हरि शंकर गोयल

Comedy Romance Fantasy

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हरि शंकर गोयल

Comedy Romance Fantasy

एक अनोखी प्रेम कहानी : भाग 3

एक अनोखी प्रेम कहानी : भाग 3

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सपना खाना बनाने चली गई। शिव भिखारी बना बाहर चबूतरे पर बैठ गया। उसे पता था कि खाना बनाने में सपना को लगभग आधा घंटा तो लग ही जायेगा। टाइम पास करने के लिए वह एक भजन गुनगुनाने लगा "ओ कान्हा अब तो मुरली की मधुर सुना दो तान" 


शिव स्टार मेकर पर गाने गाया करता था। उसका गला ठीक था। शिव ने यह भजन जानबूझकर चुना था क्योंकि सपना ने इस भजन की कॉलर ट्यून अपने मोबाइल में सैट कर रखी थी। शिव पूरी तरह तल्लीन होकर भजन गुनगुना रहा था। उसके नेत्र बंद थे। उसे अपनी आंखों के सामने केवल सपना ही दिखाई दे रही थी। मन में जो होता है आंखें भी वही देखती हैं। फिर भाव भी वैसे ही हो जाते हैं और वाणी में मिठास भी उतनी ही घुल जाती है। शिव के गीत की स्वर लहरियां चारों ओर बहने लगी। 


मनुष्य की पहुंच को तो रोका जा सकता है मगर स्वर लहरियों की पहुंच को कैसे रोका जा सकता है ? शिव को तो बाहर ही रोक दिया था मगर सपना उसकी मधुर आवाज को अंदर घुसने से रोक नहीं सकी। जिस तरह कोई अनजान व्यक्ति न जाने कहां से दिल में आकर बैठ जाता है उसी तरह ये आवाज का जादू भी ऐसा ही है। ये भी न जाने कहां से प्रवेश कर जाता है पता ही नहीं लगता है। इस भजन की आवाज दीवारों को फांद कर सपना के कानों में पड़ी तो वह चकित हो गई। यह भजन उसे बहुत पसंद था। वह खाना बनाना छोड़कर बाहर चबूतरे पर आकर भिखारी के सामने बैठ गई और तल्लीनता के साथ भजन सुनने लगी। आस पड़ोस की महिलाएं, युवतियां और बच्चे भी वहां पर एकत्रित हो गये थे। कुछ राहगीर भी इस भजन को सुनकर वहीं रुक गये थे और भजन सुनने लगे थे। शिव आंखें बंद किये हुए तन्मयता के साथ भजन गा रहा था। 


जब भजन पूरा हुआ तो बच्चों और युवतियों ने जोरदार तालियां बजाईं। एक युवती जो सपना की पड़ोसन थी बोली "बहुत अच्छा भजन सुनाया है आपने। आप कहां के रहने वाले हैं?"

इससे पहले कि शिव कुछ कहता, सपना चिढ़कर बोली "भिखारी है, भीख मांग रहा है। और तुझे क्या करना है यह जान कर?"

"मेरे घर चलो, एक और भजन सुनाना फिर मैं खूब इनाम दूंगी" वह युवती चहक कर बोली। 


अब तक सपना उस भिखारी का अपमान किये जा रही थी लेकिन जैसे ही उस युवती ने उसे अपने घर चलने की बात की तो सपना बिफर पड़ी थी। सुंदर लड़कियों का यही चरित्र होता है कि वे चाहती हैं कि हर लड़का उसके आगे पीछे घूमता रहे और वह उनकी खिल्ली उड़ाकर आनंदित होती रहे। लेकिन जैसे ही किसी लड़के को कोई दूसरी लड़की चाहने लगती है तो वह सुंदर लड़की इससे चिढ़ जाती है। यद्यपि यहां ऐसी कोई बात नहीं थी लेकिन उस पड़ोस वाली युवती के ऐसा कहने मात्र से सपना चिढ गई और बोली 

"मैं इनके लिए खाना बना रही हूं" 

"तो मैं बना दूंगी। रात का भी बना कर रख दूंगी" वह मुस्कुरा कर बोली 

"ऐसे कैसे बना देगी ? एक बार कह दिया ना कि मैं खाना बना रही हूं तो ये मेरे यहां ही खाना खाएगा, समझी?"

"अरे वाह ! कोई दादागीरी है क्या ? इसकी जहां मरजी होगी वहां खाएगा। चलो, इसी से पूछ लेते हैं कि यह किसके यहां खाना खाएगा।" फिर वह शिव की ओर मुखातिब होकर बोली "भैया, किसके यहां खाना खाओगे?"


इस झगड़े से शिव को फायदा हो गया। सपना का अहंकार थोड़ा कम हो गया। अब उसकी मोनोपोली नहीं रह गई थी। अब वह खाना मन मारकर नहीं खिला सकती थी। शिव भी होशियार था। मौके का फायदा उठाना जानता था वह। मौके पर चौका जड़ते हुए बोला "आपमें से जो भी खीर खिलायेगी, उसी के यहां खा लूंगा।" मन में हंसी दबाते हुए शिव बोला। 


सपना अपनी पड़ोसन के कारण वैसे ही लाल पीली हो रही थी। भिखारी ने आग में घी डाल दिया था। "अच्छा, तो अब खीर भी चाहिए महाराज को ?" 

शिव कुछ कहने को हुआ कि वह युवती बोल पड़ी "क्या भिखारी इंसान नहीं होते ? अगर इन्होंने खीर खाने की इच्छा प्रकट की है तो इसमें गलत क्या है ? चलो महाराज, मैं खिलाऊंगी आपको खीर।" युवती शिव को खड़ा होने का इशारा करने लगी 

"खबरदार जो इसके यहां गये तो , टांगें तोड़ दूंगी अभी" ! सपना अब चण्डी बन गई थी। "ठीक है, आपको खीर भी मिल जायेगी। अब खुश ?" 


शिव की खुशी का तो पारावार ही नहीं था। खीर और वह भी सपना के हाथ से बनी हुई ? वाह ! ये सब शिवजी की ही कृपा है नहीं तो ये "खड़ूस" एक छोटे से बिस्कुट के पैकेट में ही टरका रही थी। 


सपना ने सब लोगों से कहा "सब लोग अपने अपने घर जाओ।" और शिव की ओर देखकर बोली "तुम अंदर आ जाओ।" 

सपना शिव को अंदर लेकर आ गई। 


क्रमशः: 


श्री हरि 



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