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Kumar Vikrant

Comedy

3  

Kumar Vikrant

Comedy

एक अकेला

एक अकेला

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झम्मन लाल ने बस स्टॉप पर खड़ी खूबसूरत लड़कियों पर एक निगाह डाली और सुबह ०८:१५ की बस का इंतजार करने लगा। बस टाइम से आई और झम्मन लाल ने लगभग खाली बस की दो लोगो के बैठने वाली सीट कब्जा ली। दो किलोमीटर बाद बहुत सारी वर्किंग वुमन बस में चढ़ेंगी और हमेशा की तरह वो उनमें से किसी एक को सीट ऑफर कर प्रेम की पींग बढ़ाएगा।

गुलफाम नगर के सिनेमा हाल- खुला आसमान में जूली नाम की लड़की के साथ छेड़-खानी कर झम्मन लाल उन लफंगो हीरा और बीरा से यूँ ही भिड़ बैठा था। दो कुंतल के गोल-मटोल झम्मन लाल का वो लफंगे कुछ भी ना बिगाड़ सके थे, लेकिन उन तीनो को लड़ते देख दारोगा लक्कड़ सिंह उन्हें उठाकर सदर कोतवाली की हवालात में बंद कर दिया था। और बाद में उनकी रिहाई की एवज २० हजार रूपये प्रत्येक; यानि कुल ६०००० रूपये की मांग की थी। वो तीनो बेरोजगार इतनी रकम का इंतजाम न कर सके तो दारोगा लक्कड़ सिंह ने समाज सेवक दिलदार सिंह से १५००० रूपये लेकर उन तीनो को उसके शहर के बाहर तबेले में बेगार करने के लिए छोड़ दिया था। उस तबेले में उन्होंने लगातार तीन महीने तक भैंसो का चारा और गोबर खूब ढोया था। तीन महीने बाद रिहाई के वक़्त दिलदार सिंह ने उन्हें उसके तबेले में जॉब ऑफर करते हुए कहा था— "अबे वैसे भी तुम तीनों फालतू लफड़े कर जेल में पहुँच जाओगे एक दिन उससे बेहतर है कि यहाँ तबेले में काम कर इज्जत जिंदगी जियो।"

ये बात तीनो को समझ आ गई लेकिन वो चारा और गोबर ढोने के लिए तैयार न थे। दिलदार सिंह मंझा खिलाडी था उसने थोड़े से बदलाव कर उन्हें फिर उसी काम में लगा दिया था। अब झम्मन लाल का काम बाजार से भैंसो का चारा लाना और भैंसो के गोबर को शहर से दूर दिलदार सिंह के खेतो में डलवाना था।

अपने इस काम से झम्मन लाल बहुत खुश था और खाली समय में दंड-बैठक लगा कर अपना वजन भी १०-१२ किलोग्राम कम कर लिया था। ये वजन क्या कम हुआ वो तो खुद को छैला बाबू समझने लगा। तबेले में रहना छोड़कर रोज २० किलोमीटर दूर अपने गांव से गुलफाम नागर तक बस में आने-जाने लगा।

खैर ,आज भी वर्किंग वुमन का झुण्ड बस में चढ़ा लेकिन इससे पहले कोई लड़की उसकी सीट के पास आकर खड़ी हो एक बुजुर्ग उसकी सीट के पास आकर बोला— "तनिक खिसको भैया हम भी बैठ जाएं।"

झम्मन लाल ने कुढ़ कर उसे सीट दे दी और बस चल पड़ी।

"कहाँ तक जाओगे दादा?" —झम्मन लाल ने बुजुर्ग से पूछा।

"कहाँ तक क्या भैया, डॉ झुन्ना मल के अस्पताल पे उतरना है।" —बुजुर्ग ने उसे सीट पर धकियाते हुए कहा।

"डॉ झुन्ना मल का अस्पताल तो दो किलोमीटर दूर ही है, तब कहें सीट पर बैठने को हलकान हुए जा रहे थे।" —झम्मन लाल ने पास खड़ी लड़कियों को देखकर चिढ़ते हुए कहा।

उससे पहले बुजुर्ग कुछ बोलता झम्मन लाल ने पास खड़ी सुंदरी को सीट ऑफर कर दी, वो भी इसलिए की दो किलोमीटर बाद बुजुर्ग के उतरने के बाद वो उसकी छोड़ी सीट पर बैठकर सुंदरी के साथ प्रेमालाप करेगा।

दो किलोमीटर से पहले ही बुजुर्ग ने सीट छोड़ दी और झम्मन लाल सीट पर बैठने ही वाला था कि वो सुंदरी उसे सीट पर बैठने से रोकते हुए बोली— "चिंटू के पापा आ जाओ सीट मिल गई।"

सुंदरी के बोलने की देर थी कि भीड़ से एक बच्चा गोद में लिए एक मरियल सा आदमी प्रकट हुआ और धम से सीट पर बैठ गया।

इससे पहले झम्मन लाल कुछ शिकायत करता; वो सुंदरी बोली— "अच्छे खासे हट्टे-कट्टे हो भइया; थोड़ी देर खड़े रहने से क्या दुबले हो जाओगे, हमें तो बस भैंसो के तबेले के पास उतरना है उसके बाद चाहे इस सीट पर लेट कर जाना।"

अब झम्मन लाल की हालत देखने लायक थी क्योंकि उसे खुद भी भैसों के तबेले पर उतरना था और अभी तबेले तक पहुँचने में वो खटारा बस कम से कम एक घंटा और लेगी। 


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