एक गिलास पानी

एक गिलास पानी

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गुड़िया नाश्ता बना ही रही थी कि अमित ने आवाज़ लगाई जल्दी करो लेट हो गया।वो हड़बड़ी में जल्दी जल्दी डब्बा बाँधने लगी ,तभी अमित नीचे स्कूटर के पास आ गया।गुड़िया ने झाँका तो जल्दी जल्दी नीचे आयी।आज कुछ नया नहीं हुआ था, अमित की आदत थी आवाज़ देना और फिर नीचे उतर जाना।

वो सोचने लगी कितने दिन हो गए अमित ने कभी भी अपनी आदतों को नहीं छोड़ा और मैं अपनी हर एक ख्वाहिश, आदतें बड़े आराम से बदल लेती हूँ।

वो चुपचाप बैठी थी कि सास ने आवाज़ लगाई।

"शाम को आऊंगी चाय बना के रखना ,परसो करवाचौथ है ,व्रत की तैयारी करले"

सास ने बहु से इतना कहा और चली गई।गुड़िया को याद आये उसके पिछले दो करवाचौथ जब अमित रात में आया ,वो पूरे दिन भूखी थी, एकदम भूखी ,अमित देर से आके जब माँ के पास बैठ कर खाना खाने लगा।गुड़िया भूखी ही नहीं प्यासी भी थी,अमित के पैर छुए गुड़िया ने ,अमित ने एक सेल्फी खींची और गुड़िया चुपचाप अंदर चली गई।सास ने कहा जा कढ़ी ले आ अंदर से ,अमित खा ले तो तू भी खा लेना।

बहुत सारे ख्याल गुड़िया के मन में चल रहे थे।वो चुप चाप बैठी थी।


माँ को फ़ोन करके भी क्या बताती?

वो सिकुड़ी थी अपने ख़यालो में कि ससुरजी बाजार से सामान लेकर अंदर कमरे में आए ही थे कि तभी उन्हें चक्कर आने लगा और वह नीचे गिरने लगे गुड़िया ने उन्हें जल्दी से संभाला और दौड़कर चौके से एक गिलास पानी लेकर आई ससुर जी बहुत थक गए थे गुड़िया घबरा गई उसने ससुर जी से पूछा "ससुर जी आप ठीक भी तो हैं "।

गुड़िया के ससुर ने पानी पिया और थोड़ी देर हवा में बैठे और उसके बाद बोले "हां बेटा मैं बिल्कुल ठीक हूँ"।


ससुर जी बोले "बेटा समान लाया हूँ ।"

"बेटा ये पानी कितना ज़रूरी है जीवन के लिए मैं कभी कभी सोचता हूँ ये तेरी माँ और तू कैसे बिना पानी के पूरा दिन भूखी प्यासी रहती हैं। 


गुड़िया बोली " पापा जी निर्जल व्रत रखना कितना कठिन होता है एक औरत के लिए और जब पति उस वक्त की अहमियत को ना समझे तो वह औरत कितनी अंदर से टूट जाती है "।


गुड़िया के ससुर सुन रहे थे।उन्हें मालूम था कि उनकी पत्नी गुड़िया को एक बहू समझती हैं उससे ज्यादा कुछ नहीं वह चुपचाप गुड़िया की बातें सुन रहे थे।


करवा चौथ के दिन गुड़िया फिर से निर्जल व्रत रख की चौकी में खाना बना रही थी अचानक सांस आई तो बोली "आज अमित 10:00 बजे तक आएगा तो तब तक जल्दी जल्दी खाना बना ले तेरे ससुर जी भूखे हैं और चांद निकलने से पहले ही तू खाना तैयार करके तैयार हो जा"।


चौकी में गुड़िया के मन में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे वह सोच रही थी कि आज तक अमित ने उसके लिए अपनी जिंदगी में क्या बदलाव किया होगा और गुड़िया ने अपनी पूरी जिंदगी ही बदल दी थी उसे याद आया कि शादी से पहले जब मां करवा चौथ का व्रत रखती थी तो वह पकौड़ी कढ़ी की पकौड़ी या चुरा चुरा कर खाती थी और मां के मना करने पर उसको खूब डांट पड़ती थी लेकिन फिर भी गुड़िया नहीं मानती थी ।उसे अफसोस यह नहीं था कि वह यह सब नहीं कर पाती थी लेकिन उसे सबसे ज्यादा अफसोस यह था कि अमित उसे बिल्कुल नहीं समझ पाता था वह सिर्फ अपनी दुनिया में खोया रहता था उसके लिए गुड़िया एक पत्नी थी सिर्फ एक पत्नी,और उसके घर की बहु लेकिन गुड़िया के लिए अमित एक पूरा संसार था पूरा संसार रात हुई 9:00 बजे और चांद निकला गुड़िया की सास और गुड़िया दोनों पूजा कर रहे थे कि अचानक ससुर जी कहीं चले गए 10 बज गए और जब ससुरजी लौट के नहीं आए तो गुड़िया की सास को बहुत चिंता होने लगी उन्होंने बार-बार फोन किया और ससुर जी ने फोन उठाने पर कहा कि वह बस अभी आ ही रहे।


रात 11:00 बजे गुड़िया के ससुर घर लौटे तो अमित पहले ही लौट चुका था ससुर जी को इतनी देर में आते देख अमित थोड़ा सा गुस्सा में आ गया अमित ने तुरंत अपने पिता से कहा " पापा जी आप इतनी देर से आज क्यों आ रहा है आपको पता है ना मां का व्रत है वह कितनी देर से भूखी प्यासी सुबह से आपका इंतजार कर रही है और इस टाइम पूजा के समय आपको कहीं जाने की क्या जरूरत थी सबसे पहले तो आपको सारे काम छोड़ कर यहां आना चाहिए था मां के पास ससुर जी हल्का सा मुस्कुराए और बोले बेटा अगर यही काम तू करता बहू के साथ तो मुझे भी इतनी ही खुशी होती तुझे पता है मैंने देखा है 2 साल से बहू के प्यासी बैठी रहती है और तू आकर चुपचाप मां के साथ खाना खाकर सोने चला जाता है बहू सुबह से तेरा इंतजार करती है भूखी प्यासी उसे तेरा इंतजार रहता है कि तू कब ऑफिस से आएगा और उसको समय देगा" ।


बेटा आज तेरी माँ ही नहीं तेरी पत्नी भी भूखी है,एक गिलास पानी की कीमत कितनी एहमियत है बेटा सोच पानी के बिन कैसा लगता है? चल पत्नी के साथ बैठ उसको सबसे पहले पानी पिला और उसको खूब आशीर्वाद दे फिर हम सब मिलकर खाना खाएंगे।

अमित निशब्द था उसने गुड़िया को पानी पिलाया ससुर जी ने पैसे निकाल कर दोनों की नजर उतारी।



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