Garima Maurya

Action Fantasy Others

4.0  

Garima Maurya

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राजकुमारी

राजकुमारी

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सालों पहले एक शहर में एक चक्की वाला रहता था। उसके तीन बेटे थे। उन तीनों बेटों में से सबसे छोटा बेटा मार्की उसका लाडला था। समय बीतता गया और उसके बेटे बड़े हो गए। उम्र के साथ वह चक्की वाला बीमार होने लगा। और एक दिन उसकी मृत्यु हो गई। चक्की वाले ने अपने बड़े बेटे को पूरी चक्की दे दी। दूसरे बेटे को अपना गधा और अपने सबसे छोटे बेटे, मार्की को एक बिल्ली दी जिसका नाम पुस था। यह जानकर मार्की का सबसे बड़ा भाई उसपर हँसने लगा और उसे घर से निकल दिया। ऐसे में मार्की अपने बिल्ली पुस को अपने साथ लेकर वहाँ से चला गया। चलते-चलते उसे एक खली कुटिया मिली जहाँ वे दोनों रहने लगे। अब मार्की चिंतित था की आगे की ज़िन्दगी वे कैसे गुज़ारेंगे। इसी चिंता में वह अपनी बिल्ली से बोला, “पुस मेरे दोस्त मेरे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है तो मई तुम्हारा ध्यान कैसे रखूँगा?” अपने मालिक की यह बात सुनकर पुस ने कहा, “आपको इस बात की चिंता करने की जरुरत नहीं है।” यह सुनकर मार्की अचंभित हो गया वह पहली बार एक बिल्ली को बोलता हुआ देख रहा था। तभी वह बोला, “तुम तो एक बिल्ली हो और तुम बोल सकती हो लेकिन तुम मेरी मदद कैसे कर सकते हो?” यह सुनकर पुस ने कहा, “मैं आपके लिए बहुत कुछ कर सकता हूँ मेरे मालिक। आपको बस मेरे लिए एक बूट और एक बैग लाना होगा।” यह सुनकर मार्की और अचंभित हुआ और सोचने लगा की एक बूट और एक बैग से यह

बिल्ली क्या करेगा?

मार्की के पास कुछ पैसे बचे थे अब वह उसी से पुस के लिए एक बूट और एक बैग खरीदने वाला था। इसके बाद मार्की पुस को लेकर एक जूते वाले के पास ले गया। वहाँ जाकर उसने कहा, “मुझे अपनी बिल्ली के लिए एक बूट और एक बैग चाहिए।” यह सुनकर दुकानदार अचंभित हो गया की कोई इंसान अपनी बिल्ली के लिए एक बूट और बैग क्यों खरीदेगा?

फिर वह दुकानदार पुस के नाप का एक बूट लेकर आया और उसके पास पूस के लिए एक बैग भी था। मार्की के बूट और बैग के पैसे दुकानदार को दिए। मार्की ने बूट पुस को पहनाया और उसके हाथ में बैग थमा दिया। ऐसे हो जाने के बाद पुस ने कहा, “मालिक अब आप अपने घर जाइये और देखिये की मैं क्या करता हूँ। ” यह कहकर पुस जंगल की ओर चला गया। रास्ते में उसने कुछ गाजर अपनी बैग में भर लिया।जंगल पहुंचकर वह खरगोश के बिल के सामने अपना बैग खोलकर रख दिया। कुछ देर बाद दो खरगोश निकलकर उस बाग़ के अंदर घुस गए तभी पुस ने उन्हें पकड़ लिया। इसके बाद वह सीधे घर की ओर चला गया। घर पहुंचकर पुस ने वह खरगोश मार्की को दिया। उसने उसे पकाया और फिर दोनों ने मिलकर उसे खाया। खाना इतना था की वह कल के लिए भी बच गया। इन सबसे मार्की खुश था।


पर्याप्त खाना होने के बावजूद भी पुस अगले दिन फिर से शिकार पर निकल गया। आज भी वह खरगोश पकड़ने वाला था। खरगोश पकड़ कर वह सीधे राजा के महल की ओर चल पड़ा। महल के पहरेदार बिल्ली को देखकर उसे वहाँ से भागने लगे। तभी पुस ने कहा, “मैं राजा के लिए तोहफा लाया हूँ मुझे अंदर जाने दो नहीं तो राजा तुम्हें सज़ा देंगे।” एक बात करती हुई बिल्ली को देख पहरेदार अचंभित थे। उन्होंने पुस को अंदर जाने दिया। जैसे ही पुस अंदर दरबार में पहुंचा वहाँ राजा, रानी, और राजकुमारी बैठी थी। वे एक बिल्ली को बूट में देखकर अचंभित थे। पुस ने कहा, “राजा मैं पुस मार्की का सेवक। मेरे मालिक मार्की ने आपके लिए एक तोहफा भेजा है।” उस बिल्ली को बोलता देख राजा, रानी, और राजकुमारी तीनों अचंभित थे। उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा था। राजा ने तोहफा स्वीकार किया। फिर पुस वहाँ से चला गया। घर जाकर पुस ने सारी बात मार्की को बताई।


इसी तरह से पुस अपने मालिक मार्की के लिए खाना लाया करता और राजा के यहाँ तोहफा भी लेकर जाता। इस तरह से धीरे-धीरे पुस पूरे शहर में प्रचलित होने लगा। एक दिन पुस शिकार पर गया। शिकार के बाद वह सीधे एक किले की ओर गया जो शहर में नज़दीक था। वह किला बहुत आलिशान था जो एक राजमहल से कम नहीं था। उस किले में एक राक्षस रहता था जो बहुत ही भयानक था और उसके सामने जो भी आता उसे वह खा लेता। पुस जब उस किले में पंहुचा वहाँ वह राक्षस आया और उससे कहा, “एक बिल्ली जो बूट पहनती है और जिसके हाथ में एक बैग है। तुम पुस हो ना?”


“जी है मैं पुस हूँ और मैं आपसे मिलने आया हूँ मैंने सुना है की लोग आपसे बहुत डरते है।” पुस ने कहा। यह सुनकर वह राक्षस गुस्से में कहा, “हाँ मैं वही हूँ और तुम खुशकिस्मत हो क्योंकि मैं बिल्लियों को नहीं खाता।” इसी तरह से दोनों में बात होने लगी तभी पुस ने उस राक्षस से पूछा, “मैंने सुना है की आप किसी भी जानवर का रूप ले 

सकते हो। अगर ऐसा है तो मैं आपको रूप बदलता हुआ देखना चाहूंगा।” यह सुनते ही वह राक्षस एक सिंह में बदल गया और ज़ोर से दहाड़ने लगा। उसकी दहाड़ सुनकर पुस डरकर बोला, “मैं मान गया आपकी काबिलीयत को। लेकिन आप तो बड़े जानवर का रूप ले रहे है, क्या आप एक छोटे जानवर का रूप ले सकते है?”

यह सुनते ही वह राक्षस एक छोटे से चूहे में बदल गया। तभी पुस ने तुरंत उसे अपने मुंह में लिया और उसे खा गया। इस तरह से पुस ने उस राक्षस का खत्म कर दिया। इन सबके बाद वह अपने घर लौट आया। कुछ दिनों बाद पुस अपने मालिक से ज़िद करने लगा के वे आज नदी में जाकर नहाएंगे। इसके लिए मार्की राज़ी हो गया और वे दोनों नदी में नहाने निकल पड़े। सबसे पहले मार्की अपने कपड़े उतारकर नदी में चला गया। तभी पुस उसके कपड़े लेकर एक पत्थर के पीछे छुपा दिया

आता देख चिल्लाने लगा, “मदद कीजिये, मेरे मालिक की मदद कीजिये। कुछ चोरों ने मेरे मालिक के कपड़े चुरा लिए है।” राजा इस आवाज़ को अच्छे से पहचानता था। उसने अपने सारथी को रथ रोकने को कहा। रथ में रानी और राजकुमारी भी थी। रथ में शाही पोशाक भी थी। राजा ने उस पोशाक को मार्की को देने को कहा। मार्की उस पोशाक को पहनकर आया। वह उसमे एक राजकुमार की तरह दिख रहा था जिसे देख राजकुमारी भी उसपर मोहित होने लगी थी।


इसके बाद मार्की ने राजा को शुक्रिया कहा। तभी पुस बोला, “महाराज, आपने हमारी मदद की है आपको आज हमारे महल में दावत पर आना होगा।” महल की बात सुनकर मार्की हैरान हो गया क्योकि उनके पास कोई महल नहीं था। लेकिन उसे पुस पर भरोसा था। राजा ने कहा, “ठीक है आज हम तुम्हारे यहाँ दावत करेंगे।” रथ पर पुस और मार्की दोनों चढ़ गए। इसके बाद पुस उन्हें उसी महल में ले गया जहाँ वह राक्षस रहता था। महल को देख सब अचंभित थे क्योंकि वह बहुत ही आलिशान महल था।


सुब महल में दाखिल होते है। और सब एकसाथ खाने के टेबल पर बैठ गए। पुस ने शाही दावत का बंदोबस्त कर रखा था। सबने खाना खाना शुरू किया। राजा मार्की से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने मार्की से कहा, “तुम बहुत ही अच्छे हो। और यह सब देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ। क्या तुम मेरी बेटी से शादी करोगे?” यह सुनकर मार्की अचंभित हुआ और बोला, “यह मेरा सौभाग्य है की आपने मुझे राजकुमारी के लायक समझा। मैं आपकी बेटी से शादी करने को तैयार हूँ।”

यह सब सुनकर वहाँ मौजूद सरे लोग बेहद खुश थे। राजकुमारी और मार्की दोनों आपस में बेहद खुश थे। इस तरह से एक बिल्ली ने एक मामूली से लड़के को राजकुमार बना दिया।



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