दुष्ट शत्रु
दुष्ट शत्रु
एक समय की बात है… गर्मी की दोपहर थी। एक गंजा आदमी सुबह से काम करते-करते थककर आराम करने बैठा था। एक मक्खी कहीं से उड़ती हुई आई और उसके आस-पास मंडराने लगी।
गंजा आदमी उसे उड़ाता पर बार-बार वह उसके माथे पर बैठ जाती और उसे काट लेती। परेशान होकर उसने एक जोर का पंजा उसे मारा।
मक्खी तो उड़ गई पर अपना ही हाथ उसे सिर पर जोर का लगा। कुछ पलों बाद मक्खी फिर से आकर काटने लगी। सिर पर बैठने पर गंजे ने उसे फिर से जोर से मारा।
मक्खी इस बार भी बच गई। कुछ देर शांत रही। शीघ्र ही मक्खी ने फिर से भिनभिनाना शुरु कर दिया। गंजा व्यक्ति समझ गया। उसने कहा, “दुष्ट शत्रुओं पर ध्यान देने में ही भलाई है…” थोड़ी देर बाद मक्खी उड़कर किसी और को बताने चली गई।