटल के हर कोने हर दीवार में अपनी बेटी रिंकी की परछाई ढूँढ रही है। एक को दारु के नशे ने बर्बाद किया दूसरे को अंधे प्यार ने उन दोनों की कम अक्कल ने मासूम रिंकी का कत्ल किया। होता है दुनिया में ऐसा भी।



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