Gunjan Johari

Inspirational

4.5  

Gunjan Johari

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एक लड़की भीगी भागी सी

एक लड़की भीगी भागी सी

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 सीमा पर तनाव था , दुश्मन बहुत बार सीजफायर का उल्लंघन कर चुका था। हमारे बहुत से जवान जख्मी हो गए थे और आम नागरिक भी । यही लग रहा था कि अब कभी भी लड़ाई छिड़ सकती है। इसी लिए सीमाओं के आस पास के गांव खाली करा देने आदेश दे दिए गए। लेकिन कुछ परिवार गांव से बाहर नहीं गये। 

  

"आप लोग यहां रहकर अपनी जिंदगी को खतरे में क्यो डाल रहे हो। लड़ाई कभी भी छिड़ सकती है। आप लोग यहां से जाइए।" मेजर यश ने रूके हुए गांव वालों को समझाने की कोशिश करी।


"नहीं साहब हम यहां से नहीं जाएंगे । हम यहां रहकर अपने देश के सैनिकों की मदद करेंगे। हमें लड़ना नहीं आता साहब मदद करना आता है। वो हम करेंगे।"


"आपके जज्बे की हम इज्जत करते हैं लेकिन अपनी जिंदगी को खतरे में डालना सही नहीं है और आपके साथ आप का परिवार भी है।" 


"खुद को खतरे में डालना क्या ये आप का ही काम है । वक्त पड़ने पर हम भी देश के लिए अपनी जान देने से नहीं चुकेंगे। फर्क सिर्फ ये होगा आप शहीद कहलाएंगे और हम नहीं। लेकिन आप लोग की मदद करने से आप हमें नहीं रोक सकते।" 


यश खड़ा उस लड़की को देखता रहा, उसकी बातों को गौर से सुन रहा था गजब का आत्मविश्वास और जोश था उसकी आवाज में। ये मेरी बेटी है गहना। उसके पिता शशीकांत ने जवाब दिया।


"बहुत अच्छा बोलती हो गहना, मगर बोलना और करने में फर्क होता है । जब लड़ाई छिड़ती है और दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू होती है तब सारा जोश ठंडा पड़ जाता है।"


"साहब आजमा कर देख लेना दो को तो मार कर ही मरूंगी।"गजब का आत्मविश्वास था उसका‌। विश्वास उसके चेहरे पर झलकता था। 


"चलो यश । जो यहां रहना चाहते हैं। हम उन्हें जबरदस्ती नहीं हटा सकते। कहकर यश का साथी यश के साथ आगे बढ़ गया। वैसे भी मौसम खराब है बारिश शुरू हो गई है। चलो अपने अपने काम पर ध्यान दें।"


सीमा पर दुश्मन की तरफ से गोलीबारी चालू थी, सारे सिपाहियो के साथ यश भी सीमा पर डटा हुआ था। ऊपर से बरसात भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी। गहना और कुछ गांव वाले सैनिकों के लिए खाने के सामान बारिश में भीगते हुए लाते थे। जब भी गहना बारिश से भीगी उसके पास आती वो कछ बोल नहीं पाता था बस चुप चाप उसे देखता रहता ।

सारे साथी उसका मजाक उड़ाया करते थे और गाना गाते ," एक लड़की भीगी भागी सी" , यश मुस्करा देता। वो शायद गहना को प्यार करने लगा था। 


अगर तू उसे प्यार करता है तो बताता क्यो नही । जय ने कहा।


ऐसा कुछ नहीं है तुम लोग यू ही मजाक उड़ाया करते हो। वो बात को यूं ही टाल देता। और अपने साथियों से अपना पीछा छुड़ाता। लेकिन सच्चाई वो जानता था कि वो गहना को पसंद करता है।


एक रात यश अपने साथियों के साथ सीमा के पास घुम रहा था कि अचानक उन पर गोलियां चलने लगी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि गोलीबारी कहा से हो रही हैं। एक तो अंधेरी रात ऊपर से बरसात। यश के दो साथी मारे जा चुके थे।

वो भी जख्मी हो चुका था।वो कुछ समझ पाते तभी चार दुश्मन के सिपाही उनके सामने खड़े थे। चले मेजर साहब । तभी पीछे से गोली चली वो वहीं ढेर हो गया। यश ने देखा गोली गहना ने चलाई ।


"साहब जल्दी इधर आओ"। गहना चिल्ला रही थी। यश और उसके साथी गहना की तरफ दौड़े। "तुम यहां क्या कर रही हो ? और ये गन कहां से मिली?"


"इनके और भी साथी है जो इनकी मदद के लिए आ रहे हैं । बापू मदद के लिए गए हैं मैं आपकी मदद के लिए आ गई। "


"तुम्हें ये सब कैसे पता?"


"पानी भरते हुए मैंने इन्हें देखा था। इन्होंने चोरी से सीमा पार करी।" गहना ये सब बता ही रही थी कि उसने यश को सामने से हटाया और गहना की चीख फिजा में गूंज गई । दो गोलियां गहना के सीने में लग गए। अगर उसनेे यश को न हटाया होता। तो वो गोली यश को लगती। गहना ..….। यश चीखा। गोलीबारी और बढ़ गई उन लोगों के और साथी भी आ चुके थे जैसा गहना ने बताया था । यश अकेला रह गया था। लेकिन वो अपनी जगह पर डटा हुआ था। वो पूरी तरह से जख्मी था। धीरे धीरे उस पर बेहोशी छाने लगी थी। तभी यश के साथी वहां आ गए। 


यश ..यश... गहना । यश को अपने दोस्त जय की आवाज सुनाई दी। और यश ने अपने होश खो दिए। यश ने जब आंखें खोली खुद को हाॅस्पिटल में पाया उसके पास जय था। 


"यश कैसा है ? अब सब ठीक है तुम्हारी और गहना की बहादुरी से अब सब ठीक है।"


"गहना कैसी है?" यश ने पूछा।


यश के इस सवाल पर वो चुप हो गया। "यश तुम आराम करो सब ठीक है। दो दिन बाद तुम्हें होश आया है। तुम आराम करो।"


"मेरे सवाल का जवाब क्यो नही दे रहे। गहना ठीक तो हैं? बताओं।"


यश वो शहीद हो गई। तुम्हारी जान बचाने में उसकी जान चली गई। उसकी दी हुई सूचना की वजह से ही हम तुम्हारे पास समय से पहुंच सके। वो जख्मी होने के बावजूद तुम्हारे साथ डटी रहीं। एक बहादुर सिपाही की तरह उसने जंग लड़ी। मगर मौत से हार गई। गहना सच में बहुत बहादुर थी। 


यश चुपचाप सब सुन रहा था। गहना की आवाज उसके कानों में गूंज रही थी कि -" साहब मौका मिला ना , दो को मार कर मरूंगी। " यश की आंखों में वो बारिश में भीगी गहना घुम रहीं थी जो उन सब को खाना खिलाने आया करती थी। और वो गहना जो उसकी जान बचाने के लिए दुश्मनों से भिड़ गई।

वो गहना जिसे वो दिल ही दिल में प्यार करने लगा था और आज वो उसे हमेशा के लिए छोड़ कर चली गई अपना कर्ज दार बना कर । यश को अपने हिस्से की जिन्दगी देकर । वो देश के लिए अपनी जान देना चाहती थी , शहीद होना चाहती थी। बारिश की बूंदों को अपना साथी बना कर वो चली गई। शहीद हो गई। 


    

   


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